दलितों को मंदिर में न जाने देने के कारण तमिलनाडु का एक मंदिर ‘सील’

punjabkesari.in Friday, Jun 09, 2023 - 04:27 AM (IST)

छुआछूत और जाति आधारित भेदभाव मिटाने के लिए स्वामी दयानंद, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी तथा अन्य महापुरुषों ने अनथक प्रयास किए परंतु स्वतंत्रता के 76 वर्ष बाद भी देश में अनेक स्थानों पर दलितों के साथ भेदभाव जारी है। इस वर्ष अप्रैल में तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के मेलपाथी गांव में ‘श्री धर्मराज द्रौपदी अम्मन मंदिर’ में एक दलित व्यक्ति के पूजा करने के लिए जाने पर उच्च जाति वालों ने आपत्ति जताई और दलितों का मंदिर में प्रवेश बंद कर दिया। इसके बाद से दोनों समुदायों में टकराव जारी है। 

प्रतिबंध हटाने के लिए दोनों पक्षों में हुई कई शांति वार्ताएं विफल होने के बाद अंतत: 6 जून को अधिकारियों ने मंदिर सील करने के अलावा वहां पुलिस भी तैनात करके प्रवेशद्वार पर नोटिस चिपका दिया कि इस विवाद का हल निकलने तक किसी को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी। इस मामले को लेकर विल्लुपुरम से द्रमुक सांसद डी. रवि कुमार ने पार्टी के अन्य नेताओं के साथ जिला कलैक्टर सी. पलानी को दिए एक ज्ञापन में उनसे अनुरोध किया कि ‘‘सभी श्रद्धालुओं को जाति और धर्म के पक्षपात के बिना मंदिर में प्रवेश और पूजा-पाठ करने की अनुमति दी जाए।’’ 

किसी भी धर्म में श्रद्धालुओं के साथ भेदभाव करने की बात नहीं कही गई है और सभी धर्म यही शिक्षा देते हैं कि सभी लोग एक ही भगवान के बनाए होने के कारण नैतिक, धार्मिक और संवैधानिक लिहाज से एक समान हैं। प्रभु के दरबार में किसी को भी जाने से रोकना गंभीर अपराध है। अत: ऐसा आचरण करने वाले लोगों को जब तक कठोर सजा नहीं मिलेगी तब तक यह कुरीति समाप्त नहीं हो सकती है।—विजय कुमार


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