अटल टनल : किरण एक ‘नई सुबह’ की

punjabkesari.in Thursday, Oct 08, 2020 - 02:18 AM (IST)

टनल या सुरंग कुछ भी कह लें, सुनने में तीन अक्षर का यह शब्द कितनों के लिए कितना महत्वपूर्ण हो सकता है। इसका एहसास वर्षों से एक छोर से दूसरे छोर तक जाने की आस संजोए वहां के स्थानीय निवासी या सामरिक महत्व के स्थानों पर सेना को बखूबी होता है।

3 अक्तूबर 2020 की तारीख देश के इतिहास में सदा के लिए सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने दुनिया के सबसे ऊंचाई (समुद्र तल से10,000 फुट से अधिक की ऊंचाई) पर स्थित दुनिया की सबसे लम्बी (9.02 किलोमीटर) राजमार्ग टनल अटल टनल को राष्ट्र को समर्पित किया। अटल जिसे टाला न जा सके, जिसे बदला न जा सके, जिसे मिटाया न जा सके, जिसे डिगाया न जा सके और नियति देखिए इस टनल का नामकरण भी भारतीय राजनीति के दैदीप्यमान दीपक व मां भारती के उस सपूत पर हुआ जो अपने नाम के अनुरूप अटल हैं अमर हैं। 

मेरे अंतर्मन में 3 जून 2000 की यादें अभी भी ताजा हैं जब पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी, तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री एवं हिमाचल प्रभारी नरेन्द्र मोदी जी, तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल जी लाहौल स्पीति के केलांग में एक  कार्यक्रम में उपस्थित थे तो वहां अटल जी के एक अभिन्न मित्र टशी दावा (अर्जुन गोपाल) जी ने लाहौल से मनाली के बीच अपनी सुरंग की मांग को एक बार फिर दोहराया तो अटल जी ने केलांग से ही इस टनल की घोषणा की। 

अटल जी का हिमाचल से विशेष प्रेम था और वह अपनी छुट्टियां बिताने अक्सर मनाली आया करते थे। मनाली व अन्य क्षेत्रों से अनेकों मित्र और कार्यकत्र्ता अटल जी से मिलने आया करते थे। लाहौल के ठोलंग गांव के रहने वाले टशी दावा जी हर बार अटल जी से मिलने आते थे। 

एक बार टशी दावा जी ने वाजपेयी जी से यह कह कर सुरंग बनाने का निवेदन किया कि रोहतांग दर्रे को पास करके मनाली आने में बहुत समय लगता है अत: इस पर वह विचार करें। टनल की घोषणा के 20 साल बाद आज जब वाजपेयी जी ने स्वर्ग से मोदी जी द्वारा इस महानिर्माण का राष्ट्रार्पण देखा होगा तो निश्चित तौर पर वह अपनी विरासत पर गॢवत हो रहे होंगे। सामरिक दृष्टि से हिमाचल प्रदेश भारत का एक अति महत्वपूर्ण राज्य है साथ ही साथ हिमाचल प्रदेश खुद में पर्यटन की असीम संभावनाएं समेटे हुए है। एन.डी.ए. सरकारों ने शुरु से ही हिमाचल प्रदेश को विशेष दर्जा दिया है, फिर चाहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी हों या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी हों, दोनों ने ही हिमाचल को अपना दूसरा घर माना है और आर्थिक एवं सामरिक महत्व की इस हाईटैक टनल के मूर्त रूप लेने का श्रेय भी इन्हें ही जाता है। 

अटल टनल का डिजाइन घोड़े की नाल की तरह बनाया गया है जिसके डबल लेन टनल निर्माण में 3300 करोड़ की लागत आई है। हर 150 मीटर पर टैलीफोन और 60 मीटर पर वाटर हाइड्रैंट की सुविधा के साथ-साथ 500 मीटर पर इससे निकलने की आपात सुविधा भी है। हर 250 मीटर पर ब्रॉडकासिं्टग सिस्टम और सी.सी.टी.वी. कैमरों के साथ आटोमैटिक इंसीडैंट डिटैक्शन सिस्टम, आग से निपटने के पूरे इंतजाम, बर्फ और लैंडस्लाइड प्रूफ टनल पूरे साल चौबीसों घंटे देश सेवा में उपलब्ध रहेगी। 

पीर पंजाल की पहाडिय़ों को काटकर बनाई गई अटल सुरंग के कारण मनाली से लेह की दूरी तो 46 कि.मी., कम हुई है इसके अलावा अटल सुरंग 13,050 फीट पर स्थित रोहतांग दर्रे के लिए वैकल्पिक मार्ग भी है। मनाली वैली से लाहौल और स्पीति वैली तक पहुंचने में करीब 5 घंटे का वक्त लगता था लेकिन इस टनल के रास्ते यह दूरी अब करीब 10 मिनट में ही तय हो सकेगी और एक पहाड़ी होने के नाते मैं अच्छी तरह समझ सकता हूं कि पहाड़ों पर 5 घंटे की दूरी कम होने का क्या मतलब है। यानी आप यह समझिए कि अटल टनल नहीं, बल्कि इंच-इंच जमीन की रक्षा के लिए यह नए भारत का अटल संकल्प है जिसके बाद चाहे चीन हो या फिर पाकिस्तान, भारत को आंख दिखाने पर 100 बार सोचेंगे। 

रोहतांग में अटल टनल के आरंभ होने से लाहौल घाटी में पर्यटन, कृषि और बागवानी गतिविधियों को एक नई दिशा मिलेगी, अभी तक यहां पर्यटन का मौसम कुछ महीनों तक ही चलता था। अब यहां के युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। अब न ही सर्दियों में लाहौल से लोगों का पलायन होगा और न ही लोगों को जान जोखिम में डालकर दर्रा पैदल पार करना पड़ेगा। पांगी, किलाड़ घाटी व लेह-लद्दाख के जांस्कर घाटी के लोगों को भी टनल का फायदा मिलेगा व किसी भी गंभीर स्थिति से निपटने के लिए यह टनल वरदान साबित होगी। 

अटल टनल भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर, सेना, हिमाचल के युवाओं, किसानों, बागवानों को एक नई ताकत देगी। अभेद्य पहाड़ को भेदकर एक बहुत बड़ा संकल्प पूरा हुआ है। अटल टनल अब लेह-लद्दाख का लाइफ लाइन और हिमाचल और लद्दाख के लोगों को सदैव जोड़े रखने का माध्यम बनेगा। वह पहले का दौर था जब राष्ट्र हित से ऊपर स्वहित को रखने वालों की तूती बोलती थी अब देश में नई सोच के साथ काम हो रहा है। सबके साथ से, सबके विश्वास से, सबका विकास हो रहा है। मोदी सरकार में अब योजनाएं इस आधार पर नहीं बनतीं कि कहां कितने वोट हैं बल्कि अब हमारा प्रयास इस बात का है कि अंतिम पंक्ति व आखिरी छोर पर खड़ा कोई भारतीय छूट न जाए, पीछे न रह जाए।-अनुराग ठाकुर (केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री)


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