केन्द्र सरकार के रोजगार के अवसर बढ़ाने के दावे खोखले लगातार बढ़ रही बेरोजगारों की संख्या

punjabkesari.in Wednesday, Mar 04, 2020 - 01:36 AM (IST)

सरकार द्वारा रोजगार सृजन के नए अवसर पैदा करने की बार-बार की जाने वाली घोषणाओं के बावजूद देश में रोजगार सृजन के अवसर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अत्यंत विश्वसनीय माने जाने वाले थिंक टैंक ‘सैंटर फार मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी’(सी.एम.आई.ई.) के अनुसार मई-अगस्त 2017 में देश में बेरोजगारी की दर 3.8 प्रतिशत थी जो सितम्बर-दिसम्बर 2019 के चार महीनों में 7.5 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। यह सिलसिला इसके बाद भी जारी रहा और इस वर्ष फरवरी में देश में बेरोजगारी की दर बढ़कर 7.78 प्रतिशत पर पहुंच गई है जो जनवरी के मुकाबले 0.62 प्रतिशत अधिक है। 

मुम्बई स्थित एक निजी थिंक टैंक ‘सैंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी’(सी.एम.आई.ई.) की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि फरवरी, 2020 में बेरोजगारी दर अक्तूबर, 2019 के बाद 4 महीनों में सर्वाधिक रही है। सी.एम.आई.ई. की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि फरवरी महीने में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में कम लोगों को रोजगार मिला है।

ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर जनवरी की 5.97 प्रतिशत के मुकाबले फरवरी में बढ़कर 7.37 प्रतिशत पर पहुंच गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में राज्य सरकार प्रति वर्ष 1 लाख बेरोजगारों को रोजगार देने की घोषणा करती रही है परन्तु पिछले 2 वर्षों में वहां मात्र 2230 युवाओं को ही सरकारी नौकरियां मिल पाई हैं जबकि पिछले 2 वर्षों में वहां साढ़े 4 लाख युवाओं ने बेरोजगारी दर्ज करवाई है।

बताया जाता है कि राज्य के डांग, राजकोट, जूनागढ़, खेड़ा, महिसागर, वड़ोदरा, जामनगर, नर्मदा, भरूच, तापी, दाहोद और नवसारी जिलों में तो एक भी युवक को सरकारी नौकरी नहीं मिली। जब प्रधानमंत्री के गृह राज्य की यह स्थिति है तो अन्य राज्यों की स्थिति का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। स्पष्ट है कि देश में बेरोजगारी की समस्या अत्यंत गंभीर होती जा रही है और सरकार के रोजगार के नए अवसर सृजित करने के दावे खोखले सिद्ध हो रहे हैं और इसीलिए पंजाब तथा देश के अन्य राज्यों से युवा पलायन करके रोजगार की तलाश में दूसरे देशों को जा रहे हैं।—विजय कुमार


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