इंसान से कुदरत नाराज कहीं ज्वालामुखी फूटने, कहीं तूफान, वर्षा, भूकंप आदि से तबाही

punjabkesari.in Sunday, Feb 06, 2022 - 05:53 AM (IST)

इन दिनों लगातार हिमस्खलन, भूस्खलन, ज्वालामुखी फूटने, भूकंप, वर्षा, बाढ़ आदि के परिणामस्वरूप जो भारी विनाश हो रहा है, उसे देखते हुए लोगों का यह कहना ठीक ही प्रतीत होता है कि प्रकृति हमसे नाराज है और हम विनाश की ओर बढ़ रहे हैं, जिसके उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

* 15 जनवरी को टोंगा के द्वीप में समुद्र के नीचे ज्वालामुखी फूटने से आई सुनामी के चलते एक पूरा गांव नष्ट होने के अलावा अनेक इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं और अनेक लोग घायल हो गए।
* 16 जनवरी को ही पश्चिमी अफगानिस्तान के ‘बड़घिस’ प्रांत में आए 5.6 तीव्रता के भूकंप के परिणामस्वरूप 22 लोगों की जान चली गई। 

* 19 जनवरी को ताजिकिस्तान की राजधानी ‘दुशांबे’ में रिक्टर पैमाने पर 4.3 तीव्रता तथा हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला सहित अनेक क्षेत्रों में 2.50 तीव्रता के भूकंप के झटके लगे।
* 20 जनवरी को अफगानिस्तान के फैजाबाद में 4.5 तीव्रता का भूकंप आया। इसी दिन अफगानिस्तान के तखर प्रांत में भारी वर्षा के कारण एक मकान की छत ढहने से 3 लोगों की मौत हो गई।
* 21 जनवरी को मिजोरम की राजधानी आईजोल सहित अनेक स्थानों पर रिक्टर पैमाने पर 5.6 तीव्रता का भूकंप आया। 

* 22 जनवरी को भारत के जम्मू-कश्मीर, जापान, इंडोनेशिया तथा फिलीपींस में भूकंप के झटके महसूस किए गए जिनकी रिक्टर पैमाने पर तीव्रता क्रमश: 4, 6.4, 6.1 तथा 6.5 थी।
 * 24 जनवरी तक अफगानिस्तान में कुछ दिनों के दौरान भारी बर्फबारी के परिणामस्वरूप मृतकों की संख्या 42 तक पहुंच गई तथा 76 लोग घायल हो गए।
* 25 जनवरी को तूफान और लगातार बाढ़ से बेहाल मेडागास्कर की राजधानी ‘एंटनानैरिवो’ में चक्रवाती तूफान ‘एना’ तथा बाढ़ से 34 लोगों की जान चली गई तथा 55,000 से अधिक लोग बेघर हो गए। 

* 27 जनवरी को हांगकांग के ‘पंगई’ और ‘टोंगा’ के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में 6.2 तीव्रता के भूकंप के झटके लगे।
* 28 जनवरी को स्पेन के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र गैलिसिया में एक घंटे के भीतर रिक्टर पैमाने पर क्रमश: 1.9, 2.5, 3.7 तथा 4.6 तीव्रता के भूकंप के 4 झटके लगे, जबकि पनामा में 5.6 तीव्रता का भूकंप आया।
* 29-30 जनवरी को यूरोप के विभिन्न देशों डेनमार्क, फिनलैंड, नार्वे और स्वीडन में तेज हवाओं के साथ भारी वर्षा तथा बर्फबारी हुई और हेलसिंकी में भीषण बर्फीले तूफान के कारण कम से कम 4 लोग मारे गए। 

* 30 जनवरी को ही पूर्वी संयुक्त राज्य अमरीका में बर्फीले तूफान के कहर से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया, जिससे लगभग 7 करोड़ लोग प्रभावित हुए।
* 31 जनवरी को ब्राजील के राज्य साओ पाओलो में भारी वर्षा के कारण आई बाढ़ तथा भूस्खलन के परिणामस्वरूप कम से कम 24 लोग मारे गए।
* 31 जनवरी को ही इक्वाडोर की राजधानी क्विटो में पिछले 20 वर्षों में सर्वाधिक भयावह बाढ़ के चलते कम से कम 18 लोगों की मौत तथा अनेक वाहन बाढ़ के पानी में बह गए। 

* 2 फरवरी को इंडोनेशिया तथा न्यूजीलैंड में क्रमश: 6.00 तथा 5.2 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए।
* 3 फरवरी को अधिकारियों ने बताया कि एक सप्ताह पूर्व तुर्की-यूनान सीमा पर बर्फीले तूफान के कारण कम से कम 12 प्रवासी मृत पाए गए।
* 4 फरवरी को अमरीका के कई राज्यों में आए बर्फीले तूफान के कारण बिजली का संकट पैदा हो गया तथा 3.50 लाख घरों की बिजली गुल हो गई।
* और अब 5 फरवरी को पाकिस्तान के इस्लामाबाद, रावलपिंडी, नौशेरा, गिलगित, खैबर, ऐबटाबाद, कोहाट तथा अफगानिस्तान में रिक्टर पैमाने पर 5.9 तीव्रता के भूकंप के अलावा भारत के जम्मू-कश्मीर में 5.7, दिल्ली, नोयडा, राजस्थान, उत्तराखंड तथा अन्य भागों में 3.6 तीव्रता तक के भूकंप के झटके महसूस किए गए। 

उक्त घटनाओं के कारणों को देखें तो निश्चय ही यह प्रकृति से छेड़छाड़ का परिणाम है। वायुमंडल में छोड़े जा रहे कारखानों के विषैले धुएं, वनों के कटान और उनमें आग लगाने, अधिक फसल के लिए कीटनाशकों तथा कैमिकल खादों के अधिक प्रयोग से वायुमंडल विषाक्त और पृथ्वी कमजोर हो रही है। वहीं कारखानों का विषैला व सीवरेज का गंदा पानी छोडऩे से जल विषैला हो रहा है और पर्यावरण को क्षति पहुंच रही है। 

इस तरह की घटनाओं से प्रकृति हमें बार-बार चेतावनी दे रही है कि ‘‘यदि पर्यावरण से इसी प्रकार छेड़छाड़ होती रही तो विश्व को वर्तमान से भी अधिक विनाशलीला के हृदय विदारक दृश्य देखने पड़ेंगे।’’—विजय कुमार


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