...और अब कैलाश विजयवर्गीय ने दिया महिलाओं की पोशाक बारे अटपटा बयान
punjabkesari.in Monday, Apr 10, 2023 - 05:36 AM (IST)

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि राजनीति से जुड़ी महिलाओं, विशेषकर अश्वेत महिलाओं को विभिन्न स्तरों पर शोषण तथा पक्षपात का सामना करना पड़ता है ताकि उन्हें हतोत्साहित व खामोश किया जा सके। उन पर गलत कमैंट किए जाते हैं।
भारत को मातृशक्ति पूजक देश कहा जाता है तथा हमारे धर्मग्रंथों में भी लिखा है कि जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं परंतु हमारे अनेक नेतागण महिलाओं की मर्यादा के विरुद्ध अनावश्यक बयानबाजी कर रहे हैं। एक समाचार के अनुसार वर्ष 2022 में हमारे विभिन्न नेताओं ने महिलाओं के प्रति कम से कम 10 आपत्तिजनक बयान दिए।
गत वर्ष महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने राकांपा सांसद सुप्रिया सुले को राजनीति छोड़ घर जाकर खाना बनाने को कह दिया था। और अब भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भारतीय संस्कारों की दुहाई और युवतियों को अच्छे कपड़े पहनने की सलाह देते हुए कहा है कि ‘‘गंदे (वल्गर) कपड़े पहन कर बाहर निकली लड़कियां बिल्कुल शूर्पणखा लगती हैं। शिक्षा जरूरी नहीं संस्कार जरूरी हैं।’’
उल्लेखनीय है कि रामायण में शूर्पणखा लंका के राजा रावण की बहन और ऋषि विश्रवा की बेटी थी। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस बयान पर नाराजगी जताते हुए पार्टी हाईकमान से विजयवर्गीय के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है।
यहां यह लिखना भी अप्रासंगिक नहीं होगा कि यदि विधि निर्माता राजनीतिज्ञ ही महिलाओं के प्रति ऐसी अशोभनीय टिप्पणियां करेंगे तो इससे विदेशों में भारत की क्या छवि जाएगी और आम जनता पर इस तरह की टिप्पणियों का अपने नेताओं के प्रति क्या प्रभाव पड़ेगा? कम से कम किसी नेता में इतने बुनियादी संस्कार तो होने ही चाहिएं कि वह अपनी वाणी से समाज के किसी भी वर्ग के सदस्यों की भावनाएं आहत न करे। देखना यह है कि विजयवर्गीय पर कोई कार्रवाई होगी या नहीं? आखिर यह सिलसिला कब बंद होगा।