संतान और सुख समृद्धि याचना के महापर्व ‘छठ पूजा’ पर दुखद मौतें

punjabkesari.in Tuesday, Nov 05, 2019 - 12:26 AM (IST)

सूर्योपासना का महापर्व ‘छठ पूजा’ बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, असम और नेपाल की सीमाओं को पार करके अब पूरे देश के अलावा  विदेशों में भी श्रद्धालुओं द्वारा मनाया जाने लगा है।श्रद्धालुगण इस चार दिवसीय पर्व के दौरान सूर्य देव की बहन ‘छठ मैया’ की पूजा करके उनसे संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा और सुख-समृद्धि का वरदान मांगते हैं और नदियों-तालाबों में खड़े होकर ‘छठ मैया’ के जयकारे लगाते हुए सूर्य देव को अघ्र्य देते हैं>

राज्य सरकारों द्वारा नदियों की उपेक्षा के चलते नदियों और तालाबों आदि में गंदगी और प्रदूषण बहुत बढ़ गया है तथा श्रद्धालुओं को अनेक स्थानों पर जहरीले पानी में ही खड़े होकर सूर्य को अघ्र्य देने को विवश होना पड़ता है। इस बार भी अनेक स्थानों पर ऐसा ही हुआ।

जालंधर में नगर निगम द्वारा नहर में पानी न छोडऩे के कारण श्रद्धालुओं को कूड़े और दलदल से भरी नहर में ही छठ पूजा करनी पड़ी। दिल्ली में यमुना नदी के तट पर एकत्रित श्रद्धालुओं ने जहरीले और सफेद झाग छोड़ते विषैले पानी में घुटने-घुटने खड़े होकर पूजा सम्पन्न की।

झारखंड के जमशेदपुर में भी गंदे पानी में ही श्रद्धालुओं ने अपनी धार्मिक रस्में निभाईं। धनबाद और बोकारो के अधिकांश तालाबों का भी यही हाल था। उत्तर प्रदेश तथा अन्य अनेक स्थानों पर यही स्थिति देखी गई। यही नहीं छठ पूजा के निमित्त किए जाने वाले अनुष्ठïानों के दौरान अकेले  बिहार में ही विभिन्न दुर्घटनाओं में 18 बच्चों सहित 30 से अधिक श्रद्धालुओं की मृत्यु तथा अनेक घायल हो गए।

जहां प्रशासन द्वारा स्वच्छ पानी उपलब्ध न करने से श्रद्धालुओं का दूषित पानी में धार्मिक रस्में निभाना दुखद व त्वचा रोगों को निमंत्रण देने वाला है वहीं और अपर्याप्त सुरक्षा प्रबंधों से होने वाली मौतें भी उतनी ही दुखद हैं।

ऐसे मौकों पर स्वच्छ पानी की व्यवस्था और समुचित सुरक्षा प्रबंधों की कमी प्रशासन की लापरवाही का ही परिणाम है। ऐसी दुर्घटनाएं न हों इसके लिए ‘छठ पूजा’ जैसे समारोहों के लिए नदियों, घाटों, तालाबों आदि की सफाई और स्वच्छ जल की पूॢत सुनिश्चित करना तथा पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध करना जरूरी है। ऐसा न करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।        —विजय कुमार


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