पाकिस्तान में लिया गया एक और ऐतिहासिक फैसला

punjabkesari.in Thursday, Mar 14, 2024 - 06:08 AM (IST)

एक ऐतिहासिक फैसले में पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ जरदारी ने अपनी 31 वर्षीय बेटी आसिफा भुट्टो को औपचारिक रूप से देश की प्रथम महिला के रूप में मान्यता देने का फैसला किया है। प्रथम महिला का दर्जा आम तौर पर देश के राष्ट्रपति की पत्नी को मिलता है। और अब, जरदारी ने देश में आर्थिक चुनौतियों के मद्देनजर अपना वेतन छोडऩे की भी घोषणा की है। उनके कार्यालय ने कहा कि उन्होंने विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के प्रयास में यह निर्णय लिया।

जरदारी देश के इतिहास में दूसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति के प्रतिष्ठित पद पर चुने जाने वाले पहले राष्ट्रपति हैं। इससे पहले पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) की नेता मरियम नवाज पश्चिमी पंजाब की मुख्यमंत्री चुनी जाने वाली पहली महिला थीं। पश्चिमी पंजाब की आबादी पाकिस्तान में सबसे ज्यादा है और लाहौर को पाकिस्तान की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाता है।
आसिफा को प्रथम महिला का खिताब मिलने पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया काफी हद तक सकारात्मक रही है। राष्ट्रपति जरदारी ने 2007 में अपनी पत्नी और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद पुर्ननिवाह का विकल्प नहीं चुना।

परिणामस्वरूप, 2008 से 2013 तक, देश के राष्ट्रपति के रूप में उनके प्रारंभिक कार्यकाल के दौरान प्रथम महिला की भूमिका खाली रही। पाकिस्तान के कानूनी विशेषज्ञों ने पुष्टि की कि राष्ट्रपति के पास अपने परिवार की किसी भी महिला सदस्य को उपाधि प्रदान करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि ऐसी नियुक्ति को रोकने में कोई कानूनी बाधा नहीं है। कानून के मुताबिक, राष्ट्रपति के परिवार के सदस्य यात्रा के दौरान आधिकारिक आवास, विमान और अन्य सुविधाओं का उपयोग करने के लिए अधिकृत हैं। उनके पास अपने उपयोग के लिए रेलवे सैलून और आधिकारिक वाहन प्राप्त करने का भी विकल्प है। राष्ट्रपति द्वारा प्राप्त भत्ते संबंधी कानून परिवार पर भी लागू होंगे।

आसिफा की नानी नुसरत भुट्टो, सैन्य तानाशाह जिया-उल-हक की पत्नी शफीक जिया और इस्कंदर मिर्जा की पत्नी नाहिद मिर्जा सहित कुछ प्रथम महिलाएं राजनीति में भी सक्रिय रहीं। आसिफा का जन्म 3 फरवरी 1993 को हुआ था। वह पाकिस्तान की पहली लड़की थीं, जिन्हें देश के पहले राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस पर पोलियोरोधी टीका लगाया गया था। उनकी मां, तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर ने 1994 में एक बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया था। बेनजीर ने अभियान के समर्थन के रूप में व्यक्तिगत रूप से आसिफा का टीकाकरण किया।

अगस्त 2012 में, आसिफा भुट्टो -जरदारी को पोलियो उन्मूलन के लिए पाकिस्तान के सद्भावना राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया। पाकिस्तान में पोलियो उन्मूलन राजदूत के रूप में उनकी भूमिका ने उन्हें अपने भाई-बहनों की तुलना में आम जनता के बीच एक परिचित चेहरा बना दिया । राजदूत के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, आसिफा ने इस बीमारी को खत्म करने के लिए अभियान चलाया, अधिकारियों के साथ काम किया और पोलियो से प्रभावित परिवारों का दौरा किया।

आसिफा ने जुलाई 2016 में ऑक्सफोर्ड ब्रूक्स यूनिर्वसिटी से राजनीति और समाज शास्त्र में स्नातक की डिग्री और यूनिर्वसिटी  कॉलेज लंदन से वैश्विक स्वास्थ्य और विकास में मास्टर डिग्री हासिल की। 21 साल की उम्र में, वह ऑक्सफोर्ड यूनिर्वसिटी स्टूडैंट यूनियन को  संबोधित करने वाली सबसे कम उम्र की पाकिस्तानी बन गईं। उन्होंने 30 नवंबर, 2020 को मुलतान में एक रैली में अपनी राजनीतिक शुरूआत की। 2022 में, खानेवाल में एक पी.पी.पी. जुलूस के दौरान, मीडिया ड्रोन की चपेट में आने से उन्हें मामूली चोटें आईं। 2024 के पाकिस्तानी आम चुनाव के दौरान, आसिफा ने पी.पी.पी. के अभियान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, अपने भाई बिलावल, जो पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे, के समर्थन में रैलियों का नेतृत्व किया। -राज सदोष


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