‘विश्व शांति भारी खतरे में’ ‘युद्ध हुआ कि हुआ’

punjabkesari.in Thursday, Feb 24, 2022 - 04:51 AM (IST)

वर्ष 2020 के शुरू में कोरोना महामारी ने विश्व को अपनी लपेट में ले लिया, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 60 लाख लोगों की मौत हो चुकी है और अब यह प्रकोप कम होता दिखाई दे रहा है, परंतु इसी बीच यूक्रेन तथा रूस में बढ़ रहे तनाव ने दुनिया को चिंता में फिर डाल दिया है। यह टकराव बढ़ते-बढ़ते यहां तक पहुंच गया कि जब 15 फरवरी तक रूसी सेनाओं ने तीन ओर से यूक्रेन को घेर कर वहां अपने डेढ़ लाख सैनिक तैनात कर दिए तो उसे रोकने के लिए इंगलैंड, कनाडा तथा अमरीका ने भी खतरनाक हथियारों सहित बड़ी मात्रा में सैन्य सामग्री वहां भेज दी है। 

ऐसे हालात में अचानक रूस के रक्षा मंत्रालय द्वारा 15 फरवरी शाम को यूक्रेन की सीमा से आंशिक रूप से युद्धाभ्यास कर रही कुछ सैन्य टुकडिय़ों को हटाना शुरू करने की घोषणा के बाद रूस के राष्टï्रपति पुतिन ने कहा कि रूस ‘नाटो’ व अमरीका से वार्ता के लिए तैयार है और युद्ध नहीं चाहता।  

इस संबंध में हमने 16 फरवरी के संपादकीय ‘रूस हटाने लगा यूक्रेन से अपनी सेना : तीसरे विश्व युद्ध का खतरा टलने के संकेत’  में लिखा था कि ‘‘फिलहाल पूरी दुनिया को युद्ध का खतरा टलता दिखाई दे रहा है।’’ पर अगले ही दिन 17 फरवरी को रूस ने अपने आश्वासन से पलटते हुए यूक्रेन के निकट अपने सैनिक और बढ़ा दिए तथा बड़ी संख्या में लड़ाकू हैलीकाप्टरों, बख्तरबंद गाडिय़ों और तोपखानों के साथ-साथ रूसी सेनाएं आगे बढऩे लगीं। नाटो में अमरीकी राजदूत माइकल कारपेंटर ने आरोप लगाया कि यूक्रेन की सीमा के निकट रूस के लगभग 1,90,000 सैनिक तैनात हैं। 

19 फरवरी को रूस ने अपनी बैलिस्टिक क्रूज मिसाइलों के साथ युद्धाभ्यास शुरू करके यूक्रेन के निकट लड़ाकू रूसी विमान भी तैनात कर दिए और पुतिन ने 21 फरवरी को अचानक पूर्वी यूक्रेन के विद्रोही इलाकों डोनेट्स्क और लुहांस्क को आजाद देश घोषित करके तथा रूस की संसद ने रूसी कमांडरों को यूक्रेन पर हमला करने का आदेश देकर संकट को और बढ़ा दिया। रूस के इस फैसले से भड़के इंगलैंड ने रूस के 5 बैंकों पर प्रतिबंध के अलावा 3 सर्वाधिक अमीर रूसियों की सम्पत्ति जब्त कर ली है। अमरीका ने भी रूस द्वारा यूक्रेन में अपनी सेना भेजने के जवाब में रूस पर 2 बड़े प्रतिबंध लगाते हुए उसके साथ व्यापार बंद कर दिया और रूस को पश्चिमी देशों से मिलने वाली मदद भी रोकने की घोषणा कर दी। वहीं जर्मनी ने रूस की महत्वाकांक्षी ‘नार्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन’ पर रोक लगा दी और जापान, आस्ट्रेलिया, कनाडा व फ्रांस ने भी रूस पर कुछ प्रतिबंध लगा दिए हैं जिन पर पुतिन का कहना है कि प्रतिबंधों से समस्या हल नहीं होगी। 

