‘दिल्ली-एन.सी.आर. में प्रदूषण के लिए’ ‘सुप्रीम कोर्ट की प्रबंधन आयोग को फटकार’
punjabkesari.in Sunday, Sep 29, 2024 - 05:00 AM (IST)
दिल्ली-एन.सी.आर. में वायु प्रदूषण के अनेक कारण हैं जिनमें वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण के दौरान उडऩे वाली धूल, गरीब बस्तियों में खाना पकाने के ईंधन, ईंट-भट्ठों और दिल्ली की तीन सीमाओं पर बने कचरे के पहाड़ों की आग से उठने वाला धुआं आदि शामिल हैं। इसका एक अन्य कारण पड़ोसी राज्यों में जलाई जाने वाली पराली का धुआं भी है। इसी सिलसिले में 27 सितम्बर को सुप्रीमकोर्ट ने दिल्ली प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान पराली जलाने के विरुद्ध प्रभावशाली कार्रवाई करने और वायु प्रदूषण पर रोक लगाने में विफल रहने पर ‘वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग’ (सी.क्यू.एम.) को फटकार भी लगाई।
मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ए.जी. मसीह ने कहा, ‘‘प्रदूषण के कारण दिल्ली में एमरजैंसी जैसे हालात बने हुए हैं। आयोग वायु प्रदूषण पर रोक लगाने में पूरी तरह नाकाम रहा है तथा इसके द्वारा किए गए सभी दावे भी प्रदूषण की भांति ही हवा में हैं।’’ मान्य न्यायाधीशों ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए गठित आयोग द्वारा उठाए गए कदमों पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि‘‘आयोग ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तथा आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता आयोग प्रबंधन अधिनियम-2021 के अंतर्गत प्राप्त अपनी शक्तियों का इस्तेमाल नहीं किया है।’’ इसके साथ ही उन्होंने पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की कुप्रथा को रोकने के लिए विशेष कार्रवाई करने का निर्देश भी आयोग को दिया।
इससे पूर्व 27 अगस्त को सुनवाई के दौरान मान्य जजों ने कहा था कि दिल्ली-एन.सी.आर. के प्रदूषण नियंत्रण विभाग में कर्मचारी कम होने के कारण ठीक से काम नहीं हो रहा तथा उन्होंने दिल्ली में प्रदूषण पर काबू पाने के लिए 5 पड़ोसी राज्यों को प्रदूषण नियंत्रण विभाग में खाली पड़े पदों को 30 अप्रैल, 2025 तक भरने का आदेश भी दिया था। चूंकि आज वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन चुका है जिससे लोग अनेक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं, अत: इस संबंध में वायु गुणवत्ता आयोग (सी.क्यू.एम.) को सुप्रीमकोर्ट द्वारा बताई गई कमियों को दूर करने और दिए गए सुझावों को तुरंत लागू करने की जरूरत है।—विजय कुमार