ईरान में विरोध लोगों के गुस्से की अभिव्यक्ति

punjabkesari.in Monday, Nov 28, 2022 - 05:22 AM (IST)

कतर  फीफा विश्वकप के दौरान इंगलैंड के साथ शुरूआती मुकाबले में राष्ट्रगान गाने से इंकार करके ईरानी फुटबाल टीम ने अब तक के सबसे बड़े दर्शकों और दुनिया भर के अरबों लोगों के समक्ष एक ऐतिहासिक उदाहरण दिया है। ईरान में हिजाब को लेकर सितम्बर में अशांति शुरू हुई थी जब एक 27 वर्षीय कुर्दिश महिला महसा अमीनी, जिसकी ईरान पुलिस की हिरासत में मृत्यु हो गई थी, समाप्त होने के कोई संकेत नहीं दिखाती है। अमीनी पर आरोप था कि उसने ठीक तरह से हिजाब नहीं पहना था और उसके बाल खुले हुए थे। 

अपराध की प्रकृति और इसकी सजा ने महिला फिल्मी सितारों, फैशन की दुनिया और राजनीति की महिलाओं द्वारा प्रदर्शन के एक नए रूप को आमंत्रित किया। यहां तक कि यूरोपियन सांसदों ने भी इसमें भाग लिया। इन महिलाओं ने कैमरे के समक्ष बड़ी आसानी से अपने बाल कटवा लिए। यह एक वैश्विक परिघटना बन गई है। 

लोगों को सितम्बर के पहले दिन से ही यह शक था जब ईरान में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। सूचना के स्रोत संदिग्ध थे। उदाहरण के लिए यूरोप में एक एसोसिएटेड प्रैस रिपोर्टर ने प्रदर्शनकारियों के मार्च का एक ग्राफिक विवरण दिया जबकि हमारे अपने सीमित स्रोतों ने हमें बताया कि ईरानी सरकार द्वारा इंटरनैट को ब्लॉक (अवरुद्ध) कर दिया गया है। 

यहीं पर अमरीकी अपने लिब्रेशन टैक्नोलॉजी मूवमैंट के साथ आते हैं। यह ऐसा कुछ नहीं है जिसे अमरीकी नकारते हैं बल्कि वह इसे हर जगह लोकतंत्र के सामान्य प्रचार में अपनी आस्तीन पर पहनते हैं। विदेश मंत्री एस.जयशंकर के साथ संयुक्त राष्ट्र में उनकी बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए अमरीकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा ईरानी प्रदर्शनकारियों के लिए मदद की घोषणा की गई। ब्लिंकन से पूछा गया था कि कैसे अमरीका ने राज्य दमन के खिलाफ ईरानी प्रदर्शनकारियों की मदद करने का प्रस्ताव रखा। ङ्क्षब्लकन ने वस्तुत: उन उपकरणों का संकेत दिया जो ईरानी प्रदर्शनकारियों को उपलब्ध करवाए जाएंगे। 

ब्लिंकन जिस तकनीक के बारे में बात कर रहे थे उसे पूर्व में ओबामा प्रशासन द्वारा सीरियाई अभियानों के दौरान सिद्ध किया गया था। मुझे इसके बारे में ‘न्यूयार्क टाइम्स’ के दो पत्रकारों जेम्स ग्लान्स और जॉन मार्कोफ से पता चला। रिपोर्टरों के अनुसार यह ओबामा प्रशासन था जो ‘छाया’ इंटरनैट और मोबाइल फोन सिस्टम को तैनात करने के वैश्विक प्रयास का नेतृत्व कर रहा था जिसका उपयोग असंतुष्ट दमनकारी सरकारों को कमजोर करने के लिए कर सकते हैं। 

निश्चित रूप से यह सब ईरान में लक्षित अभिजात वर्ग के लिए उपलब्ध है। वे कैसे प्रतिक्रिया करते हैं? इसके अलावा हम कैसे पता लगा सकते हैं कि तेहरान में सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग बढ़ते विरोधों से निपटने की योजना  बना रहा है? ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने हमें कुछ सप्ताह पूर्व सचेत किया था कि विरोध प्रदर्शन जो महिलाओं की प्राण पोषक बहादुरी दिखाते हैं वे पुरुषों की मदद से नीच व्यवस्था को हटाने को संभव बना सकते हैं। जब ‘द इकोनॉमिस्ट’ या अन्य ईरान में विरोध प्रदर्शन का समर्थन करते हैं तो हाल के वर्षों में लोगों की प्रवृत्ति संदेह की टोपी पहनने और सूचना के वैकल्पिक स्रोतों की खोज करने की रही है। ईरान की राष्ट्रीय फुटबाल टीम का विरोध पूरी दुनिया में सामने आया। हम सबने इसे टी.वी. पर लाइव देखा। यह बेहद प्रमाणिक लग रहा था। 

यह आंदोलन हिजाब के मुद्दे से कहीं आगे निकल गया है जोकि वैसे भी हमेशा एक अतिशयोक्ति थी। मैं पूरे ईरान के उन होटलों में रुका हूं जहां हमेशा एक तख्ती लगी रहती थी जिसमें महिला मेहमानों को सिर ढंक कर ईरानी संस्कृति का सम्मान करने की सलाह दी जाती थी। मुझे यह कभी आपत्तिजनक नहीं लगा। वास्तव में सड़कों पर और कई सामाजिक संस्थानों में महिलाएं सबसे फैशनेबल पश्चिमी परिधानों में दिखती थीं। वे अब हिजाब को त्याग देंगी या इसे अपने सबसे भड़कीले रूप में पहनेंगी। केवल आधे सिर को ढंकने वाला दुपट्टा लगभग फैशन है। 

यह प्रदर्शन एक ऐसे समाज का विस्फोट है जो कई तरह की आर्थिक बुराइयों से कराह रहा है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खोमैनी ने स्वयं इस मामले के मूल ङ्क्षबदू अर्थव्यवस्था पर उंगली उठाई है। ऐसा उन्होंने संस्कृति और शिक्षा के शहर इस्फहान में एक महत्वपूर्ण भाषण के दौरान कहा था। ईरान कई आॢथक और सामाजिक समस्याओं का सामना करता है। विरोध लोगों के गुस्से की अभिव्यक्ति है। दुश्मन (अमरीका) इस गुस्से का फायदा उठा रहा था। 

इसका सीधा-सा कारण यह था कि इस्लामी क्रांति की प्रगति पश्चिमी दुनिया के उदार लोकतंत्र के तर्क को अमान्य कर देती है। जितना हो सकता है मैं उतने स्रोतों से बात करने के बाद निश्चित रूप से कह सकता हूं कि इन विरोध प्रदर्शनों ने ईरानी शासन को झकझोर कर रख दिया है लेकिन यह पतन के करीब नहीं है। मरने वाले सैंकड़ों लोगों को शासन समर्थक बुद्धिजीवियों द्वारा ‘मौत का निर्माण’ करने का दोषी ठहराया जा रहा है। जब सरकार इस तरह की सामग्री प्रकाशित करती है तो उसमें सच्चाई की बू नहीं बल्कि इसके ठीक विपरीत होता है।-सईद नकवी 
        


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