अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ‘महंत नरेंद्र गिरि ’ की हत्या या आत्महत्या

punjabkesari.in Wednesday, Sep 22, 2021 - 04:55 AM (IST)

संतों की सबसे बड़ी संस्था ‘अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद’ के अध्यक्ष तथा निरंजनी अखाड़ा के सचिव ‘महंत नरेन्द्र गिरि’ (58) का 20 सितम्बर शाम को प्रयागराज में संदिग्धावस्था में देहांत हो गया। उनका पाॢथव शरीर अल्लापुर बाघम्बरी गद्दी मठ के एक कमरे में पंखे से लटका मिला। वह 2013 व 2019 में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष चुने गए। उनका उत्तर प्रदेश की हर सरकार में काफी प्रभाव था एवं कई राजनीतिज्ञों से निकट संबंध थे। पुलिस महानिरीक्षक (प्रयागराज रेंज) के.पी. सिंह के अनुसार प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला नजर आता है तथा घटनास्थल से एक मार्मिक सुसाइड नोट भी मिला है जिसमें ‘महंत नरेन्द्र गिरि’ ने लिखा है : 

‘‘वैसे तो मैं 13 सितम्बर को आत्महत्या करने जा रहा था किन्तु हिम्मत नहीं कर पाया। आज जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक-दो दिनों में आनंद गिरि कम्प्यूटर के माध्यम से किसी लड़की या महिला के साथ गलत काम करते हुए मेरा फोटो लगा कर वायरल कर देगा, मैंने सोचा कहां-कहां सफाई दूंगा।’’ ‘‘एक बार तो बदनाम हो जाऊंगा, मैं जिस पद पर हूं वह गरिमामयी पद है। सच्चाई तो लोगों को बाद में (पता) चल जाएगी लेकिन मैं तो बदनाम हो जाऊंगा। इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं जिसकी जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उनके लड़के संदीप तिवारी की होगी।’’ 

जहां तक आनंद गिरि का सम्बन्ध है, सम्पत्ति विवाद से लेकर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ तक से उनका नाता रहा है। वह शक के दायरे में इसलिए हैं क्योंकि ‘महंत नरेन्द्र गिरि’  द्वारा संभाली गई बाघम्बरी गद्दी की 300 वर्ष पुरानी वसीयत के कारण इनके साथ आनंद गिरि का काफी पुराना विवाद था। कुछ वर्ष पूर्व आनंद गिरि ने ‘महंत नरेन्द्र गिरि’ पर गद्दी की 8 बीघा जमीन 40 करोड़ रुपए में बेच देने का आरोप लगाया था। 

शिष्य आनंद गिरि ने ‘महंत नरेन्द्र गिरि’ पर अखाड़े के सचिव की हत्या करवाने का आरोप भी लगाया जिसके बाद दोनों के मतभेद बढ़ गए थे। आनंद गिरि पर दो अलग-अलग मौकों पर 2 महिलाओं के साथ मारपीट करने के आरोप भी लग चुके हैं। उन्हें 2018 में आस्ट्रेलिया में महिलाओं से छेड़छाड़ के आरोप में फंस जाने के कारण जेल भी जाना पड़ा था। तब आनंद गिरि ने आरोप लगाया था कि उन्हें छुड़वाने के एवज में ‘महंत नरेन्द्र गिरि’  ने कई बड़े लोगों से 4 करोड़ रुपए वसूल किए। इसके बाद ‘महंत नरेन्द्र गिरि’ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख कर अपनी जान को खतरा बताया था।

बताया जाता है कि कुंभ मेले के दौरान ‘महंत नरेन्द्र गिरि’ का आनंद गिरि से विवाद हुआ था। तब दोनों ने एक-दूसरे पर खूब आरोप लगाए थे जिसके बाद ‘महंत नरेन्द्र गिरि’  ने आनंद गिरि को अखाड़े से निकाल दिया था। सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ के दौरान आनंद गिरि ने एक पुलिस कर्मी सहित 2 लोगों पर आरोप लगाते हुए कहा कि कई लोग ‘महंत नरेन्द्र गिरि’ को ब्लैकमेल कर रहे थे। आनंद गिरि के अनुसार, ‘‘गुरु जी ने कभी अपने हाथ से पत्र ही नहीं लिखा था, वह इतना लंबा पत्र लिख ही नहीं सकते।’’ आनंद गिरि ने दावा किया कि ‘महंत नरेन्द्र गिरि’ की हत्या हुई है तथा मेरी भी हो सकती है। मठ के किसी सेवक का भी कहना है कि जब ‘महंत नरेंद्र गिरि’ अपने हाथ से कुछ लिखते ही नहीं थे तो 8 पृष्ठï का सुसाइड नोट लिखने का सवाल ही पैदा नहीं होता। अत: इसकी जांच होनी चाहिए। निर्वाणी अनी अखाड़ा के महंत स्वामी धर्म दास ने भी कहा है कि ‘महंत नरेंद्र गिरि’ की मृत्यु सामान्य नहीं है। 

आनंद गिरि द्वारा संत समाज के नियमों का उल्लंघन भी ‘महंत नरेन्द्र गिरि’ के लिए परेशानी का कारण बना। आनंद गिरि पर अपने परिवार से संबंध रखने के आरोप लगने के कारण इस वर्ष 14 मई को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने उन्हें अखाड़े तथा बाघम्बरी गद्दी से बाहर कर दिया था। यही नहीं, बाघम्बरी गद्दी की जमीन पर आनंद गिरि के नाम से पैट्रोल पम्प खोलने की योजना रद्द करने पर भी आनंद गिरि नाराज हो गए थे। इसी वर्ष निष्कासन के बाद आनंद गिरि ने अखाड़े की सपत्ति को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे और कहा था कि सम्पत्ति के विवाद में ही अखाड़े से जुड़े दो संतों ने आत्महत्या कर ली थी। 

बताया जाता है कि कुछ महीने पूर्व आनंद गिरि द्वारा ‘महंत नरेन्द्र गिरि’ के पैरों में गिर कर माफी मांग लेने के बाद गुरु-शिष्य में समझौता हो गया था और ‘महंत नरेन्द्र गिरि’ ने आनंद गिरि पर लगाए आरोप वापस लेकर उसे माफ कर दिया था। इस तरह की बातों में कितनी सच्चाई है यह तो मामले की जांच पूरी होने के बाद ही पता चल पाएगा, अभी तो यही कहा जा सकता है कि एक धार्मिक हस्ती का देहावसान जहां अत्यंत दुखद है, वहीं उन्हीं के एक प्रिय शिष्य का उनकी हत्या के संदेह के दायरे में आना खेदजनक है। संत-महात्माओं को तो मोहमाया, काम-क्रोध से दूर एक आदर्श के तौर पर देखा जाता है परंतु जब चंद संतों के विषय में ही धन-दौलत और यौनाचार से जुड़े ऐसे समाचार आते हैं तो संत समाज से लोगों का विश्वास डगमगाता है। ऐसा क्यों हो रहा है यह संत समाज के लिए सोचने का विषय है।—विजय कुमार 


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