फर्जी प्रमाणपत्रों द्वारा नौकरी और सरकारी सहायता पाने का गलत रुझान जोरों पर

punjabkesari.in Saturday, Jul 20, 2024 - 05:00 AM (IST)

देश में नकली की बीमारी खाद्य पदार्थों और नकली अधिकारियों से लेकर नकली प्रमाणपत्र बनाकर देने वाले गिरोहों तक पहुंच गई है जिनका सहारा लेकर अनेक लोग सरकारी नौकरियों व अन्य सुविधाओं का अनुचित लाभ उठा रहे हैं। इसके पिछले 5 महीनों के उदाहरण निम्न में दर्ज हैं :  

* 2 फरवरी, 2024 को मध्य प्रदेश के इंदौर में एक पुलिस कर्मचारी सत्य नारायण वैष्णव को फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करते पाए जाने पर 10 वर्ष कैद की सजा और 4000 रुपए जुर्माना लगाया गया।
* 27 फरवरी, 2024 को उत्तर प्रदेश में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में कार्यरत एक जवान सुधीर कुमार पाठक के विरुद्ध फर्जी निवास प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने के आरोप में एफ.आई.आर. दर्ज की गई।
 * 16 मई, 2024 को उत्तराखंड में जसपुर के ‘राम जीवनपुर’ स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय में फर्जी प्रमाणपत्रों की सहायता से 24 वर्षों से नौकरी कर रहे हरगोबिंद सिंह को बर्खास्त किया गया। 
* 22 जून, 2024 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में अनुसूचित जाति का फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर पुलिस में नौकरी पाने वाले ड्राइवर प्रवींद्र कुमार यादव को पकड़ा गया।
* 11 जुलाई, 2024 को उत्तराखंड के विकास नगर में ग्राम प्रधान के चुनाव में नामांकन के दौरान इंटर मीडिएट का फर्जी प्रमाणपत्र पेश करने पर देहरादून के उप जिला अधिकारी ने जांच के बाद ग्राम सभा सहसपुर के प्रधान पद पर अनीस अहमद के नामांकन और निर्वाचन को रद्द कर दिया। 

* 13 जुलाई को झारखंड के देवघर में मूक-बधिर श्रेणी में पोस्ट ग्रैजुएट ट्रेंड टीचर (पी.जी.टी.) नियुक्त किए गए योगेंद्र कुमार का ‘मूक बधिर प्रमाणपत्र’ जाली पाए जाने के बाद उसके विरुद्ध राज्य के साक्षरता एवं स्कूली शिक्षा विभाग की ओर से कार्रवाई करने का आदेश दिया गया। 
* 17 जुलाई को हरियाणा में नूह पुलिस को राज्य सरकार की ‘कन्यादान योजना’ के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए ठगों द्वारा नकली विवाह प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल करने की शिकायत प्राप्त हुई। शिकायतकत्र्ताओं ने आरोप लगाया कि अविवाहित महिलाओं ने सरकार की योजना के अंतर्गत एक लाख रुपए का दावा करने के लिए विवाह के नकली प्रमाण पत्र बनवाए। 
* 17 जुलाई को ही अमृतसर कमिश्नरेट पुलिस ने स्पोर्ट्स कोटे से नौकरी दिलवाने के लिए जाली स्पोर्ट्स सर्टीफिकेट बांटने के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करते हुए गिरोह के सरगना अभिलाष कुमार को गिरफ्तार किया जिसने 10 राज्यों में जाली सर्टीफिकेटों का अपना धंधा चला रखा था। 

* 18 जुलाई को उत्तर प्रदेश के पंचायती राज विभाग में सफाई कर्मियों के फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी पाने का फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद इस मामले में 4 सफाई कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया जो अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर कई वर्षों से लगभग 40,000 रुपए मासिक पर नौकरी करते आ रहे थे। 
* 18 जुलाई को ही उत्तर प्रदेश में रायबरेली के ‘सलोन’ ब्लाक में तैनात ग्राम विकास अधिकारी (वी.डी.ओ.) की यूजर आई.डी. तथा पासवर्ड से लगभग 30,000 जाली जन्म प्रमाणपत्र जारी करने का फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद  3 आरोपियों के विरुद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई गई।  

इन सबके अलावा इन दिनों फर्जी ओ.बी.सी. और दिव्यांगता प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी हासिल करने वाली महाराष्ट्र की आई.ए.एस. अधिकारी पूजा खेडकर चर्चा में है। पूजा खेडकर ने फर्जी राशन कार्ड और गलत पते का इस्तेमाल करके अगस्त, 2022 में वाई.सी.एम. अस्पताल, पिंपरी, पुणे से ल्यूकेमिया दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्राप्त किया था। 

पूजा ने अपने निवास स्थान का पता पिंपरी, चिंचवाड में प्लाट नंबर 53, देहू-आलंदी, तलवडे बताया था परंतु जांच के दौरान पता चला कि वहां कोई रिहायशी मकान ही नहीं, बल्कि एक इंजीनियरिंग कम्पनी का दफ्तर है। पूजा ही नहीं, बल्कि पूजा के माता-पिता भी विवादों के घेरे में आए हुए हैं और पूजा की मां मनोरमा खेडकर को एक जमीन विवाद के सिलसिले में गन दिखाकर कुछ लोगों को धमकाने के आरोप में 18 जुलाई को गिरफ्तार किया गया। उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि देश में जालसाजी किस कदर बढ़ रही है। अत: ऐसे समाज विरोधी तत्वों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करने की आवश्यकता है, ताकि वे दूसरों की अधिकार वंचना करके देश और समाज से धोखा न कर सकें।—विजय कुमार


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