सामाजिक सशक्तिकरण के लिए ‘आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस’

punjabkesari.in Tuesday, Oct 06, 2020 - 02:35 AM (IST)

डिजीटल इंडिया की सफलता ने समावेशी विकास, सुशासन और आम लोगों के सशक्तिकरण के लिए टैक्नोलॉजी के प्रयोग का एक नया वैश्विक मानदंड स्थापित किया है। कुछ वर्ष पहले तक डिजीटल टैक्नोलाजी की सुविधाएं सिर्फ संभ्रांत लोगों तक ही उपलब्ध थीं पर आज वो आम लोगों तक भी सरलता से पहुंच रही हैं। 

तेजी से बदलती टैक्नोलॉजी के दौर में यह जरूरी हो जाता है कि उससे जुड़े तंत्र भी तेजी से विकसित हों, नियामक संस्थाओं द्वारा त्वरित प्रतिक्रिया हो और समय की आवश्यकताओं के अनुसार क्षमताओं का निर्माण हो। आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस, टैक्नोलॉजी की विकास यात्रा में हुआ यह कोई छोटा-मोटा सुधार नहीं है बल्कि एक क्रांतिकारी बदलाव है जिसे पूर्णता में समझना जरूरी है। किसी भी आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस सिस्टम के लिए डाटा सबसे जरूरी है। 70 करोड़ इंटरनैट उपभोक्ता, 121 करोड़ फोन उपभोक्ता और 126 करोड़ लोगों के आधार से जुड़े होने के कारण भारत प्रतिदिन भारी मात्रा में डाटा पैदा करता है। 

विश्व की कई प्रमुख इंटरनैट कम्पनियों के सबसे अधिक उपभोक्ता भारत में हैं। भारत में दुनिया का सबसे सस्ता इंटरनैट उपलब्ध है। हमारे देश के सक्षम आई.टी. प्रोफैशनल्स की कड़ी मेहनत के कारण आज दुनिया भारत की सूचना प्रौद्योगिकी की क्षमताओं का लोहा मानती है। इन सबके साथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबल नेतृत्व है जो टैक्नोलॉजी के प्रयोग द्वारा आम लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए प्रयासरत हैं। इन सबके कारण भारत आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति के लिए तैयार है। 

2018 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस रणनीति जारी की थी। उसके बाद से इलैक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने देश में आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस के विकास के लिए कई प्रयास किए हैं। सरकारी संस्थाओं को डाटा विशलेषण के क्षेत्र में अच्छी सुविधाएं देने के लिए सैंटर ऑफ एक्सीलैंस इन डाटा एनालिटिक्स की स्थापना की गई है।  इलैक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय जल्दी ही आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस के राष्ट्रीय प्रोग्राम को कैबिनेट की मंजूरी ले कर प्रारम्भ करेगा। आधार, यू.पी.आई., जी.एस.टी.एन. और जेम जैसे डिजीटल प्लेटफॉर्म की सफलता से सीखते हुए सरकार ने अन्य क्षेत्रों के लिए भी डिजीटल प्लेटफॉर्म बनाने की योजना बनाई है जैसे स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, लॉजिस्टिक्स, भाषा आदि। 

स्वतंत्रता दिवस 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्रीय डिजीटल स्वास्थ्य मिशन की शुरूआत की और इसके साथ ही स्वास्थ्य के लिए डिजीटल प्लेटफॉर्म बनाने का काम प्रारम्भ हो गया है। इलैक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने शिक्षण संस्थानों, शोध संस्थानों, इंडस्ट्री और स्टार्टअप के साथ मिल कर एक आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस आधारित नैचुरल लैंग्वेज ट्रांसलेशन मिशन पर काम शुरू किया है जिससे भारतीय भाषाओं में मौखिक इंटरनैट सेवाओं की शुरूआत की जा सकेगी। इसी प्रकार सरकार के अन्य मंत्रालय भी शिक्षण संस्थानों, शोध संस्थानों, इंडस्ट्री और स्टार्टअप के साथ मिल कर अपने-अपने क्षेत्रों के डिजीटल प्लेटफॉर्मों को स्वरूप दे रहे हैं। ये प्लेटफॉर्म न सिर्फ अपने-अपने क्षेत्रों में आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस आधारित सेवाएं दे पाएंगे बल्कि भारत के डाटा की सुरक्षा, निजता की संरक्षा और भारतीय स्टार्टअप को बढ़ावा भी देंगे। 

टैक्नोलॉजी के क्षेत्र में होने वाले विकास न सिर्फ परिवर्तन लाते हैं बल्कि कई ङ्क्षचताओं को भी जन्म देते हैं। जब व्यापक स्तर पर कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा था तो बड़े पैमाने पर बेरोजगारी की ङ्क्षचता जताई जा रही थी लेकिन अंत्तोगतवा कम्प्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी ने ही सर्वाधिक रोजगार सृजन किया। इसी प्रकार आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस भी कुछ परंपरागत रोजगारों में परिवर्तन लाएगा और नए रोजगारों का सृजन करेगा। हमें परिवर्तन के इस दौर को ठीक प्रकार से संचालित करना है ताकि इससे समाज में असमानता न बढ़े। भारत की सामाजिक सशक्तिकरण के लिए उत्तरदायी आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस की सोच इस टैक्नोलॉजी को समावेशी विकास और नागरिक सशक्तिकरण के लिए प्रयोग करने हेत है ताकि समाज में इसके द्वारा असमानता न बढ़े। 

भारत आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस में वैश्विक सांझेदारी का संस्थापक सदस्य है -जो आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस के विकास के लिए बनाया गया एक बहुपक्षीय समूह है। भारत कई देशों के साथ द्विपक्षीय स्तर पर भी इस क्षेत्र में काम कर रहा है। रेज 2020 भारत का सबसे बड़ा आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस सम्मेलन है जहां दुनिया भर के लोग इस विषय पर ङ्क्षचतन करेंगे ताकि आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस तंत्र को मानवता के प्रति संवेदनशील और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध बनाया जा सके। आप सभी रेज 2020 सम्मेलन के लिए सादर आमंत्रित हैं।-रवि शंकर प्रसाद सूचना प्रौद्योगिकी, संचार तथा कानून व न्याय मंत्री


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