NRC को लेकर उठते प्रश्न

punjabkesari.in Monday, Sep 02, 2019 - 12:28 AM (IST)

असम पुलिस के अलावा केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों की 218 कम्पनियों की तैनाती के बीच 31 अगस्त को सुबह 10 बजे सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला के नेतृत्व में एन.आर.सी. ने नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एन.आर.सी.) का फाइनल ड्राफ्ट जारी किया। इसकी वजह अवैध अप्रवासियों की परिभाषा तय करने के लिए दशक लम्बा आंदोलन है।

पहली बार 1951 में एन.आर.सी. बनाया गया और 2015 के बाद से असम में इसे अपडेट किया जा रहा है ताकि विदेशियों का पता लगाया और उनका नागरिकता का अधिकार खत्म किया जा सके। 31 अगस्त तक 3.29 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख 6 हजार 657 को एन.आर.सी. के फाइनल ड्राफ्ट से बाहर रखा गया है। हालांकि, इनमें से हर व्यक्ति के पास वर्तमान 100 फोरेनर्स ट्रिब्यूनल्स में अपील दायर करने के लिए 120 दिन का वक्त है जिन्हें 6 महीने में इन मामलों को निपटाना होगा। एक महीने के भीतर ऐसे 200 और ट्रिब्यूनल्स की स्थापना की जानी है। 30 जुलाई, 2019 की सूची के अनुसार 2,89,83,677 लोगों को इसमें शामिल होने के योग्य तथा 41 लाख लोगों को अयोग्य पाया गया परंतु नई सूची का दोनों ओर के लोग विरोध कर रहे हैं। 

सेना से रिटायर जे.सी.ओ. मोहम्मद सनुल्लाह जैसे लोग जिन्होंने विदेशी घोषित होने पर कुछ दिन जेल में भी गुजारे, को इस सूची से बाहर किया गया है जबकि उनकी दो बेटियों तथा बेटे को नहीं। इसी प्रकार 1965 के युद्ध में अपने शौर्य के लिए वीर चक्र से सम्मानित और बंगलादेश को आजाद करने के लिए 1971 के युद्ध में रणनीतियां बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले ब्रिगेडियर के.पी. लाहिरी का नाम भी सूची में नहीं है। एक सदी पूर्व असम सिल्क को निर्यात करने वाली राधाकृष्ण सरस्वती परिवार के कुछ सदस्यों के नाम भी सूची में नहीं हैं। यह सब न्याय की त्रुटियां हो सकती हैं जिनमें सुधार हो सकता है परंतु ‘ऑल असम स्टूडैंट्स यूनियन’ सूची से बाहर रखे गए लोगों की कम संख्या पर नाराज है। उसे लगता है कि यह संख्या बहुत कम है और वह इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। 

चूंकि बंगलादेश सरकार उन्हें वापस लेने से साफ इंकार कर चुकी है। अत: सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि एन.आर.सी. की सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद अवैध आप्रवासियों का क्या होगा? क्या वे बंदी शिविरों में रहेंगे, क्या यह अपराधों को बढ़ावा नहीं देगा? या भारत सरकार बंगलादेश पर राजनीतिक दबाव बना कर उन्हें बंगलादेशियों के रूप में स्वीकार करने को तैयार हो जाएगी? ऐसे में भारत-बंगलादेश संबंधों का क्या होगा? क्या उनमें और खटास आ जाएगी? 

जहां अनेक अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का कहना है कि सूची से बाहर रखे गए अधिकतर मुस्लिम आप्रवासी हैं, वहीं अन्य राज्य दावा कर रहे हैं कि एन.आर.सी. से बाहर रह गए अनेक अवैध अप्रवासी रोजगार के नाम पर अन्य राज्यों में जा बसे हैं तो क्या सब राज्यों में एन.आर.सी. बनेगा। ऐसे में एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि क्या अब बंगलादेश के साथ लगती हमारी सीमा पूरी तरह से सुरक्षित है और इसके पश्चात क्या अप्रवासी हमारे देश में नहीं आ पाएंगे। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News