‘मार्क कार्नी’ का जी-7 के लिए ‘मोदी को न्यौता’ ‘भारत-कनाडा में संबंध सुधारने का मौका’
punjabkesari.in Sunday, Jun 08, 2025 - 04:42 AM (IST)

भारत और कनाडा के रिश्ते ऐतिहासिक तौर पर काफी अच्छे रहे हैं और कनाडा भारतीयों का पसंदीदा देश रहा है। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक कनाडा में 28.75 लाख भारतीय रहते हैं और 2023 में कनाडा ने रिकार्ड 2.78 लाख भारतीय स्टूडैंट्स को स्टडी वीजा जारी किए थे। 18 जून, 2023 को ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी आतंकी हरप्रीत सिंह निज्जर की हुई हत्या के 2 महीने बाद 18 सितम्बर को कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा की संसद में खड़े होकर बिना प्रमाण के इस हत्या का आरोप भारत पर लगा दिया। इसके बाद से ही कनाडा और भारत के संबंधों में खटास आनी शुरू हो गई।
जस्टिन ट्रूडो के इस आरोप के बाद भारत ने कनाडियन नागरिकों के वीजा पर रोक लगा दी और कनाडा के दूतावास में कर्मचारियों की संख्या घटाने का आदेश दे दिया। इसके जवाब में कनाडा ने भी भारत के राजदूत संजय वर्मा सहित 6 अधिकारियों को कनाडा छोडऩे के आदेश दे दिए। भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए अक्तूबर, 2023 को भारत स्थित कनाडियन दूतावास के 41 कर्मियों को देश से निकालने के आदेश दे दिए। इससे भारत में कनाडा के चंडीगढ़, मुंबई, बेंगलुरू स्थित दूतावासों को बंद करना पड़ा और वीजा प्रोसैसिंग के लिए स्टाफ कम होने से भारतीयों को कनाडियन वीजा मिलने में देरी होने लगी। कनाडा में बसने वाले भारतीय नागरिक भी इस दौरान अपने घरों में खुशी या गम के माहौल में भारत नहीं आ पाए।
दोनों देशों के बीच संबंधों में आई इस खटास का असर भारत से पढ़ाई के लिए कनाडा जाने वाले स्टूडैंट्स पर भी पड़ा। 2023 में कनाडा ने भारतीयों को 2.78 लाख वीजा जारी किए थे जो 2024 में कम हो कर 1.21 लाख रह गए जबकि इस साल सिर्फ 96,015 स्टूडैंट्स को ही वीजा जारी किए गए हैं। हालांकि पिछले साल जून में इटली में प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ और कनाडा के प्रधानमंत्री ‘जस्टिन ट्रूडो’ के बीच संक्षिप्त मुलाकात हुई लेकिन दोनों देशों के खराब हुए संबंधों को पटरी पर लाने के लिए कोई चर्चा नहीं हुई।
‘लिबरल पार्टी’ में अपने विरुद्ध बढ़ रहे असंतोष और नीतियों के चलते ‘जस्टिन ट्रूडो’ को इस साल 6 जनवरी को पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा और 14 मार्च को ‘मार्क कार्नी’ ने कनाडा के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली। ‘मार्क कार्नी’ की अगुवाई में ही लिबरल पार्टी 28 अप्रैल को चुनाव में उतरी और वह कनाडा के प्रधानमंत्री बने। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही भारत और कनाडा के संबंधों में सुधार होने की उम्मीद की जा रही थी। कनाडा इस साल जी-7 का मेजबान देश है और ‘मार्क कार्नी’ ने इस मौके का लाभ उठाते हुए खुद प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ को 15 से 17 जून तक कनाडा में होने वाली जी-7 सम्मिट में आने का न्यौता दिया है। इस न्यौते के बाद प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ ने कहा कि ‘‘कनाडा के प्रधानमंत्री ‘मार्क कार्नी’ के साथ फोन पर बात करके अत्यंत खुशी हुई। मैंने उन्हें हाल ही में मिली चुनावी जीत पर बधाई दी और इस महीने में ‘कनानस्किस’ (अल्बर्टा) में होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए निमंत्रण हेतु धन्यवाद भी किया।’’
‘‘एक जीवंत लोकतंत्र होने के नाते, भारत और कनाडा के बीच गहरे आपसी संबंध हैं। अब दोनों आपसी सम्मान और सांझा हितों के आधार पर फिर से नई ऊर्जा के साथ मिलकर काम करेंगे। शिखर सम्मेलन में अब इस मुलाकात का इंतजार है।’’
लिहाजा भारत को अब इस मौके को कनाडा के साथ संबंधों में सुधार के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। कनाडा भारत का पुराना दोस्त रहा है और दोनों देशों के मध्य व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों का लंबा इतिहास भी रहा है। ऐसे में ‘मार्क कार्नी’ के इस कदम से दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ जरूर पिघलेगी और इसी में दोनों देशों की सरकारों और नागरिकों का भला है।—विजय कुमार