देश में भाईचारे को और मजबूत करते हमारे ये मुसलमान भाई

punjabkesari.in Tuesday, Oct 11, 2016 - 01:10 AM (IST)

इस समय देश में साम्प्रदायिक घटनाओं के कारण वातावरण कुछ दूषित बना हुआ है ऐसे में अनेक लोग अपने सद्प्रयासों से देशवासियों को भाईचारे के बंधनों में बांधे रखने का प्रशंसनीय कार्य लगातार कर रहे हैं। 

कुछ समय पूर्व सम्पन्न सिंहस्थ कुंभ के मेला क्षेत्र में अनेक साधु-संतों, कथा वाचकों और भक्तों के बीच रामायण, हिन्दू धर्म और संस्कृत के मुस्लिम विद्वान एवं राम कथावाचक श्री फारूख खान आकर्षण का केंद्र बने रहे। 

25 वर्ष से राम कथा सुनाते आ रहे राजगढ़ निवासी श्री फारूख खान के पंडाल के पास से निकलने वाला हर श्रोता कानों में राम कथा की आवाज आते ही पंडाल के भीतर जाकर कथा सुनने के लिए विवश हो जाता।

श्री फारूख खान एक धर्मनिष्ठï मुसलमान और पांच वक्त के नमाजी हैं। श्री फारूख खान का मत है, ‘‘सभी धर्मों की मूल बात एक ही है-प्रेम, दया, क्षमा, भाईचारा और मानव कल्याण तथा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के आदर्शों को अपनाकर ही जीवन और समाज का समग्र कल्याण हो सकता है।’’ 

श्री फारूख खान इस कदर भक्ति भावना की तीव्रता और उद्धरणों के साथ राम कथा का वाचन करते हैं कि उनके कथा वाचन का रोचक अंदाज श्रोताओं को बरबस ही अपनी ओर आकॢषत कर लेता है तथा हर श्रोता मंत्र-मुग्ध और तल्लीन होकर उन्हें सुनता है।

विजय दशमी पर्व के अवसर पर देश में शारदीय नवरात्रे आरंभ होते ही रामकथा के मंचन के लिए रामलीलाओं के आयोजन शुरू हो जाते हैं। आगरा में खेली जाने वाली रामलीला में पिछले 5 वर्षों से निजामुद्दीन नामक रेल कर्मचारी विभिन्न भूमिकाएं निभा रहे हैं और इस बार उन्होंने सीता जी के पिता जनक जी की भूमिका निभाई है।

उनका कहना है कि ‘‘रामलीला में भूमिका निभाने का अवसर मिलना मेरे लिए हमेशा गर्व की बात रही है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि राम कथा बुराई पर अच्छाई की जीत और शांति का संदेश देती है।’’

इसी प्रकार हरियाणा के आदमपुर में श्री गणेश रामलीला क्लब द्वारा आयोजित की जाने वाली रामलीला में 38 वर्षीय शहाबुद्दीन कुरैशी पिछले 20 वर्षों से भगवान राम की भूमिका निभा रहे हैं।

4 बच्चों के पिता शहाबुद्दीन का कहना है, ‘‘हम एक ही हैं, धार्मिक मतभेद की दीवारें तो राजनीतिज्ञों ने अपने स्वार्थों की पूॢत के लिए ही खड़ी कर रखी हैं। रामलीला के मंचन के दौरान श्री राम के वनवास गमन के बाद मैं भी रात के समय अपने घर नहीं जाता और विजय दशमी तक रामलीला मैदान में ही सोता हूं...।’’

इस रामलीला में सीता जी की भूमिका निभाने के लिए शहाबुद्दीन हमेशा गुडग़ांव में नौकरी करने वाले साजिद कुरैशी को अधिमान देते हैं और इस बार भी साजिद कुरैशी यह भूमिका निभाने के लिए विशेष रूप से आदमपुर आए हैं। 

इसी प्रकार हरियाणा में कुरुक्षेत्र स्थित श्री विष्णु कालोनी में श्री लक्ष्मी ड्रामाटिक क्लब द्वारा 45 वर्षों से मंचित की जाने वाली रामलीला में एक सिख कुलवंत सिंह भट्टी, दाढ़़ी-मूंछों के साथ राम भक्त हनुमान जी की भूमिका निभाते आ रहे हैं और उनका बेटा साहब सिंह इसमें हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज की भूमिका निभाता है। 

भाईचारे और सौहार्द के बंधनों को मजबूत करने वाले लोगों के सद्प्रयासों के ये तो चंद उदाहरण हैं जबकि इसके अलावा भी इसी दिशा में न जाने कितने संगठन सक्रिय होकर अपना योगदान दे रहे हैं।

आज अपने पाठकों को विजय दशमी की बधाई देते हुए हम आशा करते हैं कि जब तक हमारे देश में इस प्रकार की सकारात्मक सोच के लोग मौजूद हैं तब तक विभाजनकारी शक्तियां हमारे भाईचारे के पारंपरिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने में सफल नहीं हो सकेंगी और सदा ही असत्य पर सत्य की और दुर्भावना पर सद्भावना की विजय होती रहेगी। 
 


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