फल-सब्जियों में मौजूद ‘कीटनाशक’ ले रहे हैं लोगों की जान

punjabkesari.in Wednesday, Jul 08, 2020 - 02:55 AM (IST)

फल और सब्जी उत्पादकों द्वारा फलों को जल्दी पकाने के लिए विभिन्न रसायनों, रासायनिक खादों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से ये विषैली हो रही हैं क्योंकि कीटनाशकों का एक हिस्सा ही कीड़ों और रोगों को नष्ट करने के काम आता है जबकि शेष हिस्सा उनमें समा कर खाने वालों को बीमार कर सकता है। आम को जल्दी पकाने के लिए ‘कैल्शियम कार्बाइड’ नामक कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है जबकि फल-सब्जियों पर अधिक कीटनाशकों और रसायनों के इस्तेमाल से डायबिटीज, अल्जाइमर, अस्थमा, प्रजनन संबंधी अक्षमता व आटिज्म आदि के अलावा अनेक प्रकार के कैंसर होने का खतरा रहता है। 

गत 20 वर्षों में डाक्टरों को अनेक रोगियों की जांच के दौरान उनके खून में अल्फा और बीटा एंडोसल्फन, डी.डी.टी. और डी.डी.ई., डिल्ड्रिन, एल्ड्रिन तथा गामा एच.सी.एच. आदि खतरनाक कीटनाशक मौजूद होने का पता चला है। और अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से करवाए एक अनुसंधान में पंजाब के धान, जम्मू के सब्जी उत्पादकों और कश्मीर घाटी के सेब उत्पादकों द्वारा कीटनाशकों के अत्यधिक इस्तेमाल का पता चला है। धान उत्पादक 5 कीटनाशकों के काकटेल सहित और 9 खरपतवार नाशकों सहित 20 प्रकार के कीटनाशकों का इस्तेमाल कर रहे हैं जिनमें से कुछ कीटनाशकों को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विनाशकारी बताया है। 

इसी संदर्भ में कुछ समय पूर्व दिल्ली हाईकोर्ट ने सब्जियों में कीटनाशकों के इस्तेमाल संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि ‘‘फलों को पकाने के लिए कीटनाशकों और रसायनों का प्रयोग उपभोक्ताओं को जहर देने के समान है। अत: ऐसे लोगों पर कानूनी कार्रवाई से ही यह रुकेगा।’’ 

अधिक लाभ के लालच में फल-सब्जियों और अन्य फसलों पर रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अधिक इस्तेमाल निश्चय ही मानवता के विरुद्ध बड़ा अपराध है। अत: इनका एक निश्चित सीमा से अधिक इस्तेमाल किसी भी सूरत में नहीं होना चाहिए ताकि मानव जाति को स्वास्थ्य संबंधी खतरों से बचाया जा सके। यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि ‘कोरोना’ महामारी ने पहले ही स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्याएं खड़ी कर रखी हैं।—विजय कुमार


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