संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार का कथन भारतीय मुसलमान पूर्वजों, संस्कृति और मातृभूमि के लिहाज से हिन्दुस्तानी

punjabkesari.in Tuesday, Nov 15, 2022 - 04:14 AM (IST)

देश के अनेक भागों में फैले साम्प्रदायिक विद्वेष को रोकने के लिए ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार समय-समय पर हिंदुओं और मुसलमानों दोनों से ही आपसी अविश्वास की दीवारें गिरा कर ‘दंगा मुक्त भारत’ बनाने का आह्वान करते रहते हैं। 

इसी उद्देश्य से वर्ष 2002 में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच (आर.एम.एम.) का गठन करने वाले इंद्रेश कुमार ने 13 नवम्बर को ठाणे जिले के ‘उत्तन’ में आर.एस.एस. की मुस्लिम शाखा ‘मुस्लिम राष्ट्रीय मंच’ (एम.आर.एम.) के कार्यकत्र्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारत में 99 प्रतिशत मुसलमान अपने पूर्वजों, संस्कृति, परंपराओं व मातृभूमि के लिहाज से हिंदुस्तानी हैं।’’ उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस कथन का भी समर्थन किया कि ‘‘भारतीयों के पूर्वज एक ही थे इसलिए उनका डी.एन.ए. एक समान है।’’ इंद्रेश कुमार ने कहा, ‘‘डी का अर्थ है सपने, जो हम रोज देखते हैं, ‘एन’ मूल राष्ट्र को दर्शाता है और ‘ए’ पूर्वजों का प्रतिनिधित्व करता है।’’ 

इंद्रेश कुमार के हवाले से एक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘हमें पवित्र कुरान के निर्देशों और सिद्धांतों के अनुसार अपने राष्ट्र के प्रति हमारे कत्र्तव्य को सर्वोच्च और अन्य सभी चीजों से ऊपर मानना चाहिए।’’ इससे इन्कार किया ही नहीं जा सकता कि भारत के मुसलमान देश की गंगा-जमनी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा और भारत, भारतीयता और भारतीय संस्कृति में रचे-बसे हैं।

इसका नवीनतम प्रमाण 14 नवम्बर के समाचारपत्रों में प्रकाशित वह समाचार है जिसमें बताया गया है कि केरल के त्रिशूर जिले में ‘मलिक दीनार इस्लामिक काम्पलैक्स’ द्वारा संचालित ‘अकैडमी आफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज’ में मुसलमान छात्र इस्लाम धर्म का अध्ययन करने के साथ-साथ ‘गीता’ तथा ‘उपनिषद’ की पढ़ाई भी कर रहे हैं तथा धाराप्रवाह संस्कृत के ‘श्लोक’ एवं मंत्रों का उच्चारण भी करते हैं। यह बात तो सर्वविदित ही है कि हिंदू धर्म के विभिन्न आयोजनों राम लीला तथा श्री कृष्ण रास लीला आदि में भी मुस्लिम कलाकार बढ़-चढ़ कर भाग लेते रहते हैं। 

जालंधर में ‘श्री रामनवमी उत्सव कमेटी’ द्वारा किए जाने वाले रामनवमी के आयोजनों तथा शोभायात्रा में मुस्लिम बंधु वर्षों से बढ़-चढ़ कर भाग लेते आ रहे हैं। इनमें कादियां से आने वाले अहमदिया समुदाय के सदस्य भी शामिल हैं जिनमें से कुछेक ने शास्त्री की डिग्री भी हासिल की हुई है। आज जबकि अधिकांश नेता अपने निजी स्वार्थों की खातिर उकसाहट से भरपूर बयानों द्वारा भाई-भाई में फूट डालने और लड़ाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, श्री इंद्रेश कुमार अपने कथन और कार्यों से भारत को जोडऩे और इकट्ठा रखने का भरपूर प्रयत्न कर रहे हैं।—विजय कुमार


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