इंगलैड के रक्षा सूत्रों के अनुसार रूस अपने हमले की शुरूआत दुनिया में सबसे शक्तिशाली बम ‘फादर आफ आल बाम्ब्स’ से कर सकता है जिसके फटने से 44 टन टी.एन.टी. के बराबर विस्फोट होगा। यह परमाणु बम जापान के हीरोशिमा में अमरीका द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध में गिराए गए बम ‘लिटल ब्वाय’ से 3333 गुणा अधिक शक्तिशाली तथा दूसरे विश्व युद्ध में प्रयुक्त समूचे गोला बारूद से 10 गुणा अधिक ताकतवर है। हीरोशिमा पर गिराए गए बम में 66,000 लोग मारे गए थे तथा 69,000 घायल हुए थे।

रूस द्वारा अपने सर्वाधिक शक्तिशाली बम का इस्तेमाल करने पर होने वाली प्राण हानि की कल्पना करके ही दिल दहल उठता है। रूस के पांच विनाशकारी हथियारों से अमरीका तथा नाटो के देश भी खौफ खाते हैं और उनका कहना भी है कि यूक्रेन के लिए तो रूस का एक धमाका ही काफी है। अब अचानक पूर्वी यूक्रेन में रूसी सैनिकों के घुसने के बाद दोनों देशों में तनाव चरम पर है। हालांकि अभी तक औपचारिक रूप से युद्ध की घोषणा नहीं हुई है लेकिन यूक्रेन ने कहा है कि पिछले 24 घंटों के दौरान भारी गोलीबारी में उसके 2 सैनिक मारे गए और 12 घायल हुए हैं। 

संयुक्त राष्ट्र की आपात बैठक में भारत ने इस विषय पर सैन्य कार्रवाई को अनुचित करार देते हुए तुरंत राजनयिक बातचीत का आह्वान किया है। अब दुनिया दो धु्रवों में बंटती दिखाई दे रही है। जहां चीन खुल कर रूस के पक्ष में आ गया है और उसने अपने मीडिया को रूस के विरुद्ध कुछ भी लिखने से मना कर दिया है वहीं इसी मुद्दे पर अमरीका व उसके मित्र देश रूस के सामने आते दिखाई दे रहे हैं। इस समय जहां रूसी सेना के 100 से अधिक ट्रकों के यूक्रेन की ओर कूच करने की खबर है तो दूसरी ओर अमरीकी राष्ट्रपति बाइडेन ने साफ कर दिया है कि वह नाटो देशों की मदद के लिए फोर्स भेज रहे हैं। यूक्रेन ने देश में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया है तथा रूस के कानूनी मंत्री सहित 351 अधिकारियों पर 10 वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया है और यहां से लोगों का पलायन शुरू हो गया है। 

रूस की सेना राजधानी कीव समेत यूक्रेन के कई शहरों पर एक साथ हमला करने की तैयारी कर रही है। यदि रूस और यूक्रेन का विवाद युद्ध में बदल गया तो इससे सभी देशों की अर्थव्यवस्था बिगडऩे, महंगाई बढऩे, दुनिया भर में तेल की कीमतों में उछाल आने के अलावा फार्मा सैक्टर के बुरी तरह प्रभावित होने की संभावना है। हालांकि पुतिन ने 23 फरवरी को फिर कहा है कि वह बात करने को तैयार हैं परंतु उन्होंने यह भी कहा है कि रूस अपने हितों से समझौता नहीं करेगा और उसने ब्लू बैटल फील्ड में युद्ध की तैयारियां तेज कर दी हैं। पल-पल बदलते हालात के बीच आने वाले 24 घंटों में क्या हो जाए कहना मुश्किल है परंतु यदि यह युद्ध छिड़ गया तो यह इन दोनों देशों के लिए ही नहीं बल्कि समूचे विश्व के लिए तबाही का संदेश लेकर आएगा और जितनी तबाही 6 वर्ष (1939-1945) चले द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई थी, उससे भी अधिक तबाही चंद दिनों में ही हो जाएगी।—विजय कुमार 


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