आर्थिक मंदी को लेकर सुब्रह्मण्यम स्वामी व रघुराम की नसीहतें

punjabkesari.in Wednesday, Oct 02, 2019 - 12:16 AM (IST)

इस समय सरकार देश की विकास दर में पिछले 6 साल की सबसे बड़ी गिरावट से जूझ रही है। कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, सीमैंट और बिजली उद्योग में भारी सुस्ती के चलते कोर सैक्टर के प्रमुख उद्योगों के उत्पादन में अगस्त महीने में 0.50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है जो पिछले 45 महीनों में औद्योगिक उत्पादन में आने वाली सर्वाधिक गिरावट है। 

भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने देश की अर्थव्यवस्था के वर्तमान संकट के लिए नोटबंदी और जल्दबाजी में लागू किए गए जी.एस.टी. को भी जिम्मेदार ठहराने के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कटु सत्य सुनने का स्वभाव उत्पन्न करने की नसीहत देते हुए कहा : 

‘‘नरेन्द्र मोदी जिस प्रकार सरकार चलाते हैं उसमें बहुत कम लोग सीमा से बाहर जा सकते हैं। यदि नरेन्द्र मोदी अर्थव्यवस्था को संकट से निकालना चाहते हैं तो उन्हें सरकार के अर्थशास्त्रियों को डराना बंद करना और लोगों को इस बात के लिए बढ़ावा देना चाहिए कि वे उनके मुंह पर अपनी असहमति जता सकें। उन्होंने अभी अपना ऐसा स्वभाव नहीं बनाया है।’’ इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि ‘‘देश सही आर्थिक नीतियां नहीं अपना रहा है। सरकार को यह बात यकीनी बनानी चाहिए कि बैंक ऋण की दरें 9 प्रतिशत से न बढ़ें और फिक्स डिपॉजिट तथा बचत खातों पर 9 प्रतिशत ब्याज दिया जाए। ऐसा करने से निवेश में उछाल आएगा और हमारी विकास दर बढ़ जाएगी।’’

इसी प्रकार भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, जो इस समय अमरीका के शिकागो विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफैसर हैं, ने अपने ब्लॉग में मोदी सरकार की ओर इशारा करते हुए ही लिखा है कि : ‘‘आलोचना को दबाने से ही सरकार के नीति निर्धारण में गलतियां होती हैं और सरकार तब तक सब कुछ अच्छा होने की भ्रांति में रहती है जब तक कि उसकी गलत नीतियों के खराब परिणाम सामने न आने लगें।’’ भाजपा के वरिष्ठ सदस्य श्री सुब्रह्मण्यम स्वामी तथा भाजपा के ही शासनकाल में सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े रहे श्री रघुराम राजन दोनों ही अग्रणी अर्थशास्त्री हैं। इनके द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा सरकार को आलोचना सहने का स्वभाव बनाने की सलाह देना मायने रखता है।—विजय कुमार


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News