राजधानी दिल्ली में अग्निशमन विभाग की दयनीय हालत

punjabkesari.in Wednesday, Dec 19, 2018 - 12:40 AM (IST)

आज देश में शायद ही कोई सरकारी विभाग सुचारू रूप से काम कर रहा हो। दमकल विभाग भी इससे अलग नहीं है। आम शिकायत है कि दमकल वाहन घटनास्थल पर कभी भी समय पर नहीं पहुंच पाते और पहुंच भी जाएं तो उनके पास आग बुझाने का आवश्यक सामान नहीं होता।

अधिकांश दमकल केन्द्रों को संकरी गलियों में जाने में सक्षम वाहनों, मल्टीपर्पस अग्निशमन वाहनों, अधिक ऊंचाई तक जाने वाली सीढिय़ों, अग्निशमन में सक्षम उपकरणों से युक्त मोटरसाइकिलों, हाई पावर क्रेनों, रिकवरी वैनों आदि के भारी अभाव का सामना करना पड़ रहा है। अधिकांश अग्निशमन वाहन पुराने माडल के हैं। अनेक स्थानों पर दमकल कर्मचारियों को प्रोटैक्शन गियर तक उपलब्ध नहीं हैं।

प्रति वर्ष अग्निकांडों में अरबों रुपयों की क्षति और भारी प्राण हानि के बावजूद देश का दमकल विभाग उपेक्षा का शिकार है और राजधानी दिल्ली का दमकल विभाग भी इससे अलग नहीं है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान दिल्ली का अत्यधिक विस्तार हुआ है लेकिन अग्निकांडों से निपटने के इसके साधन सीमित हैं। अधिकांश मकानों को आवासीय और व्यापारिक दोनों रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

जामा मस्जिद, चांदनी चौक, खारी बाओली, रैगरपुरा, किनारी बाजार, दया बाजार, बल्ली मारां, सदर बाजार, सुल्तानपुरी तथा जहांगीरपुरी आदि में इमारतें डिबियों की तरह आपस में गुंथी हुई हैं। अनेक क्षेत्रों में गलियां इतनी संकरी हैं कि वहां अग्निशमन वाहनों का पहुंचना और आग पर नियंत्रण पाना बहुत मुश्किल है जबकि 90 प्रतिशत अग्निकांड ऐसे ही क्षेत्रों में होते हैं। अग्निशमन वाहनों को वास्तविक घटनास्थल से 400 से 500 मीटर दूर खड़े करना पड़ता है और आग लगने के स्थान तक पानी के पाइप आपस में जोड़ कर ही पहुंचाए जा सकते हैं।

राजधानी में इस वर्ष जनवरी के बाद से अभी तक अग्निकांडों में 194 लोगों की जान गई है तथा आबादी को देखते हुए अग्निशमन कर्मियों की 50 प्रतिशत कमी है। यहां कर्मचारियों के 3700 स्वीकृत पदों की तुलना में लगभग 1900 कर्मचारी ही कार्यरत हैं जबकि 90 लाख की आबादी वाले लंदन में 5000 से अधिक अग्निशमन कर्मचारी हैं। जब देश की राजधानी का यह हाल है तो अन्य राज्यों के दमकल विभागों की स्थिति का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। इसमें सुधार लाने की तत्काल आवश्यकता है नहीं तो होने वाले अग्निकांडों से इसी प्रकार तबाही मचती रहेगी।     —विजय कुमार  


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