मंगलकारी सिद्ध हुआ मंगलवार ‘मौत की सुरंग’ से बाहर आए 41 मजदूर

punjabkesari.in Wednesday, Nov 29, 2023 - 04:05 AM (IST)

12 नवम्बर को अचानक उत्तराखंड के उत्तरकाशी से 30 किलोमीटर दूर निर्माणाधीन ‘सिलक्यारा सुरंग’ का एक हिस्सा सुबह साढ़े पांच बजे ढह जाने से उसमें काम कर रहे 8 राज्यों के 41 मजदूर फंस गए। उत्तरकाशी ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर 845 करोड़ रुपए की लागत से निर्माणाधीन 4.5 किलोमीटर लम्बी यह सुरंग केंद्र सरकार की  ‘चारधाम आल वैदर सड़क परियोजना’ का हिस्सा है। जुलाई, 2018 में इस सुरंग का निर्माण शुरू हुआ था तथा 14 मई, 2024 तक इसका निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके निर्माण के बाद 25.6 किलोमीटर की दूरी घट कर 4.531 किलोमीटर रह जाएगी तथा यात्रा में लगने वाला समय 50 मिनट से घट कर मात्र 5 मिनट रह जाएगा। 

21 नवम्बर को सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए लगातार जारी प्रयासों के बीच एंडोस्कोपी के जरिए, कैमरा अंदर भेजा गया और मजदूरों की तस्वीर पहली बार सामने आई तथा उनसे बात भी की गई। 
22 नवम्बर को मजदूरों तक भोजन पहुंचाने में सफलता मिली और ऑगर मशीन द्वारा 15 मीटर से अधिक ड्रिलिंग भी की गई। मजदूरों के बाहर निकलने की संभावना के दृष्टिगत डाक्टरों की टीम तथा 41 एम्बुलैंसें भी ‘रैस्क्यू स्पॉट’ पर मंगवाने के अलावा 41 बिस्तरों का अस्पताल भी तैयार कर लिया गया। 23 नवम्बर को ड्रिलिंग शुरू होते ही अमरीकन ‘ऑगर’ मशीन खराब हो गई, जिसे ठीक करने के लिए दिल्ली से हैलीकाप्टर द्वारा 7 विशेषज्ञ बुलवाए गए, परंतु 1.86 मीटर ड्रिलिंग के बाद यह फिर रुक गई और ठीक करके चलाने के बाद शाम को ड्रिलिंग के दौरान तेज कम्पन के साथ इसका प्लेटफार्म धंस जाने के कारण ड्रिलिंग 24 नवम्बरसुबह तक रोकनी पड़ी। 

24 नवम्बर को ड्रिलिंग शुरू हुई तो ऑगर मशीन के रास्ते में स्टील के मोटे पाइप आ जाने से इसे नुकसान पहुंचने से बचाव कार्य फिर रोकना पड़ा। बाधाओं के बावजूद बचाव दलों ने हिम्मत नहीं हारी और 25 नवम्बर को ऑगर मशीन का टूटा शाफ्ट बाहर निकालने के बाद 26 नवम्बर को ऑगर मशीन से ड्रिलिंग की बजाय मैनुअली ड्रिलिंग का फैसला किया गया। 27 नवम्बर को मैनुअल ड्रिलिंग की योजना के तहत ‘रैट माइनिंग’ शुरू की गई। इसके साथ ही पहाड़ के ऊपर से भी ड्रिलिंग की जा रही थी अर्थात एक साथ वर्टिकल व हॉरिजांटल ड्रिलिंग की जाने लगी। इसका सुखद परिणाम 17वें दिन 28 नवम्बर को सामने आया जब शाम को सभी 41 मजदूरों को सुरंग से बाहर निकाल लिया गया और शंख ध्वनि के साथ-साथ हर-हर महादेव और जय श्रीराम के जयघोष से आकाश गूंजने लगा। इस दौरान केंद्रीय मंत्री वी.के. सिंह तथा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौके पर मौजूद रहे। धामी ने तथा ड्रिङ्क्षलग विशेषज्ञ आर्नोल्ड डिक्स ने भी बाबा बौखनाग के मंदिर में पूजा-अर्चना की। 

इस अभियान के लिए ‘बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन’ ने बेंगलुरु से सुरंग के अंदर कैमरे, एल.ई.डी. लाइट और सैंसर के साथ जाने में सक्षम 2 एडवांस ड्रोन तथा उन्हें आप्रेट करने के लिए विशेषज्ञ भी बुलवाए। समूचे बचाव अभियान के दौरान श्रमिकों से वॉकी-टॉकी द्वारा संपर्क करने के अलावा पाइप के रास्ते उन्हें भोजन, खिचड़ी, दलिया, दही, कुछ दवाइयां, मल्टी विटामिन की गोलियां आदि भेजी जाती रहीं। मजदूरों का मनोबल बनाए रखने व उन्हें तनाव से बचाने के लिए पाइप द्वारा ताश, लूडो और शतरंज भेजे गए ताकि वे अपना ध्यान दूसरी ओर लगा सकें तथा वहां मौजूद डाक्टर उनसे आधे-आधे घंटे पर बात करते रहे। राहत कार्यों में विज्ञान के साथ-साथ धर्म का सहारा भी लिया गया और घटनास्थल के बाहर उत्तराखंड के संरक्षक देवता ‘बाबा बौखनाग’ का एक मंदिर भी स्थापित कर दिया गया जहां अन्यों के साथ-साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी पूजा की। 

अब जबकि हमारे बचाव दलों के सदस्यों की मेहनत और हिम्मत के दम पर सभी मजदूर सुरक्षित बाहर निकल आए हैं। हम सभी मजदूरों की सकुशल वापसी और इसे संभव बनाने के लिए इस महान सुरक्षा अभियान के साथ जुड़े सदस्यों को हार्दिक बधाई देते हैं। सरकार को इन सभी मजदूरों द्वारा प्रदर्शित साहस और आत्मविश्वास के लिए तथा इस बेहद जोखिमपूर्ण अभियान को सफलतापूर्वक सिरे चढ़ा कर उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने वाले बचाव दल के सदस्यों को पर्याप्त पुरस्कार प्रदान करना चाहिए।—विजय कुमार


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