‘वैटिकन’ में क्रांतिकारी सुधार लाने वाले‘पोप फ्रांसिस का 88 की आयु में निधन’
punjabkesari.in Tuesday, Apr 22, 2025 - 05:30 AM (IST)

‘वैटिकन’ के रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें प्रमुख ‘पोप फ्रांसिस’ का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह इतालवी मूल के थे परंतु इनका अधिकांश समय अर्जेंटीना में बीता और वहीं इनका जन्म 17 दिसम्बर, 1936 को ‘ब्यूनस आयर्स’ में हुआ था। इनका जन्म का नाम ‘जार्ज मारियो बर्गोग्लियो’ था। वह 13 मार्च, 2013 को पोप बने थे। इन्होंने महान संत ‘सेंट फ्रांसिस आफ असीसी’ के सम्मान में अपना नाम ‘फ्रांसिस’ चुना था। हाल ही में डबल निमोनिया तथा फेफड़ों के गंभीर संक्रमण से मुक्त होने के बाद वह इसी ‘ईस्टर संडे’ पर सार्वजनिक रूप से नजर आए थे और उन्होंने ‘सेंट पीटर्स स्क्वायर’ में हजारों श्रद्धालुओं का अभिवादन किया था।
‘पोप’ बनते ही इन्होंने ‘वैटिकन’ में प्रवेश कर गईं त्रुटियां दूर करने के लिए इसमें क्रांतिकारी सुधार लाने शुरू कर दिए थे। इसी सिलसिले में उन्होंने 5 मार्च, 2014 को अमरीका में ‘मैरोनाइट कैथोलिक गिरजाघर’ में एक शादीशुदा व्यक्ति को पादरी बनाकर नई पहल की। ‘ईस्टर’ से पहले आने वाले वीरवार को पादरियों द्वारा गरीबों के पैर धोने की परम्परा को नया रूप देते हुए ‘पोप फ्रांसिस’ ने पहली बार जेल जाकर कैदियों के पैर धोए थे, जिनमें मुसलमान कैदी और महिलाएं भी शामिल थीं।
इसके साथ ही उन्होंने ‘वैटिकन’ के कामकाज में महिलाओं को विशेष स्थान देने और उनके सशक्तिकरण के अलावा ‘वैटिकन’ में आई कुरीतियां दूर करने की दिशा में कदम उठाए जिनके चंद उदाहरण निम्न में दर्ज हैं :
* 11 जनवरी, 2021 को ‘पोप फ्रांसिस’ ने महिलाओं को कैथोलिक चर्च में बराबरी का दर्जा और उन्हें चर्च की प्रार्थना करवाने की प्रक्रिया में शामिल होने का अधिकार देने का निर्णय लिया। इसी वर्ष ‘पोप फ्रांसिस’ ने पहली बार एक महिला को ‘वैटिकन सिटी’ के प्रबंधन में नम्बर 2 के पद पर नियुक्त किया जो ‘वैटिकन सिटी’ में किसी महिला की सबसे उच्च पद पर नियुक्ति थी।
* 29 अप्रैल, 2021 को ‘पोप फ्रांसिस’ ने चर्च के बड़े पादरी (कार्डिनल) सहित सभी उच्च पदाधिकारियों को अपनी सम्पत्तियों का खुलासा करने का आदेश देते हुए कहा कि ‘‘ईश्वर के काम में जुड़े लोग भ्रष्टाचार से मुक्त रहें और वित्तीय लेन-देन में ईमानदारी तथा पारदर्शिता बरतें।’’
* 1 जून, 2021 को इन्होंने 40 वर्ष के बाद कैथोलिक चर्च के कानूनों में संशोधन करते हुए यौन शोषण के मामलों में कड़े दंड के नियम बनाए।
* 25 दिसम्बर, 2021 को इन्होंने दम्पतियों को अपने टूट रहे वैवाहिक संबंधों को बचाने के लिए 3 मंत्र देते हुए कहा, ‘‘विवाहित लोगों को हमेशा 3 शब्द याद रखने चाहिएं। ये शब्द हैं ‘कृपया, धन्यवाद तथा क्षमा करें’।’’
उन्होंने लोगों को अपने बुजुर्गों से निकटता बढ़ाने का भी उपदेश दिया और कहा,‘‘हम लोगों को अपने बुजुर्गों के साथ समय बिताना चाहिए।’’
* 6 जनवरी, 2022 को पोप ने सुझाव दिया कि ‘‘जिन दम्पतियों के अपने बच्चे नहीं हो सकते उन्हें बेसहारा बच्चों को गोद लेने पर विचार करना चाहिए। दुनिया में आज कितने ही बच्चे इंतजार कर रहे हैं कि कोई उनकी देखभाल करे।’’
* 2022 में पोप ने चर्च में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए महिलाओं सहित दीक्षा ले चुके कैथोलिकों को ‘वैटिकन’ के अधिकांश विभागों का प्रमुख बनाने तथा विश्व भर के लिए 5300 बिशपों (धर्माध्यक्षों) की नियुक्ति संबंधी अपनी सलाहकार संस्था ‘सायनोड आफ बिशप’ में 3 महिलाओं को शामिल करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए। इसमें पहले पुरुष ही होते थे।
* 2023 में पोप फ्रांसिस ने पहली बार महिलाओं को बिशपों की अंतर्राष्ट्रीय बैठक में मतदान करने की अनुमति देने का निर्णय किया। अपनी करुणा, विनम्र स्वभाव, दया, गरीबों के प्रति ङ्क्षचता, उनकी देखभाल और पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर जोर देने के लिए वह सबके आदर के पात्र बने। सदियों से पुरुष प्रधान रहे ‘वैटिकन’ में पोप फ्रांसिस द्वारा लाए गए सुधार ऐतिहासिक माने जाते हैं और ‘पोप फ्रांसिस’ का निधन केवल ईसाई भाईचारे के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए एक क्षति है। —विजय कुमार