पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए ममता ने कसी कमर

punjabkesari.in Monday, Dec 21, 2015 - 12:49 AM (IST)

(बचन सिंह सरल): पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव 2016 में होने वाले हैं। अनुमान है कि यह चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में होंगे। तृणमूल कांग्रेस की नेता तथा राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जो फैसले लेते समय कभी भी दुविधा में नहीं रहतीं, ने इन चुनावों के लिए तैयारी शुरू कर दी है। 

उन्होंने पिछले दिनों के दौरान कुछ जिलों में पार्टी लीडरों की अपने निवास स्थान पर बैठकें बुलाकर चुनावी रणनीति से उन्हें  अवगत करा जहां उन्हें अपने-अपने जिले में चुनाव के लिए कार्य शुरू करने के निर्देश दिए हैं, वहीं ममता ने इस बार केन्द्र की राजनीति पर भी हावी होने का इरादा बनाया है इसलिए उनकी कोशिश है कि उनकी पार्टी 2011 के चुनावों के मुकाबले इस बार विधानसभा की अधिक सीटों पर जीत प्राप्त करे। 
 
इस आशा के साथ उन्होंने लोकसभा के शीतकालीन सत्र के आरम्भ में दिल्ली का दौरा किया। इस दौरान वह कई पाॢटयों के नेताओं से मिलीं। इस सिलसिले में उनकी दो बैठकें महत्वपूर्ण मानी गई हैं। एक बैठक तो थी कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के साथ तथा दूसरी राज्यसभा सदस्य मुकुल राय के साथ। 2011 के विधानसभा चुनाव ममता ने कांग्रेस के साथ गठजोड़ कर लड़े थे और जीत प्राप्त करने बाद उन्होंने सरकार बनाई जिसमें कांग्रेस के मंत्री भी शामिल किए। बादमें यह गठजोड़ टूट गया। इस दौरान ही कुछ कांग्रेसीविधायक पार्टी छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। 
 
जहां तक मुकुल राय का संबंध है वह तृणमूल कांग्रेस में ममता बनर्जी के सबसे नजदीकी और विश्वासपात्र नेता थे। ममता बनर्जी के बाद पार्टी में उनकी दूसरे नम्बर की हैसियत थी, लेकिन शारदा चिटफंड घोटाले को लेकर दोनों में नाराजगी पैदा हो गई जिस पर मुकुल राय को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। फिर भी वह राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के सदस्य बने रहे।
 
इसी दौरान मुकुल राय के संबंध में राजनीतिक हलकों में कई प्रकार के कयास लगाए जाते रहे परन्तु मुकुल राय ने अपनी जुबान पर ताला लगाए रखा। अपने दिल्ली के दौरे दौरान सोनिया गांधी तथा मुकुल राय के साथ ममता की मुलाकात को इसीलिए राजनीतिक हलके अधिक महत्व दे रहे हैं। जहां तक सोनिया गांधी के साथ ममता बनर्जी की मुलाकात का संबंध है, कहा जाता है कि इस दौरान बंगाल विधानसभा के आगामी चुनाव लडऩे के लिए कांग्रेस तथा तृणमूल कांग्रेस का गठजोड़ बनाने  पर विचार किया गया है। यह भी कहा जाता है कि एक तरह से यह गठजोड़ बनाने के लिए दोनों ने सहमति बना ली है। 
 
यह भी कहा जा रहा है कि इस प्रस्तावित गठजोड़ के लिए दरअसल बातचीत की शुरूआत पटना में कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी तथा ममता बनर्जी के बीच उस समय हुई थी जब वे दोनों नवम्बर में नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए गए थे। समारोह के बाद राहुल गांधी तथा ममता बनर्जी के बीच हुई सीधी बातचीत बड़ी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। कहा जाता है कि उस बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने ममता को कहा था कि कांग्रेस 19 सीटों पर चुनाव लड़कर खुश होगी। इतनी ही सीटें कांग्रेस ने 2011 के चुनाव में जीती थीं। 
 
