5 सालों में बर्बाद कर दिया 6 लाख लीटर खून

punjabkesari.in Friday, Apr 28, 2017 - 12:28 AM (IST)

पूरे देश में स्थित ब्लड बैंकों ने गत पांच सालों में बेशकीमती इंसानी खून और इसके जरूरी अंश की 28 लाख यूनिट्स यूं ही बर्बाद कर दीं। इससे देश के ब्लड बैंक सिस्टम पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। यह नुक्सान कुल जमा मात्रा का करीब 6 प्रतिशत है। अगर बर्बाद हुए खून को लीटर में मापें तो यह करीब 6 लाख लीटर होता है। यह इतनी मात्रा है, जिससे पानी के 53 वॉटर टैंकर्स भरे जा सकते हैं। 

महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे राज्य इस बर्बादी में सबसे आगे रहे। इन राज्यों ने न केवल खून, बल्कि खून के कई जीवन रक्षक अंश मसलन-रैड ब्लड सैल्स और प्लाजमा भी बर्बाद कर दिए। सिर्फ 2016-17 में 6.57 लाख यूनिट खून और अन्य अवयव फैंक दिए गए। चिंताजनक बात यह है कि बर्बाद खून की यूनिट्स का 50 प्रतिशत हिस्सा प्लाजमा है, जिसको स्टोर करके सुरक्षित रखने की अवधि समूचे खून या आर.बी.सी. के मुकाबले करीब एक साल ज्यादा होती है। वहीं खून या आर.बी.सी. को 35 दिनों के अंदर इस्तेमाल किया जा सकता है। 

ब्लड बैंकों में इतने बड़े पैमाने पर खून की बर्बादी का खुलासा एक आर.टी.आई. के जवाब में नैशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (नाको) की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से हुआ है। यह आर.टी.आई. चेतन कोठारी नाम के शख्स की ओर से लगाई गई थी। आर.टी.आई. में मिली जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र इकलौता राज्य है, जहां ब्लड कलैक्शन का आंकड़ा 10 लाख लीटर पार कर गया। हालांकि, खून की बर्बादी के मामले में भी यह राज्य टॉप पर रहा। इसके बाद पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश का नंबर आता है। महाराष्ट्र, यू.पी. और कर्नाटक जैसे राज्य आर.बी.सी. बर्बाद करने के मामले में टॉप तीन पोजीशन पर रहे। वहीं ताजे जमे हुए प्लाजमा को फैंकने के मामले में यू.पी. और कर्नाटक सबसे आगे रहे। 

2016-17 में जमे हुए प्लाजमा के तीन लाख यूनिट से ज्यादा बर्बाद हुए। यह ज्यादा दुखद इसलिए भी है क्योंकि देश की बहुत सारी फार्मा कंपनियां एल्बुमिन तैयार करने के लिए इसका आयात करती हैं। यह एक तरह का प्रोटीन है, जो प्राकृतिक तरीके से लिवर द्वारा तैयार होता है। कोठारी ने कहा, ‘‘ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं क्योंकि देश में खून की कमी एक बहुत बड़ी समस्या है। यह कमी हर जगह है, चाहे सुदूर ग्रामीण इलाके हों या फिर दिल्ली और मुंबई जैसे महानगर।’’ बता दें कि भारत में सालाना 30 लाख यूनिट खून की कमी पड़ती है। दुर्घटना के मामलों में अक्सर खून, प्लाजमा या प्लेटलैट्स की कमी मौत की वजह बन जाती है। 

भारतीय रैडक्रॉस सोसाइटी की डा. जरीन भरूचा ने कहा है कि 500 यूनिट तक का संग्रह किया जा सकता है लेकिन सुनने में आता है कि एक हजार से 3 हजार यूनिट खून एकत्रित किया जाता है। इतने सारे खून को स्टोर करने के लिए स्थान कहां है? लोग नियमित तौर पर बैंकों में जाकर हर तीन महीने में एक बार रक्तदान कर सकते हैं।                    


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