विदेशी जेलों में 8000 से अधिक भारतीय इनमें से आधे खाड़ी देशों में

punjabkesari.in Saturday, Dec 24, 2022 - 04:08 AM (IST)

प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में भारतीय विदेश जाते हैं। 2021 के आंकड़ों के अनुसार विश्व के दूसरे देशों में रहने वाले लगभग 1.34 करोड़ भारतीयों में से अकेले खाड़ी देशों में ही सर्वाधिक 87.51 लाख भारतीय रहते हैं। लाखों भारतीय विदेश जाने का सपना देखते हैं और उनमें से काफी इसमें सफल हो जाते हैं परंतु कई बार वहां बेहतर जीवन पाने की बजाय चंद लोग जाने-अनजाने ही विभिन्न अपराधों में लिप्त होने या फंसा दिए जाने के कारण जेलों में पहुंच जाते हैं। 

विदेश मंत्रालय के नवीनतम आंकड़़ों के अनुसार विश्व के 69 देशों की जेलों में 8441 से अधिक भारतीय कैदी हत्या, घरेलू हिंसा, नशों की तस्करी, नस्ली हिंसा, गबन, चैक बाऊंस, मानव तस्करी, बलात्कार, अवैध रूप से देश की सीमा में प्रवेश करने आदि आरोपों में बंद हैं। इनमें से सर्वाधिक 4389 भारतीय अकेले खाड़ी देशों (संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर, कुवैत, बहरीन तथा ओमान) की जेलों में बंद हैं। इनमें से 1858 भारतीय संयुक्त अरब अमीरात की जेलों में बंद हैं। यह किसी भी देश की जेलों में बंद भारतीयों की सर्वाधिक संख्या है और इनमें 40 महिलाएं भी शामिल हैं। अरब देशों के बाद सर्वाधिक भारतीय कैदियों या विचाराधीन कैदियों के मामले में दूसरा स्थान नेपाल का है जहां 1222 भारतीय बंद हैं। 

आंकड़ों के अनुसार 19 देशों की जेलों में कम से कम 115 भारतीय महिलाएं कैद की सजा भुगत रही हैं। एक भारतीय महिला फिनलैंड में नशा तस्करी के आरोप में कैद है। अमरीका की जेलों में विचाराधीन एवं सजायाफ्ता 261 भारतीय बंद हैं। इटली में यह संख्या 244 और इंगलैंड में 219 है। इसके बाद चीन (203), आस्ट्रेलिया (105), जर्मनी (92), भूटान (69), बंगलादेश (59), सिंगापुर (51), साइप्रस (44), स्पेन (40), फिलीपींस (36), जॉर्डन (30), श्रीलंका (29),  फ्रांस (29), कनाडा (23),ग्रीस (22), म्यांमार (21), पुर्तगाल (20), इंडोनेशिया (20), नाइजीरिया (18), मालदीव (11), थाईलैंड (10) तथा स्वीडन (2) आदि हैं। 

सर्वाधिक नागरिकों को विदेश भेजने वाले राज्यों में से एक केरल के लोगों के पास देश में सबसे अधिक 1.12 करोड़ पासपोर्ट हैं। बताया जाता है कि अनेक केरल वासी पश्चिम एशिया के देशों में कैद हैं जिन्हें छोटे-मोटे मामलों में फंसाया गया है। अब केरल सरकार उनके बारे में आंकड़े इकट्ठे करने की कोशिश कर रही है तथा उसने विदेशी जेलों में बंद अपने नागरिकों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए एक ‘प्रवासी सहायता प्रकोष्ठ’ भी कायम किया है। इसी बीच विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने गत दिवस लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि विदेशी जेलों में कम से कम 3403 भारतीय नागरिक ऐसे भी हैं जिनकी स्थिति स्पष्ट नहीं है। 

जिन देशों में भारतीय कैदी बंद हैं उनमें से अनेक देशों के साथ भारत के अच्छे रिश्ते हैं। अत: केंद्र सरकार को इनके बारे में संबंधित सरकारों के साथ मामला उठा कर कोई ऐसा निर्णय करना चाहिए जिससे अपनी नादानी या अनजाने में हुए अपराध के कारण जेलों में बंद भारतीयों को छुड़वा कर लाया जा सके। इसके अलावा केरल सरकार की भांति अन्य राज्यों में भी ‘प्रवासी सहायता प्रकोष्ठï’ कायम किए जाने चाहिएं।

विदेशी जेलों में बंद होने के कारण भारतीय कैदियों के परिजनों को उनकी सही स्थिति का पता नहीं चल पाता और वे जेलों में तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियों का शिकार भी हो रहे हैं। भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच सजायाफ्ता कैदियों के हस्तांतरण को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर भी हो चुके हैं जिसके अंतर्गत वहां की जेलों में बंद भारतीयों को उनकी बकाया सजा काटने के लिए भारत स्थानांतरित किया जा सकता है। 

अत: इस समझौते को जितनी जल्दी अमली रूप दिया जा सके उतना ही अच्छा होगा तथा इसके साथ ही अन्य देशों से भी इसी प्रकार के समझौते तुरंत किए जाने चाहिएं ताकि वहां की जेलों में बंद भारतीयों को भी भारत लाया जा सके और उनके परिवार के लोग उनसे मिल सकें।—विजय कुमार  


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