‘रमजान के महीने में भी जारी हिंसा’‘फिलस्तीन-इसराईल विवाद : विश्व युद्ध न बन जाए’

punjabkesari.in Friday, May 14, 2021 - 05:31 AM (IST)

हालांकि रमजान का पवित्र महीना इस्लाम में इबादत का महीना माना जाता है परंतु इस महीने में किसी भी प्रकार की हिंसा की मनाही होने के बावजूद इस्लामिक आतंकवादी गिरोहों द्वारा हिंसा जारी रही और फिलस्तीन तथा इसराईल के बीच शुरू हुए झगड़े ने दुनिया को चिंता में डाल दिया है। 

फिलस्तीन के इस्लामी आतंकी संगठन ‘हमास’ और इसराईल की पुलिस के बीच 8 मई से जारी हिंसा 10 मई को इसराईल पर ‘हमास’ की ओर से किए गए रॉकेट हमलों में 9 इसराईलियों की मौत के बाद विस्फोटक रूप धारण कर गई है और दोनों ओर से ताबड़तोड़ हवाई हमले हो रहे हैं। इन हमलों की गंभीरता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इसराईल और फिलस्तीन के बीच 2014 में 50 दिनों तक चले युद्ध के बाद यह सबसे बड़ा टकराव है जिसके तार 1967 के युद्ध में इसराईल द्वारा पूर्वी यरुशलम पर किए गए कब्जे से जुड़े हैं। 

यरुशलम पर कब्जे की याद में इसराईल सरकार प्रति वर्ष समारोह मनाती है। इस बार के समारोहों को निॢवघ्न रूप से स पन्न करने के लिए इसराईल सरकार ने यरुशलम स्थित ‘अल अक्सा क पाऊंड’ में फिलस्तीनियों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी जिसे वे अपना पवित्र स्थल मानते हैं। इस बीच ‘अल अक्सा’ मस्जिद में उपद्रवियों व पुलिस के बीच झड़पें भी हुई हैं।

‘हमास’, जिसका गाजा पर नियंत्रण है, ने इस प्रतिबंध को फिलस्तीनियों की धार्मिक आजादी पर हमला मानकर गाजा पट्टी स्थित अपने ठिकानों से इसराईल को निशाना बनाना शुरू कर दिया और उसके लगातार हमलों से तेलअवीव सहित इसराईल के कई शहर थर्रा उठे। इसी के अंतर्गत फिलस्तीनी आतंकवादियों ने इसराईली क्षेत्रों में 10 मई से 12 मई के बीच 1500 रॉकेट दागे जिनमें से 200 रॉकेट इसराईल के रिहायशी इलाकों में गिरने से जान-माल की भारी क्षति हुई। 

फिलस्तीनी चरमपंथियों के हमलों के परिणामस्वरूप अन्यों के अलावा इसराईल के तटीय शहर ‘अशकेलॉन’ के एक घर में नौकरी करने वाली सौ या संतोष नामक एक 30 वर्षीय भारतीय महिला की भी मौत हो गई। दूसरी ओर इसराईल की जवाबी कार्रवाई हिंसा को रोकने के इसराईल सरकार के प्रयासों के दौरान 12 मई को देश में अनेक स्थानों पर अरब मूल के लोगों और यहूदियों के बीच दंगे शुरू हो गए हैं जिनमें अनेक पुलिस कर्मचारी घायल हो गए और पुलिस ने लगभग 400 लोगों को गिर तार करने के अलावा लाड शहर में एमरजैंसी लागू करने की घोषणा कर दी है। 

उल्लेखनीय है कि 1966 के बाद पहली बार इसराईल सरकार को अरब समुदाय के लोगों के विरुद्ध अपनी आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करना पड़ा है। सरकार ङ्क्षहसा प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस की सहायता के लिए सेना भेजने पर भी विचार कर रही है। इसराईल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने चेतावनी दी है कि ‘‘अब हमारे द्वारा किए जा रहे जवाबी हमले दुश्मन को शांत करने के बाद ही बंद होंगे। यह तो शुरूआत मात्र है। हम ‘हमास’ आतंकवादियों को ऐसी मार मारेंगे जैसी उन्होंने सपने में भी नहीं सोची होगी।’’  वहीं फिलस्तीनियों का कहना है कि वे भी इसराईल के मुकाबले के लिए पूरी तरह तैयार हैं। 

दोनों पक्षों के बीच बढ़ रहे टकराव को देखते हुए अमरीकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लकेन ने झगड़ा शांत करने के लिए अपना दूत भेजने की बात कही है। वहीं विश्व के अनेक देशों के नेताओं ने भी दोनों पक्षों से तत्काल युद्ध समाप्त करने को कहा है। जर्मनी ने भी कहा है कि इसराईल को फिलस्तीनी आतंकवादियों के हमलों से स्वयं को बचाने के लिए उसका समुचित जवाब देने का पूरा अधिकार है। दूसरी ओर जहां तुर्की के राष्टï्रपति एर्दोगान ने इसराईल को कठोर सबक सिखाने की जरूरत पर जोर दिया है वहीं इस्लामिक विद्वान तारिक फतेह का कहना है कि ‘‘हिंसा से किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकता है अत: फिलस्तीनियों को हिंसा का त्याग करना चाहिए।’’ 

इस विवाद को लेकर जहां विश्व भर में एक बहस छिड़ गई है वहीं मिस्र का एक प्रतिनिधि मंडल इसराईली अधिकारियों के साथ संघर्ष विराम वार्ता के लिए तेलअवीव पहुंच गया है। यदि बातचीत सिरे न चढ़ी तो हालात काबू से बाहर हो जाएंगे और इसके परिणामस्वरूप एक बड़े युद्ध का खतरा पैदा हो सकता है जो कहीं तीसरे विश्व युद्ध का कारण ही न बन जाए! —विजय कुमार 


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