ये हैं हमारे नेताओं के ‘विचित्र बयान’

punjabkesari.in Friday, Dec 15, 2017 - 02:02 AM (IST)

हमारे जनप्रतिनिधि, विधायक और सांसद एक संघर्षपूर्ण सफर तय करके मंत्री पद तक पहुंचते हैं जिसके बाद उनसे समाज के सही मार्गदर्शन की आशा की जाती है परंतु कभी-कभी हमारे ये जनप्रतिनिधि कुछ ऐसी बातें कह जाते हैं जो उन्हें कदापि नहीं कहनी चाहिएं। 

पिछले दिनों कर्नाटक के पूर्व उपमुुख्यमंत्री भाजपा के के.एस. ईश्वरप्पा ने पार्टी कार्यकत्र्ताओं को संबोधित करते हुए यह कह कर सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को भाजपा की आलोचना का मौका दे दिया कि ‘‘राजनीतिक समर्थन पाने के लिए कभी भी मतदाताओं को झांसा देने से संकोच न करें।’’ सोशल मीडिया पर उक्त बयान की चल रही फुटेज 4 दिसम्बर की है जब वह कोपल में पार्टी वर्करों की एक बैठक को संबोधित करने गए। इसमें उन्होंने पार्टी वर्करों से कहा कि ‘‘यदि जरूरत पड़े तो झूठ भी बोल दें।’’ 

अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा, ‘‘हमें लोगों को भाजपा की सब उपलब्धियां बताने की जरूरत है। हमें लोगों को बताना है कि हमने पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जनजातियों और किसानों तथा महिलाओं आदि के लिए क्या कुछ किया है। यदि आपको यह सब मालूम नहीं है तो कुछ भी झूठ अथवा जो मुंह में आए बोल दें।’’ ईश्वरप्पा इतने पर ही नहीं रुके और आगे कहने लगे, ‘‘हम राजनीतिज्ञ लोग हैं। जब हमसे कुछ पूछा जाए तो हमें यह नहीं कहना चाहिए कि हमें मालूम नहीं है। ऐसा करने की बजाय कोई भी कहानी बना दें बाद में जो भी होगा हम देख लेंगे।’’ ‘‘यदि आप लोगों द्वारा मनमोहन सिंह या मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की तारीफ सुन कर चुप बैठे रहेंगे तब तो हमें अपनी दुकान बढ़ाकर चले जाना पड़ेगा।’’ 

2015 में भी ईश्वरप्पा से जब एक महिला पत्रकार ने कर्नाटक में बलात्कारों के विषय में पूछा था तो उन्होंने यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया था कि, ‘‘यदि कोई आपका बलात्कार कर डाले तो विपक्ष क्या कर सकता है।’’ ईश्वरप्पा के उक्त बयान पर कांग्रेस ने कहा है कि ईश्वरप्पा का उक्त बयान भाजपा की राजनीतिक रणनीति और संस्कृति का द्योतक है। वह राज्य भर में झूठ का अभियान चला रहे हैं और पार्टी कार्यकत्र्ताओं को कहते हैं कि वे उनके रास्ते पर चलें। ऐसा ही एक हास्यास्पद बयान अब मध्य प्रदेश की महिला एवं शिशु कल्याण मंत्री अर्चना चिटनीस ने भी दिया है जिन्होंने कहा है कि बलात्कार तथा यौन उत्पीडऩ की शिकार महिलाओं को बंदूकों के लाइसैंस तेजी से दिए जाने चाहिएं। 

अर्चना चिटनीस का कहना है कि ‘‘बंदूकें रखने से महिलाओं का मनोबल बढ़ेगा और वे आत्मविश्वास महसूस करेंगी। हम हर बलात्कार पीड़िता या अन्य यौन शोषण पीड़िताओं को नहीं बल्कि उन्हीं को लाइसैंस देंगे जो इसके लिए आवेदन करेंगी और सभी शर्तें पूरी करेंगी।’’ उक्त बयान के संबंध में प्रदेश कांग्रेस के नेता जे.पी. धनोपिया ने कहा है कि,‘‘महिलाओं को बंदूकों के लाइसैंस देने में तेजी लाने के प्रस्ताव से सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि यह बलात्कार पीड़िताओं को सुरक्षा देने में असफल रही है।’’ इसके अलावा इससे पीड़िता की पहचान भी उजागर हो जाएगी और यदि कोई बलात्कार पीड़िता बंदूक के साथ घूमेगी तो उस पर जीवन भर के लिए यह ठप्पा लग जाएगा कि उसके साथ बलात्कार हुआ है। इससे तो अच्छा यह होगा कि सरकार लड़कियों और महिलाओं को मुफ्त रिवाल्वर दे ताकि वे अपराध से पूर्व अपनी सुरक्षा कर सकें। 

हमारे नेताओं से लोगों को उचित मार्गदर्शन की उम्मीद की जाती है लेकिन जब नेता ही झूठ बोलने का उपदेश दें और महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने की बजाय हमारी सरकारें बलात्कार की शिकार महिलाओं को बंदूकों के लाइसैंस देने की बातें करें तो इससे बढ़ कर हास्यास्पद कोई और बात क्या हो सकती है। —विजय कुमार  


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