आतंकवाद को न रोकने के कारण पाकिस्तान खुद इसकी आग में झुलस रहा है

punjabkesari.in Friday, Feb 17, 2017 - 11:55 PM (IST)

पाकिस्तान के शासक शुरू से ही भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए आतंकवादी गिरोहों को लगातार शरण और प्रोत्साहन देते आ रहे हैं लेकिन उनकी और वहां की सेना की शह के दम पर अब इनका हौसला इतना बढ़ गया है कि ये भारत और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ-साथ स्वयं पाकिस्तान के अस्तित्व के लिए भी खतरा बन गए हैं।

इसी के दृष्टिïगत अमरीकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने 14 जनवरी, 2015 को कहा था कि ‘‘तालिबान, लश्कर-ए-तोएबा, हक्कानी नैटवर्क जैसे समूह न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि उसके पड़ोसी देशों और समूचे विश्व के लिए खतरा बन गए हैं, अत: पाक सरकार को उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।’

वर्तमान में अमरीका के नव-निर्वाचित राष्टï्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भी पाकिस्तान और अन्य देशों को आतंकवाद के विरुद्ध कड़ा संदेश देने के बावजूद पाकिस्तान ने आतंकवादियों को शह देने का सिलसिला बंद नहीं किया।

साऊथ एशिया टैरेरिज्म पोर्टल’ की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2003 से अब तक इन हमलों में मारे गए लोगों की संख्या 21,527 से भी अधिक हो गई है जबकि 2016 में पाकिस्तान में आतंकवादियों ने लगभग 612 नागरिकों और 293 सुरक्षा कर्मचारियों को मौत के घाट उतारा। हद यह है कि इसी सप्ताह पाकिस्तान में कम से कम 6 आतंकवादी हमले हो चुके हैं :

13 फरवरी को लाहौर में विधानसभा भवन के बाहर आत्मघाती बम विस्फोट के परिणामस्वरूप 16 लोगों की मृत्यु तथा 71 अन्य घायल हुए। 13 फरवरी को ही क्वेटा में आतंकवादियों द्वारा प्लांट किए गए बम को निष्क्रिय करते समय विस्फोट से बम निरोधक दस्ते के 2 सदस्य मारे गए।

15 फरवरी को ‘मोहमंद’ कबायली क्षेत्र में आत्मघाती हमले में 4 सुरक्षा कर्मचारियों सहित 8 लोगों की मृत्यु तथा अनेक गंभीर घायल हुए।15 फरवरी को ही पेशावर में जजों को ले जा रहे वाहन पर आतंकवादी हमले में वाहन के चालक की मौत तथा 18 लोग घायल  हुए।

16 फरवरी को सिंध प्रांत में प्रसिद्ध सूफी संत लाल शाहबाज कलंदर की दरगाह पर भयानक बम धमाके में 100 से अधिक लोगों की मृत्यु तथा 200 से अधिकलोग घायल हुए। 17 फरवरी को पेशावर में पुलिस वैन पर हमले में 4 पुलिस कर्मी मारे गए।

बेशक समय-समय पर नवाज शरीफ ने पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादियों के विरुद्ध कुछ कार्रवाई की भी है और उक्त हमलों को भी ‘जिन्ना के पाकिस्तान पर सीधा हमला’ करार देते हुए इससे सख्ती से निपटने की बात कही है परंतु सेना ने कभी भी उनकी बातों को गंभीरतापूर्वक नहीं लिया और आतंकवादियों से निपटने के मामले में हमेशा बेपरवाह ही रही है।

कुछ वर्ष पूर्व भारत यात्रा पर आए पाकिस्तान के पूर्व रक्षा सलाहकार मेजर जनरल महबूब दुर्रानी ने कहा था कि ‘‘पाकिस्तान को अपनी गलत नीतियों की कीमत चुकानी पड़ रही है तथा हमारी गुप्तचर एजैंसी ‘आई.एस.आई.’ को सही रास्ते पर लाने की जरूरत है। यह कार्रवाई करने का वक्त है वर्ना हम इस आग में जल कर खाक हो जाएंगे।’’

स्पष्टïत: मेजर जनरल महबूब दुर्रानी का इशारा पाकिस्तान में सेना और सरकार के बीच के पेचीदा सम्बन्धों की ओर है क्योंकि आतंकवादियों  को प्रोत्साहन देने में वहां की सेना की भी बराबर की भागीदारी रही है। कुछ ही समय पूर्व नवाज शरीफ द्वारा पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष बनाए गए जनरल कमर जावेद बाजवा ने भी अब मेजर जनरल महबूब दुर्रानी के विचारों से मिलते-जुलते विचार व्यक्त किए हैं और कहा है कि ‘‘पाकिस्तानी सेनाधिकारियों को भारतीय लोकतंत्र से शिक्षा लेकर राजनीति से दूर रहना चाहिए, सरकार चलाने का काम सेना का नहीं है।’’

स्पष्टï है कि जब तक पाकिस्तान सरकार और सेना आतंकवादियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई नहीं करेगी तब तक पाकिस्तान इसी तरह आतंकवाद की आग में झुलसता ही रहेगा। अत: वहां की सरकार व सेना जितनी जल्दी कड़ाई से आतंकियों के विरुद्ध कार्रवाई करेगी पाकिस्तान की सुख-समृद्धि के लिए उतना ही अच्छा होगा। अब समय आ गया है कि आतंकियों के प्रति नर्म व्यवहार में बदलाव लाते हुए सेना उनके विरुद्ध लगातार कड़ी कार्रवाई करे ताकि पाकिस्तान आतंकवाद की आग में झुलसने से बच जाए जिस तरह सिंध में आतंकी हमले के बाद कार्रवाई करके पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने 58 आतंकी मार गिराए हैं।      
  —विजय कुमार 


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