ग्लोबल वार्मिंग से चिंतित भारत समेत 30 देशों और 6 प्रमुख कंपनियों ने लिया संकल्प, 2040 तक बंद कर देंगे ICE व्हीकल्स

punjabkesari.in Thursday, Nov 11, 2021 - 11:14 AM (IST)

ऑटो डेस्क। फोर्ड, मर्सिडीज-बेंज, जनरल मोटर्स और वोल्वो सहित 6 प्रमुख व्हीकल मेकर कंपनियों और 30 देशों की सरकारों ने बुधवार को दुनिया भर में 2040 तक गैसोलीन और डीजल से चलने वाले वाहनों की बिक्री को बंद करने का संकल्प लिया है। टोयोटा, वोक्सवैगन और निसान-रेनॉ सहित दुनिया के कुछ और बड़ी कार कंपनियां इस संकल्प में शामिल नहीं हुई हैं। हालांकि इसमें शामिल होने के लिए कानूनी बंधन नहीं था। इनके अलावा तीन सबसे बड़े कार बाजार, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जापान की सरकार भी इसमें शामिल नहीं हुई हैं।
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अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वार्ता के दौरान की गई इस घोषणा को जलवायु अधिवक्ताओं ने एक संकेत के रूप में स्वीकार किया कि इंटरनल कंब्शंन इंजन के दिन जल्द ही जाने वाले हैं। कस्टमर्स भी अब इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की ओर रुख कर रहे हैं। इलेक्ट्रिक व्हीकल हर साल नए बिक्री के ग्लोबल रिकॉर्ड बना रहे हैं और प्रमुख कार कंपनियों ने अपने प्लांट्स में बैटरी से चलने वाली नई कारों और हल्के ट्रकों को निकालने के लिए अरबों डॉलर का निवेश करना शुरू कर दिया है।
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इस संकल्प पर सिग्नेचर करने वाली व्हीकल कंपनियों का 2019 की ग्लोबल बिक्री में लगभग एक-चौथाई हिस्सा रहा है। इस यूनियन में शामिल होने वाले 30 देशों में भारत के अलावा ब्रिटेन, कनाडा, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड और स्वीडन जैसे देश शामिल रहे।
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इस यूनियन में भारत का शामिल होना खास है, क्योंकि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटो बाजार है और इससे पहले अपनी कारों से उत्सर्जन को समाप्त करने के लिए उसने कोई कमिटमेंट नहीं लिया है। तुर्की, क्रोएशिया, घाना और रवांडा जैसे अन्य देश भी इस दिशा में पहली बार कमिटमेंट दिखा रहे हैं।
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इस समझौते में कहा गया है कि व्हीकल मेकर कंपनियां 2035 या उससे पहले दुनिया के प्रमुख बाजारों में 100 प्रतिशत जीरो-एमिशन नई कारों की बिक्री की दिशा में काम करेंगे। जीरो-एमिशन व्हीकल्स में प्लग-इन इलेक्ट्रिक व्हीकल या हाइड्रोजन फ्यूल-सेल व्हीकल शामिल हो सकते हैं। कुछ एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि इलेक्ट्रिक कारें अभी भी इनडायरेक्टली एमिशन प्रोड्यूस कर सकती हैं। उदाहरण के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को कोयले या प्राकृतिक गैस जलाने वाले प्लांट्स से रिचार्ज किया जाता है, लेकिन उन्हें आम तौर पर कंब्शंन इंजन वाले व्हीकल्स की तुलना में ज्यादा स्वच्छ माना जाता है और वे अपने टेलपाइप से पॉल्यूशन भी जनरेट नहीं करते हैं।
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हाल के वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग और एयर पॉल्यूशन से चिंतित भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को भारी सब्सिडी देना शुरू कर दिया है। इसके अलावा गैसोलीन और डीजल-फ्यूल पर कड़े एमिशन स्टैंडर्ड को लागू करना शुरू कर दिया है। चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित दुनिया भर की सरकारें भी इसी दिशा में काम कर रही हैं।


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Content Writer

Akash sikarwar

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