समय के साथ विरोध करने के तरीके बदले, अधिकारी भी स्वयं को बदलें

punjabkesari.in Saturday, Apr 15, 2023 - 03:43 AM (IST)

अधिकारियों तक अपनी अनसुनी शिकायतें पहुंचाने के लिए लोग अब विरोध प्रदर्शन के ऐसे तरीके अपनाने लगे हैं जिन्हें देख कर लोग हैरान हुए बिना नहीं रहते। इसके चंद ताजा उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं : 

* 1 जनवरी को विदिशा (मध्य प्रदेश) में स्थायी करने के लिए भूख हड़ताल पर बैठे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने सरकार का ध्यान दिलाने के लिए थालियां और शंख बजाकर प्रदर्शन किया।  
* 3 जनवरी को रीवा (मध्य प्रदेश) में महंगाई और बेरोजगारी को लेकर कांग्रेस के छात्र संगठन ‘एन.एस.यू.आई.’ के सदस्यों ने हाथों में कटोरा लेकर भीख मांगी। दुकानदारों ने उनके कटोरों में कुछ पैसे भी डाले। ये छात्र नारा लगा रहे थे कि ‘‘मामा तेरे राज में, दे दिया कटोरा हाथ में।’’ 
* 4 जनवरी को मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) के ‘चरथावल’ में हिंडन नदी पर पुल बनवाने और बेसहारा घूमते गौवंश से मुक्ति दिलाने की मांग को लेकर सिकंदरपुर के ग्रामीणों ने पानी में बैठ कर धरना दिया। प्रदर्शनकारी ग्रामीण तब शांत हुए जब एस.डी.एम. ने प्रदर्शन स्थल पर पहुंच कर उन्हें शीघ्र अस्थायी पुल बनवा कर देने और सड़कों पर घूमते बेसहारा गौवंश को गऊशाला भिजवाने का आश्वासन दिया। 

* 2 फरवरी को ‘झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ’ की ओर से ‘गोड्डा’ में ‘काहे छोड़ देल्हा हेमंत बाबू, दिलवा में उठेला तूफा हों’ गीत गाकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को उनका वादा याद दिलाया जिसमें उन्होंने मनरेगा के कर्मचारियों को स्थायी करने की बात कही थी।
* 27 मार्च को रायपुर (छत्तीसगढ़) में राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त करने के विरुद्ध रोष प्रकट करने के लिए कांग्रेस के छात्र संगठन के सदस्यों ने गांधी जी की वेशभूषा में ‘शवयात्रा’ निकाल कर प्रदर्शन किया। 
* 11 अप्रैल को बार-बार हार्न बजाकर ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले ड्राइवरों को सबक सिखाने के लिए अलीगढ़ में कुछ लोगों ने अनोखा तरीका अपनाया। पहले तो उन्होंने एक ट्रक ड्राइवर को ट्रक से नीचे उतार कर फूलों का हार पहनाया लेकिन अगले ही पल एक शक्तिशाली हार्न उसके कानों में बजाने लगे। इससे वह परेशान हो गया और अपनी भूल का एहसास करके उसने लोगों से माफी मांगी व भविष्य में बिना वजह हार्न न बजाने का वायदा किया। 

* 11 अप्रैल को ही देश के सबसे स्वच्छ शहर कहलाने वाले इंदौर (मध्य प्रदेश) में मच्छरों के बढ़ते प्रकोप से मुक्ति दिलाने की मांग पर बल देने के लिए कांग्रेस कार्यकत्र्ता स्वयं को मच्छरदानियों में बंद करके शहर के राजवाड़ा चौक पर धरना देने बैठ गए। इस अवसर पर उन्होंने वहां से गुजरने वाले राहगीरों को मच्छर मारने की अगरबत्तियां एवं मच्छर मारने वाले ‘रैकेट’ बांटे।  इससे पूर्व भी अनेक मौकों पर विभिन्न राजनीतिक दलों के लोगों द्वारा अनोखे तरीके से प्रदर्शन किए जाते रहे हैं। उदाहरण स्वरूप : 
* 17 सितम्बर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर महंगाई, बेरोजगारी और निजीकरण के विरोध में सपा और कांग्रेस के कार्यकत्र्ताओं ने आगरा में गोलगप्पे बेच कर, भीख मांग कर और पकौड़े तल कर रोष जताया। 

* 21 सितम्बर, 2022 को झारखंड के ‘महागामा’ से कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे सिंह ने प्रशासन का ध्यान खराब सड़कों की ओर दिलाने के लिए एक टूटी हुई सड़क के बीच बैठ कर गंदे पानी से स्नान किया। 
* बिहार के सासाराम में गत वर्ष सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना का विरोध करते हुए युवाओं ने सड़क पर वर्जिश करके नाराजगी जाहिर की। 

* वाराणसी में लोगों ने निजी स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि की ओर प्रशासन का ध्यान दिलाने के लिए स्कूल प्रबंधन अधिकारियों के विरुद्ध तथा हरदोई शहर में व्याप्त गंदगी की ओर ध्यान दिलाने के लिए नगर निगम कार्यालय के बाहर भैंसें बांध कर उनके सामने बीन बजाई। ये तो चंद नमूने मात्र हैं। जब लोगों का विरोध करने का तरीका भी बदल रहा है, अत: अधिकारियों को भी समय के साथ-साथ बदल कर लोगों की समस्याएं सुलझाने की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए।—विजय कुमार 


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