अयोध्या : भाजपा से जनता की दूरी क्यों?
punjabkesari.in Wednesday, Oct 02, 2024 - 06:50 AM (IST)
दिन 22 जनवरी, 2024, अयोध्या नगरी में भव्य राम मंदिर का लोकार्पण। देश भर के लोगों, खास तौर पर राम भक्तों में जबरदस्त उत्साह का ऐसा माहौल कि समूचा देश राममय हो गया। केंद्र में सत्ताधारी भाजपा सरकार के कर्णधारों को लगा कि 6 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में पार्टी का बेड़ा पार होने से चुनावी नैया बेहद आसानी से किनारे लग जाएगी। मगर, यह सब एक ख्वाब ही रहा क्योंकि भारतीय जनता पार्टी को 2019 की तुलना में 2024 के लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना और केंद्र में मजबूरन गठबंधन सरकार बनाने को विवश होना पड़ा।
2024 के लोकसभा चुनाव में देश उस समय आश्चर्यचकित रह गया, जब अयोध्या पर आधारित फैजाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार को भी ‘राम लहर’ में पराजय का सामना करना पड़ा। यह सब तो आज इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है लेकिन अगर आज की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के प्रति लोगों की नाराजगी में एक फीसदी की भी कमी नहीं आई है और यह बदस्तूर कायम है। अयोध्या के स्थानीय निवासी इसके कई कारण गिनाते हैं।
रामपथ के निर्माण में मुआवजे की बंदरबांट : अयोध्या में रामपथ के निर्माण में सरकारी मुआवजे की बंदरबांट एक प्रमुख बड़ा मुद्दा न केवल पहले था, बल्कि आज भी लोगों की जुबान पर है। यह मुआवजा अनेक उन लोगों को हासिल हो गया, जोकि एक पैसा पाने के भी पात्र नहीं थे जबकि धक्कमपेल में वास्तविक हकदार पीछे ही छूट गए। यह कहना है स्थानीय लोगों का।
इतना ही नहीं, जिन लोगों को फार्चूनर गाड़ी के स्पैलिंग तक नहीं आते थे, आज वही इस फार्चूनर गाड़ी में घूमने का आनंद ले रहे हैं और वास्तविक पात्रों के जले पर नमक छिड़क रहे हैं, यह कहना है अयोध्या में गैस्ट हाऊस चलाने वाले एक व्यक्ति का, जो अपना नाम सार्वजनिक नहीं करना चाहते। वे यहीं नहीं रुके और कहते हैं, ‘‘आज के जमाने में एक लाख का मुआवजा क्या हैसियत रखता है, क्या यह उन स्थानीय लोगों से मजाक नहीं किया गया?’’
छोटे कारोबारी परेशान : भाई साहिब, हम कहां अपना कारोबार करें। रामपथ का निर्माण तो कर दिया है अब श्री राम मंदिर के आसपास के इलाके में हमें अपना कारोबार भी नहीं करने दिया जा रहा है। पुलिस हमें हमेशा भगाने पर ही तुली रहती है। हमारी पुरानी दुकानें रामपथ की भेंट चढ़ गईं और अब रेहड़ी लगाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है, जिससे कारोबार चौपट होकर रह गया है। ये शब्द उन अधिकांश रेहड़ी फड़ी वालों के हैं, जो अपने छोटे कारोबार के माध्यम से अपना पेट पालते हैं। ऐसी स्थिति में उनके सामने परिवार के भरण-पोषण की चिंता आ खड़ी हुई है।
ई-रिक्शा और टैक्सी चालकों की समस्या : श्री राम मंदिर देखने के लिए देश-विदेश से आने वाले भक्तों की भीड़ को देखते हुए अयोध्या धाम में ई-रिक्शा और टैक्सी चालकों की संख्या भी अप्रत्याशित रूप से काफी बढ़ चुकी है। ये लोग अब स्थानीय पुलिस द्वारा उन्हें अक्सर रोके जाने से बेहद परेशान दिखते हैं। ‘‘जब पुलिस की मर्जी होती है तो अचानक नाका लगा दिया जाता है और हमें इधर-उधर के रास्तों पर मोड़ दिया जाता है, जबकि बड़ी-बड़ी बसें तो राम मंदिर के समीप राम पथ पर बिना किसी रोक-टोक के आ जा सकती हैं लेकिन हम ई-रिक्शा और टैक्सी वालों को उधर जाने की मनाही है। आखिर बाल-बच्चों का पेट भरण-पोषण कैसे होगा?’’ अयोध्या प्रशासन से यह सवाल सभी ई-रिक्शा और टैक्सी चालकों का है।
अयोध्या को निगम का दर्जा परेशानी का सबब : इसके अलावा अयोध्या को नगर निगम का दर्जा मिलने के बाद से इसमें शामिल अनेक गांवों के लोग निगम का हिस्सा नहीं बनना चाहते और वे सभी पहले की भांति बिना किसी रोक-टोक के स्वछन्द रूप से ही रहना चाहते हैं।
अयोध्या के बदलते परिवेश में आज स्थिति यह है कि बड़े-बड़े कारोबारी अपना सिक्का जमाने में लगे हैं और छोटे कारोबारी हाथ पर हाथ धरे बैठने को विवश हैं। लोकसभा चुनाव में करारी पराजय के बाद भी अयोध्या में भारतीय जनता पार्टी ने कोई सबक नहीं लिया है और ऐसे लोगों की नाराजगी दूर करने का कोई यत्न नहीं किया गया, जिसके चलते लोग आज भी भगवा पार्टी से मुंह फुलाए हुए हैं। लेकिन इस सब के बावजूद भगवान श्री राम की नगरी में जय श्री राम के उद्घोष दिन-रात लगातार कानों में गूंजते रहते हैं और देश-विदेश से आने वाले लोग भगवान श्री राम के समक्ष नतमस्तक होकर खुद को धन्य मानते हैं।-शिशु शर्मा शांतल