‘सीरियाई संकट’ की 10वीं वर्षगांठ : मेरी नजर में

punjabkesari.in Monday, Mar 29, 2021 - 04:25 AM (IST)

1952 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पं. गोविंद वल्लभ पंत ने अपने आदेश से जमींदारी प्रथा को समाप्त कर दिया। प्रतिष्ठा और जीवनशैली में अचानक गिरावट आई। दरबारियों ने गांवों में व्याप्त अराजकता की कहानियों को खत्म कर दिया क्योंकि ‘हजूर’ की शक्तियां समाप्त हो गई थीं। 

यह दुखद, नकली ‘दादागिरी’ तब तक ही रही जब तक हाथियों पर बक्से रहे। पूर्व सी.आई.ए. अधिकारी ग्राहम ई. फुल्लर ने विदेशी मामलों को लेकर अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और विदेश मंत्री ब्लिकेन की आक्रामक शैली पर लिखा। फुल्लर के अनुसार, ‘‘अमरीकी नेतृत्व में एक नए प्रकार का रिकार्ड स्थापित किया गया है। बाइडेन प्रशासन की विदेश नीति के पहले दिनों के 48 घंटों के भीतर ही उन्होंने विश्व की शक्तियों को निजी तौर पर अपमान करने के प्रबंध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।’’ 

राष्ट्रपति बाइडेन ने व्लादिमीर पुतिन को एक ‘हत्यारा’ कह कर संबोधित किया जिसमें एक आत्मा की कमी है। ङ्क्षब्लकेन ने भी चीन का उतना ही अपमान किया है। इस देश के अपने स्वयं की अपूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था में गर्व के लिए कुछ आधार हैं। ऐसा कोई भी लोकतांत्रिक आदेश सही नहीं है। फिर भी यही स्वीकार करने में कितना समय लगता है कि चीनी माक्र्सवादी पार्टी ने पिछले 30 वर्षों में क्या पूरा किया है? क्या चीन ने आधे से एक अरब लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है? और उन्हें मध्यम वर्ग के जीवन में प्रवेश दिलाया है। 

फुल्लर ने सीरियाई संकट की 10वीं वर्षगांठ पर जो कुछ लिखा है उसे मैंने पश्चिमी शक्तियों द्वारा आक्रामक रूप से देखा है। फुल्लर क्षेत्र को पीछे की ओर से जानते हैं। रणनीतिक कारणों से सीरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए 1983 में रीगन प्रशासन को सलाह देने वाला एक प्रमुख नीति दस्तावेज उसी की करतूत थी। मेरे पास यह दस्तावेज है जो 2008 में जारी किया गया था। इसे 25 वर्षों तक गुप्त रखा गया। सीरिया के पड़़ोस में दमिश्क और लगभग सभी संकट स्थलों का दौरा करने के बाद मैंने आब्जर्वर रिसर्च फाऊंडेशन, ‘द स्टार्म इन द अरब स्प्रिंग’ के लिए एक पत्र लिखा, जो सीरिया में मचे तूफान के बारे में था। मैं अमरीका, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यू.के. के विदेश मंत्रियों के बयानों पर एक नजर दौड़ाने के लिए अपने आप को योग्य महसूस करता हूं। यह बयान त्रासदी की शुरूआत की 10वीं वर्षगांठ पर जारी किए गए। 

एक आरोप जो विदेश मंत्रियों ने दोहराया है वह स्पष्ट है। इस आरोप के तहत सीरिया के राष्ट्रपति बशर-अल-असद ने अपने ही लोगों के खिलाफ घृणास्पद अभियान शुरू किया है जो कुशासन, भ्रष्टाचार तथा आॢथक संकट के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे।  यह सत्य नहीं मैं शुरू में दमिश्क  में ही था। ओबामा प्रशासन की कार्रवाई पर पहले से ही रिपोर्टें थीं कि इंटरनैट और मोबाइल फोन सिस्टम जिसका इस्तेमाल असंतुष्ट लोग दमनकारी सरकार को कमजोर करने के लिए कर सकते थे, को बंद कर दिया।

ओबामा प्रशासन पूरे संचार नैटवर्क को बंद कर उन्हें चुप करवाना चाहता था। असद से लडऩे के लिए उदारवादियों की ट्रेनिंग के तहत 500 मिलियन डालर का एक प्रोजैक्ट तैयार किया गया जिसकी समाप्ति वाशिंगटन के लिए एक शॄमदगी के तौर पर हुई। अमरीका के एकमात्र सुपर पावर होने के क्षण में देशों ने अमरीकी नाम लेने से प्रतिक्रिया दी। उनके अनुसार आतंकवादियों के पोषण के लिए अमरीका पर कैसे आरोप लगाया जा सकता है। 

बगदादी को परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए एक संक्षिप्त पृष्ठभूमि तैयार की। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को ईराक से अमरीकी सैनिकों के जाने से पहले प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी के साथ स्थिति समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने के लिए बाध्य किया गया था। वाशिंगटन उसे बाहर करना चाहता था। अगस्त 2014 में ओबामा ने न्यूयार्क टाइम्स के थॉमस फ्रीडमैन को एक महत्वपूर्ण साक्षात्कार दिया। उनसे पूछा गया कि जून-जुलाई 2014 में आई.एस.आई.एस. के खिलाफ उन्होंने आखिर क्यों नहीं हवाई हमलों का आदेश दिया जब इसने अपना सिर उठाया था। 

ओबामा ने यह माना कि जुलाई में बगदादी के ऊपर हवाई हमलों से नूरी अल मलिकी से दबाव ले लिया जा सकता था। नूरी ईराक के अमरीकी विरोधी शिया प्रधानमंत्री थे। कहानी की नीति कहती है कि आतंकवादी परिस्थितियों में सम्पत्ति हो सकते हैं।-सईद नकवी
         


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