अध्यापकों द्वारा छात्र-छात्राओं का यौन शोषण और मारपीट

punjabkesari.in Wednesday, Apr 19, 2017 - 11:43 PM (IST)

किसी भी व्यक्ति के जीवन में माता-पिता के बाद गुरु अर्थात अध्यापक का ही सर्वोच्च स्थान माना गया है। वही बच्चों को सही शिक्षा और उचित मार्गदर्शन देकर अज्ञानी से ज्ञानवान नागरिक बनाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं और बच्चों को प्यार करने के साथ-साथ अध्यापकों को कभी-कभी उन्हें दंडित भी करना पड़ता है। कुछ समय पहले तक गुरुजनों द्वारा दिए जाने वाले दंड में भी उनका स्नेह छिपा होता था और छात्र भी अपने गुरुजनों के दिए हुए दंड को आशीर्वाद के तुल्य ही मानते थे, परन्तु आज जमाना बदल गया है। 


अध्यापक अपने व्यवसाय के उच्च आदर्शों-मर्यादाओं को भूलकर न सिर्फ बच्चों पर अमानवीय अत्याचार ढा रहे हैं बल्कि नैतिकता को भी तार-तार कर रहे हैं और उनके अनैतिक कृत्यों के चंद ताजा उदाहरण निम्र में दर्ज हैं :-  

 

-20 जनवरी को बालों में कंघी करके न आने पर छठी कक्षा के छात्र को छड़ी से बुरी तरह पीटने के आरोप में छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले के सरकारी मिडल स्कूल की अध्यापिका के विरुद्ध केस दर्ज करवाया गया।  

 

-21 जनवरी को ठाणे में एक 6 वर्ष की बच्ची द्वारा फीस जमा  करने में देरी हो जाने पर उसकी अध्यापिका रेखा नायर ने उसे बुरी तरह पीटा और बाल खींचे जिससे उसके सिर के एक हिस्से के बाल ही उखड़ गए। 

 

-10 फरवरी को जयपुर के रामगंज पुलिस थाने में एक छात्र के माता-पिता ने एक स्कूल के अध्यापक रमीज खां के विरु- लगातार 6 वर्षों से उनके बेटे का यौन शोषण करते आने के आरोप में शिकायत दर्ज करवाई। पीड़ित बच्चे के वकील ने आरोप लगाया कि आरोपी अध्यापक पिछले 10 वर्षों में 200 से अधिक बच्चों का रेप कर चुका है। 

 

-18 फरवरी को राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथद्वारा थाना क्षेत्र में एक निजी स्कूल की अध्यापिका हीरल चौधरी ने होमवर्क करके न आने पर 7वीं कक्षा की छात्रा की सलवार उतरवा दी।

 

-01 मार्च को जगाधरी में एक अध्यापक ने  होमवर्क न करने पर पहली कक्षा की 5 वर्षीय छात्रा को डंडा दे मारा जो उसकी आंख पर लगने से वह गंभीर रूप से घायल हो गई।

 

-12 मार्च को मध्य प्रदेश के गुना जिले के चौपना गांव के सरकारी स्कूल  के अध्यापक राम नारायण भार्गव के विरुद्ध एक महीने के दौरान 10 और 11 वर्ष आयु की 5 छात्राओं का लंच टाइम के दौरान यौन शोषण करने के आरोप में केस दर्ज किया गया।

 

-25 मार्च को राजस्थान के बीकानेर में 8 अध्यापकों द्वारा स्कूल की 13 वर्षीय छात्रा  की नग्र वीडियो क्लिप बनाकर उसको ब्लैकमेल करके डेढ़ वर्ष तक उससे बलात्कार करने का मामला सामने आया है। बताया जाता है कि आरोपियों ने बच्ची को इतनी अधिक मात्रा में गर्भ निरोधक दवाएं खिलाईं कि उसे कैंसर हो गया। 
और अब 18 अप्रैल को अबोहर के बल्लुआना के अंतर्गत गांव अमरपुरा के सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल के प्रिंसीपल सुखदेव सिंह की करतूत सामने आई है। आरोप है कि उक्त प्रिंसीपल कई महीनों से 12वीं कक्षा की एक छात्रा को देर रात बार-बार फोन करके परेशान कर रहा था। 

 

-उसने 27 फरवरी रात 12 बजे के लगभग छात्रा को कम से कम 10 बार फोन किया और उसके बाद भी लगातार छात्रा को परेशान करता रहा। जब 17 अप्रैल को भी प्रिंसीपल ने ऐसी ही हरकत की तो तंग आकर परिजनों ने पंचायत के माध्यम से स्कूल में जाकर यह मुद्दा उठाया। 

 

-प्रिंसीपल द्वारा गांववासियों के साथ दुव्र्यवहार करने पर उन्होंने स्कूल परिसर में धरना लगा दिया, स्कूल के गेट पर ताला जड़ दिया और प्रिंसीपल की गाड़ी को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। अध्यापक-अध्यापिकाओं द्वारा मासूम छात्र-छात्राओं के यौन शोषण और  मारपीट जैसे अपराध इस आदर्श व्यवसाय पर एक घिनौना धब्बा और अध्यापक वर्ग में भी लगातार बढ़ रही नैतिक गिरावट का परिणाम है।

 

-समाज को सहनशीलता, संयम, सादगी व उच्च विचारों का पाठ पढ़ाने वाले अध्यापक वर्ग को ऐसा आचरण शोभा नहीं देता। अत: ऐसा करने वाले अध्यापक-अध्यापिकाओं को शिक्षाप्रद सजा दी जाए ताकि दूसरों को सबक मिले। —विजय कुमार 


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