ममता बनर्जी के लिए राहुल गांधी की यह पेशकश हैरानीजनक थी क्योंकि राहुल गांधी ने अति विनम्र होकर यह पेशकश की थी। आम तौर पर गठजोड़ करने के समय पार्टियां सीटों के लिए सौदेबाजी करती हैं पर राहुल ने बिना शर्त पेशकश करके ममता बनर्जी को हैरान कर दिया। कहा जाता है कि जब ममता ने राहुल गांधी से पूछा कि इस पेशकश को उनकी मां सोनिया गांधी ने स्वीकृति दी है तो राहुल गांधी ने हां में जवाब दिया। 
 
इसके बाद जब दोनों की मुलाकात पटना से वापस आते समय हवाई अड्डे पर हुई तो राहुल गांधी ने ममता बनर्जी को दिल्ली में अपने घर चाय पर पधारने का निमंत्रण दिया। इस निमंत्रण के उत्तर में ही अपने दिल्ली दौरे दौरान ममता ने सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस मुलाकात की रोशनी में तृणमूल कांग्रेस के हलकों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी को कांग्रेस के साथ गठजोड़ करने में कोई एतराज नहीं होगा क्योंकि इसके साथ तृणमूल कांग्रेस के दोनों बड़े विरोधी वाम मोर्चा तथा भाजपा हाशिए पर चले जाएंगे।
 
जहां तक मुकुल राय के साथ मुलाकात का सवाल है, शारदा चिट फंड घोटाले के मामले को लेकर दोनों के बीच पैदा हुए मतभेद और इनके फलस्वरूप पार्टी से बर्खास्त किए जाने के बाद भी मुकुल राय ने आज तक ममता बनर्जी के विरुद्ध कोई बात नहीं कही। मुकुल राय तृणमूल कांग्रेस के महासचिव रहे हैं तथा उन्होंने पार्टी को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका अल्पसंख्यक समुदाय में काफी प्रभाव रहा है। कुछ हलके यह भी कहते रहते थे कि मुकुल राय अपनी अलग पार्टी बनाने जा रहे हैं। कुछ हलकों का कहना था कि वह भाजपा या कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे, परन्तु मुकुल राय ने इस बारे में आज तक कोई खुलासा नहीं किया। शायद यही कारण है कि ममता बनर्जी ने मुकुल राय के साथ फिर से नजदीकियां बढ़ाने का मन बनाया। 
 
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि ममता बनर्जी और मुकुल राय के बीच फिर से नजदीकियां पैदा कराने में पुरी के जगन्नाथ मंदिर के मुख्य पुरोहित ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ममता बनर्जी और मुकुल राय दोनों ही जगन्नाथ मंदिर के सेवक हैं तथा दोनों ही मंदिर के मुख्य पुरोहित  पर श्रद्धा रखते हैं। कहा जाता है कि अपनी भूल-चूक के लिए क्षमादान हेतु मुकुल ने मुख्य पुरोहित के समक्ष गुहार लगाई थी। मुख्य पुरोहित के प्रयासों के फलस्वरूप ही ममता ने अपने भतीजे अशोक बनर्जी (जो तृणमूल कांग्रेस के सांसद हैं) के घर मुकुल को खाने पर बुलाया था जहां मुकुल ने कहा था कि ममता बनर्जी ही उनकी नेता हैं।
 
ममता बनर्जी और मुकुल की इस समीपता से पार्टी के उन कुछ नेताओं को आघात लगा है जिन्हें मुकुल को निलंबित किए जाने के बाद पार्टी में महत्वपूर्ण पद मिले थे। अशोक के घर ममता के साथ मुकुल की बातचीत एक घंटे तक चली। इस बैठक में मुकुल की तृणमूल में वापसी पर मोहर लग गई।
 
दिल्ली यात्रा समय ममता ने जिन नेताओं के साथ मुलाकात की उनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल भी शामिल हैं। ममता की यह यात्रा राजनीतिक हलकों में अनेक अटकलों को जन्म दे रही है और सभी उनके अगले कदम के बारे में सोच रहे हैं। यह कदम निश्चय ही केन्द्रीय राजनीति की ओर अग्रसर करने वाला है।
 

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