हिमाचली हितों के संदर्भ में केंद्र-राज्य ‘समीकरण’

Thursday, Mar 05, 2015 - 01:25 AM (IST)

(कंवर हरि सिंह) हिमाचल प्रदेश एक विकासोन्मुख पर्वतीय राज्य है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के चलते इस राज्य को सर्वांगीण विकास के लिए हमेशा केंद्र सरकार से समर्थन एवं उदार वित्तीय सहायता पर ही अवलंबित रहना पड़ता है। केंद्र तथा राज्य में अलग-अलग राजनीतिक दलों की सत्ता होने और कई बार दोनों जगह एक ही पार्टी की हुकूमत में होते हुए भी राज्य को मिलने वाली वित्तीय सहायता हेतु समीकरण ठीक नहीं बैठते। इस समय भी प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में है जबकि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा स्पष्ट बहुमत के साथ सत्तासीन है।

केंद्र एवं राज्य के संबंधों के परिप्रेक्ष्य में विगत सप्ताह के घटनाक्रम में हिमाचल प्रदेश के हित विषयक कुछ महत्वपूर्ण फैसले हुए हैं। इनमें से जो फैसले राज्य के लिए सुखद हैं तथा व्यापक स्तर पर सराहे गए हैं, उनमें 14वें वित्तायोग के अंतर्गत केंद्र द्वारा हिमाचल को केंद्रीय करों में से मिलने वाले हिस्से को 32 प्रतिशत के स्थान पर 42 प्रतिशत स्वीकृत किया गया है। पहले से करीब 4 गुणा ज्यादा 40,625 करोड़ रुपए की राशि अगले 5 सालों के भीतर प्रदेश को मिलेगी। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस फैसले पर खुशी जताई है तथा नीति आयोग का आभार जताया है। राज्य के सभी वर्गों तथा प्रतिपक्ष सहित राजनीतिक दलों ने भी इसका स्वागत कियाहै।

दूसरा विषय जिस पर राज्य को संतोष की अनुभूति हुई, प्रदेश में 3 रेल लाइनों को आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय रेल बजट में पहले की तुलना में कुछ ज्यादा प्रावधान हैं। रेल बजट में प्रस्तावित 355 करोड़ रुपए में से 100 करोड़ रुपए की धनराशि ऊना-अंब-अंदौरा रेल लाइन को आगे दौलतपुर चौक तक विस्तार देने, 160 करोड़ रुपए भानुपलि-बिलासपुर-बेरी रेल लाइन विस्तार हेतु तथा 95 करोड़ रुपए चंडीगढ़-कालका-बद्दी रेल लाइन हेतु आबंटित हुई है। इसके अतिरिक्त ऊना से अंब-अंदौरा तक की रेल लाइन के विद्युतीकरण के लिए अलग से प्रावधान भी है जिसको कार्यान्वित करने से कई एक्सप्रैस रेलगाडिय़ों का गमनागमन अंब-अंदौरा रेलवे स्टेशन से शुरू हो जाएगा।

इनके अतिरिक्त जिन 9 सर्वेक्षणों की स्वीकृति पिछले साल के रेल बजट में की गई थी, उन्हें मुकम्मल करने के भी संकेत दिए गए हैं। प्रदेश के लिए वर्तमान भारत सरकार से जो अन्य तोहफे मिले हैं,उनमें केंद्रीय बजट 2015 में हिमाचल प्रदेश को मिला ‘एम्स’ संस्थान उल्लेखनीय है। इससे पूर्व भी हिमाचल के लिए एक आई.आई.एम. संस्थान आबंटित हुआ था। ये दोनों संस्थान इसलिए भी प्रदेश में व्यापक खुशी की लहर लाए हैं, क्योंकि एम्स को प्रदेश के बिलासपुर में तथा आई.आई.एम. को जिला सिरमौर में स्थापित करने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों में मतैक्य है।

केंद्रीय बजट 2015 में आबंटित विभिन्न विकास कार्यों योजनाओं तहत लगाई गई कई कटौतियों के कारण राज्य सरकार के 4800 करोड़ रुपए की वार्षिक योजना के कार्यान्वयन में दिक्कतें आ सकती हैं और हिमाचल सरकार को आगामी 18 मार्च को अपने राज्य के बजट प्रस्तुत करते समय अपनी वार्षिक योजना की जरूरतों के स्थानीय स्त्रोतों से समायोजन का गणित तय करना पड़ सकता है। केंद्रीय नीति के अनुसार राज्यों को आबंटित तमाम बजट का अब 62 प्रतिशत राज्य सरकारों को दिया जाना है और उसके प्रयोग तथा सद्प्रयोग का उत्तरदायित्व भी राज्य सरकारों का ही होगा। इस व्यवस्था तहत हिमाचल सरकार हर कमी के लिए केंद्र पर दोषारोपण नहीं कर सकेगी और जवाबदेही के साथ संस्थानों का समयबद्ध इस्तेमाल सुनिश्चित करना राज्य सरकार के लिए जरूरी होगा।

हिमाचल प्रदेश के लिए विशेष पहाड़ी राज्य का दर्जा देकर पूर्वोत्तर राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर राज्य की तर्ज पर विशेष आर्थिक पैकेज, प्रोत्साहन तथा वित्त पोषण 90:10 के अनुपात में किया जाना अहम है। वहीं,प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए वाजपेयी काल में दिए गए विशेष पैकेज को बहाल करने की जरूरत है।

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