पोप फ्रांसिस द्वारा धूम्रपान के विरुद्ध प्रशंसनीय पहल

punjabkesari.in Saturday, Nov 25, 2017 - 03:08 AM (IST)

वैटिकन (रोम) विश्व भर के 1.2 अरब कैथोलिक ईसाइयों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ है। इसके पोप को विश्व भर के कैथोलिक धर्मावलंबियों का धर्म गुरु माना जाता है। 28 फरवरी, 2013 को वैटिकन के 266वें पोप बने पोप फ्रांसिस ने पद ग्रहण करते ही इसमें घर कर चुकी कमजोरियां दूर करने के लिए क्रांतिकारी सुधारों के संकेत दिए थे। इसी के अंतर्गत उन्होंने: 

12 जून, 2013 को पहली बार स्वीकार किया कि वैटिकन में ‘गे’ समर्थक लॉबी व भारी भ्रष्टाचार मौजूद है। उन्होंने इसकी घोर निंदा की। 14 जून, 2013 को पोप फ्रांसिस ने शादी से पूर्व एक साथ (लिव इन रिलेशनशिप में) रहने वाले कैथोलिक जोड़ों की निंदा की और कहा, ‘‘आज कई कैथोलिक बिना शादी के एक-दूसरे के साथ रह रहे हैं जो सही नहीं। इससे शादी की संस्था अस्थायी हो गई है और यह एक गंभीर समस्या है।’’ 5 मार्च, 2014 को अमरीका में मैरोनाइट कैथोलिक गिरजाघर में एक शादीशुदा व्यक्ति को पादरी बनाकर नई पहल की गई। 4 जून, 2014 को पोप ने संतानहीन दम्पतियों से कहा कि ‘‘जानवरों की तुलना में अनाथ बच्चों को प्यार देना और उन्हें गोद लेना बेहतर है।’’ 

25 दिसम्बर, 2014 को उन्होंने कहा कि ‘‘पादरी और बिशप आदि अपना रुतबा बढ़ाने के लिए सांठ-गांठ, जोड़-तोड़ और लोभ की भावनाओं से ग्रस्त हो गए हैं। वैटिकन में बदलाव लाने की आवश्यकता है।’’ ‘‘वैटिकन में सत्ता लिप्सा के शिकार कुछ लोग दिखावटी दोहरी जिंदगी जी रहे हैं। गिरजाघर सिर्फ शुभकामनाओं के आदान-प्रदान का स्थान ही नहीं, पापों के प्रायश्चित और इनसे मुक्ति प्राप्ति की कामना का स्थान भी है।’’

1 सितम्बर, 2015 को पोप फ्रांसिस ने गर्भपात के संबंध में कैथोलिक चर्च की परम्परा को दरकिनार करते हुए इस दिशा में एक नई पहल की और कैथोलिक ईसाई धर्म के कट्टरपंथियों की मान्यता के विरुद्ध फैसला देते हुए चर्च के पादरियों को बुलाकर कहा कि वे पवित्र वर्ष (जुबली ईयर) के दौरान गर्भपात करवाने वाली महिलाओं और उनका गर्भपात करने वाले डाक्टरों द्वारा पश्चाताप करके माफी मांगने पर उन्हें माफ कर दें। 17 जून 2017 को वैटिकन में भ्रष्टाचार तथा सुनियोजित अपराध के विरुद्ध एक कांफ्रैंस बुलाई गई जिसमें कैथोलिक चर्च में भ्रष्टाचार और माफिया के गठबंधन का बहिष्कार करने के संबंध में विचार किया गया। 

और अब 9 नवम्बर को पोप फ्रांसिस ने धूम्रपान पर रोक लगाने की दिशा में एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि वैटिकन की ड्यूटी फ्री दुकानों तथा सुपर मार्कीट में सिगरेटें नहीं बेची जाएंगी जिनकी बिक्री से इसे प्रतिवर्ष 1 करोड़ 10 लाख डालर का लाभ होता है। पोप ने यह घोषणा करते हुए कहा कि यह पवित्र स्थल किसी ऐसी गतिविधि में हिस्सेदार नहीं बन सकता जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो। वैटिकन की ओर से जारी किए गए इस बयान में विश्व स्वास्थ्य संगठन का हवाला देते हुए कहा गया है कि धूम्रपान से विश्व भर में 70 लाख लोगों की जान प्रतिवर्ष जाती है। इस संबंध में 2015 में प्रकाशित एक पुस्तक में भी बताया गया था कि तम्बाकू की भारी मात्रा में बिक्री इस बात का प्रमाण है कि किस प्रकार वैटिकन की व्यापारिक गतिविधियों का दुरुपयोग हो रहा है। 

इटली में 22 प्रतिशत वैट सेल्स टैक्स होने के कारण वैटिकन के ‘कमशिर्यल कार्ड’ का महत्व बहुत बढ़ गया है क्योंकि इससे लोगों को टैक्स फ्री शॉपिंग करने की भारी सहूलियत प्राप्त होती है। इससे वे वैटिकन में लगभग सभी सेवाएं बिना टैक्स दिए प्राप्त कर सकते हैं जिनमें धूम्रपान की वस्तुएं तथा शराब भी शामिल हैं। इस पुस्तक में बताया गया है कि कार्डधारक सिगरेटों को गुप्त रूप से बेच कर भारी मुनाफा कमाते हैं। वैटिकन ने इस बारे में एक बयान में कहा है कि हालांकि सिगरेटों की बिक्री राजस्व का एक स्रोत है परंतु ऐसी किसी भी कमाई को उचित नहीं कहा जा सकता यदि उससे लोगों के जीवन के लिए खतरा पैदा हो। उल्लेखनीय है कि पोप स्वयं धूम्रपान नहीं करते परंतु वैटिकन स्थित बड़ी संख्या में उनके सलाहकार धूम्रपान करते हैं। 

पद संभालने के बाद से पोप द्वारा उठाए जा रहे सुधारवादी पगों की लम्बी सूची में यह एक और उपलब्धि है। पोप फ्रांसिस का यह निर्णय केवल ईसाई समाज और वैटिकन में ही नहीं बल्कि समूचे मानव समाज में समय की जरूरतों के अनुसार बदलाव लाने की दिशा में एक उचित पग है, अत: इसे विश्व में सभी स्थानों पर लागू किया जाना चाहिए। —विजय कुमार 


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