ईरान में आयतुल्लाओं ने हिजाब को लेकर अपनी आंखें मूंदीं

punjabkesari.in Saturday, Dec 10, 2022 - 06:17 AM (IST)

क्या ईरान में आयतुल्लाओं ने हिजाब को लेकर अपनी आंखें मूंद ली हैं। शायद अगर अटार्नी जनरल मोहम्मद जावेद मंतजेरी का बयान माना जाए तो। उन्होंने कहा, ‘‘मोरैलिटी पुलिस को स्थापित करने वाले उसी अधिकारियों द्वारा उसे समाप्त कर दिया गया था। सरकार की मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि मोहम्मद जावेद ने यह बात एक बैठक के दौरान कही जिसमें अधिकारी हिजाब विरोधी अशांति पर चर्चा कर रहे थे। मोरैलिटी पुलिस महीनों से चल रहे प्रदर्शनों को दबाने के लिए हिंसक रूप अपना रही थी। हालांकि ईश्वरीय सरकार ने उन्मूलन की न तो पुष्टि की है और न ही इस बात का खंडन किया है।’’ 

वास्तव में सत्ता की ओर से परस्पर विरोधी संकेत मिल रहे हैं। सरकारी स्वामित्व वाले अरबी टैलीविजन चैनल ‘अल आलम’ ने दावा किया है कि मंतजेरी के बयान को संदर्भ से बाहर कर दिया गया है। वहीं अन्य सरकारी चैनलों का भी कहना है कि सरकार अनिवार्य हिजाब कानून पर कायम है। हालांकि ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर अब्दुल्लाहियान कुछ और ही कहते हैं।

सर्बिया के एक संवाददाता सम्मेलन में जब मोरैलिटी पुलिस के बारे में उनसे पूछा गया तो उन्होंने उन्मूलन से इंकार नहीं किया। उनका कहना था कि ईरान में लोकतंत्र और आजादी के ढांचे में सब कुछ अच्छे से आगे बढ़ रहा है। बहुत स्पष्ट नहीं है लेकिन यह सभी के ध्यान देने योग्य एक संकेत था। महीनों पहले मोरैलिटी पुलिस द्वारा हिजाब को ठीक से नहीं पहनने के कारण एक युवती को पीट-पीट कर मार डाला गया था। उसके बाद तेहरान में प्रदर्शनों ने शीर्ष अधिकारियों को परेशान कर दिया। ईरान में प्रदर्शनों में बच्चों सहित लगभग 450 लोग मारे गए हैं और फिर भी आंदोलन के कम होने के कुछ ही संकेत हैं। 

जैसा कि बीजिंग में मूर्खतापूर्ण शून्य कोविड नीति पर विरोध के मामले में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग विरोधी भावनाओं को प्रदॢशत किया है। ईरान में भी हिजाब के खिलाफ अभियान लोकतंत्र विरोधी हो सकता है। ईरान के लोगों ने इस्लामी कट्टरपंथियों के हाथों बहुत से अत्याचारों का सामना किया है। एमनेस्टी की 2021 की रिपोर्ट कहती है, ‘‘अभिव्यक्ति, संघ और सभा की स्वतंत्रता के अधिकारों का भारी दमन हुआ है। ईरान में स्वतंत्र राजनीतिक दलों, ट्रेड यूनियनों और नागरिक सामाजिक संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहां मीडिया को सैंसर कर दिया है और सैटेलाइट टैलीविजन चैनलों को भी जाम कर दिया गया है।’’ 

ईरान में सुरक्षा और खुफिया अधिकारी मनमाने ढंग से उन लोगों को गिरफ्तार करते हैं जिनकी सोशल मीडिया पोस्टिंग उन्हें प्रति-क्रांतिकारी या गैर-इस्लामिक लगती है जो व्यावहारिक रूप से कुछ भी हो सकती है। मिसाल के तौर पर महिलाएं अपने सिर को कवर नहीं करतीं जो गैर-इस्लामी है। इसके साथ-साथ ऐसे पुरुष भी हैं जो सूट के साथ टाई पहनते हैं। 

मानवाधिकार निकाय ने बताया कि कई हजार पुरुषों, महिलाओं और बच्चों से पूछताछ की गई। उन पर गलत तरीके से मुकद्दमा चलाया गया, वहीं, मनमाने ढंग से लोगों को हिरासत में लिया गया जो अभिव्यक्ति, संघ और सभा की स्वतंत्रता के अपने अधिकारों का शांतिपूर्वक प्रयोग कर रहे थे। इन प्रदर्शनकारियों में पत्रकार, कलाकार, लेखक, शिक्षक, मानवाधिकार कार्यकत्र्ता, महिला अधिकार रक्षक, एल.जी.बी.टी.आई. लोगों के अधिकार रखने वाले लोग, श्रमिक अधिकार और अल्पसंख्यक अधिकार आदि भी शामिल थे। 

ईरान में वीरवार को देशव्यापी विरोध-प्रदर्शनों के दौरान किए गए अपराध के लिए दोषी एक कैदी मोहसिन शेखरी को फांसी दे दी गई। ईरान द्वारा दिए गए इस तरह के मृत्युदंड का यह पहला मामला है। यह फांसी ऐसे समय में दी गई है जब अन्य बंदियों को भी विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए संभावित रूप से मृत्युदंड का सामना करना पड़ सकता है। वास्तव में ईरान के इतिहास में हिजाब विरोधी आंदोलन एक ऐतिहासिक क्षण बन गया है। 


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