उफ! यह बेरोजगारी ‘स्वीपर की नौकरी के लिए’ आवेदन कर रहे ‘पोस्ट ग्रैजुएट और ग्रैजुएट’
punjabkesari.in Wednesday, Sep 04, 2024 - 05:08 AM (IST)
बेरोजगारी आज हमारे देश की बड़ी समस्या बन चुकी है। केंद्र सरकार द्वारा करवाए गए ‘पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे’ के अनुसार हरियाणा के शहरी इलाकों में इस वर्ष 15-29 वर्ष आयु वर्ग में बेरोजगारी की दर, जो इस वर्ष जनवरी से मार्च की तिमाही में 9.5 प्रतिशत थी, अप्रैल से जून की तिमाही में बढ़ कर 11.2 प्रतिशत हो गई है। इसी प्रकार राज्य में 15-29 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं में बेरोजगारी की दर भी, जो इस वर्ष जनवरी-मार्च की तिमाही में 13.9 प्रतिशत थी, अप्रैल-जून की तिमाही में बढ़ कर 17.2 प्रतिशत हो गई है तथा उच्च शिक्षा प्राप्त युवक-युवतियां कम योग्यता वाली नौकरियां करने के लिए विवश हो रहे हैं।
इसी कारण हरियाणा में 46,102 ग्रैजुएट और पोस्ट ग्रैजुएट युवाओं ने राज्य सरकार द्वारा संचालित तथा विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्डों और निगमों के लिए ठेके पर श्रमिकों को भर्ती करने वाली संस्था ‘हरियाणा कौशल रोजगार निगम’ में ठेके पर स्वीपरों की नौकरी के लिए आवेदन किया है। 2 सितम्बर तक के आंकड़ों के अनुसार 15,000 रुपए मासिक वेतन वाले इन अनस्किल्ड पदों पर नौकरी के लिए आवेदन करने वालों में 39,990 ग्रैजुएट तथा 6,112 पोस्ट ग्रैजुएट हैं। इनके अलावा आवेदकों में 12वीं कक्षा तक पढ़े 1,17,144 उम्मीदवार भी शामिल हैं। सभी आवेदकों की कहानी लगभग एक जैसी है कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद बार-बार आवेदन करने के बावजूद जब उन्हें कोई अच्छी नौकरी न मिली तो उन्होंने निठल्ले घर बैठने की बजाय स्वीपर की नौकरी के लिए आवेदन करके भाग्य आजमाने का फैसला किया।
कुछ उम्मीदवारों का कहना है कि नौकरी चाहे स्वीपर की ही क्यों न हो, वे इसलिए सरकारी नौकरी प्राप्त करना चाहते हैं, ताकि उनकी शादी हो सके। लड़की वाले सरकारी नौकरी वालों को ही अधिमान देते हैं। वैसे तो कोई भी काम छोटा नहीं होता पर यदि उच्च योग्यता प्राप्त लोगों को कम योग्यता वाले पदों पर काम करने को विवश होना पड़े तो समझा जा सकता है कि स्थिति कितनी गंभीर है। उल्लेखनीय है कि बढ़ती बेरोजगारी के कारण लोग अनुचित तरीके अपना कर भी नौकरियां प्राप्त करने के हथकंडे अपनाने लगे हैं। अत: सरकार को नए उद्योगों की स्थापना करके रोजगार और नौकरियां पैदा करने के उपाय करने चाहिएं, ताकि देश से बेरोजगारी दूर हो और नौकरी के लिए युवाओं में विदेश जाने का रुझान भी कम हो।—विजय कुमार