लगातार पटरी से उतर रही हैं भारतीय रेलें

Thursday, Dec 29, 2016 - 11:51 PM (IST)

20 नवम्बर को कानपुर देहात के पुखरायां रेलवे स्टेशन के पास इन्दौर से पटना जा रही इन्दौर-राजेन्द्र नगर एक्सप्रैस रेल दुर्घटना में 152 यात्रियों की मृत्यु के बाद भी देश में रेल दुर्घटनाएं जारी हैं :

21 नवम्बर को झांसी के निकट एक मालगाड़ी के चार डिब्बे पटरी से उतरने पर दिल्ली-भोपाल अप-डाऊन आवागमन बंद हो गया। 7 दिसम्बर को बंगाल में सामुकतल्ला रोड स्टेशन के निकट कैपिटल एक्सप्रैस के इंजन व 2 डिब्बे पटरी से उतरने से 2 यात्रियों की मृत्यु हो गई।

8 दिसम्बर को छत्तीसगढ़ के रायपुर में शहर के बीच से गुजरने वाली ‘नैरो गेज’ ट्रेन पटरी से उतर गई। और एक बार फिर कानपुर रेल दुर्घटना के मात्र 38 दिन बाद इसी झांसी-कानपुर रेल खंड के अंतर्गत कानपुर के निकट रुरा रेलवे स्टेशन से कुछ पीछे 28 दिसम्बर को सुबह लगभग 5.20 बजे अजमेर-सियालदह एक्सप्रैस के 15 डिब्बे पटरी से उतर जाने से 60 से अधिक यात्री घायल हो गए। इनमें एक 7 वर्षीय बच्ची श्रेया सहित 4 लोगों की हालत गम्भीर है।

इस दुर्घटना में इंजन की ओर से छठे नम्बर से लेकर 20 नम्बर तक 13 स्लीपर और 2 सामान्य श्रेणी के डिब्बे पटरी से उतरे और इनमें से 2 डिब्बे तो 20 फुट नीचे एक सूखी नहर में जा गिरे। 
यह उस स्थान के15 कि.मी. के दायरे में है जहां इंदौर-राजेंद्र नगर एक्सप्रैस दुर्घटना हुई थी अत: इतनी कम अवधि में और इतनी कम दूरी पर एक और रेल दुर्घटना ने रेलों में सुरक्षा संबंधी कई सवाल खड़े कर दिए हैं क्योंकि इसे 20 नवम्बर की दुर्घटना के बाद रेलवे ने सुरक्षित रेलमार्ग बताया था।

उल्लेखनीय है कि 28 दिसम्बर को हुई दुर्घटना से मात्र 24 घंटे पहले ही एक गश्ती टीम ने उस स्थान से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर पटरी में दरार देखी थी जहां इंदौर-राजेंद्र नगर एक्सप्रैस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी।

इलाहाबाद के डिवीजनल रेलवे मैनेजर संजय कुमार पंकज के अनुसार, ‘‘डिब्बों के बेपटरी होने से पूर्व गाड़ी के चालक ने एक झटका महसूस किया था। शुरूआती तौर पर हम कह सकते हैं कि गाड़ी या तो डिब्बों या रेल पटरी में खराबी के कारण बेपटरी हुई या हो सकता है कि डिब्बों के कपङ्क्षलग खुल गए हों या दोनों बातें हुई हों।’’

डिवीजनल रेलवे मैनेजर के अनुसार कानपुर, इलाहाबाद, पटना व हावड़ा से दिल्ली को जोडऩे वाला अत्यंत व्यस्त रूट होने के कारण इस पर ट्रैफिक का भारी दबाव रहता है पर उसी हिसाब से इसकी जांच-पड़ताल भी की जाती है।

हमेशा की तरह इस बार भी रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने यह ट्वीट करके अपने  कत्र्तव्य की इतिश्री कर ली है कि ‘‘दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच की जाएगी और मैं स्थिति पर नजर रख रहा हूं।’’

भारत में रेल दुर्घटनाएं रोज की बात हो गई हैं और रेलवे बोर्ड के सदस्य मोहम्मद जमशेद ने कहा है कि ‘‘पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष रेलों के पटरी से उतरने की घटनाओं में 33 प्रतिशत वृद्धि हुई है।’’ बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं रेलगाडिय़ों के बेपटरी होने अथवा कर्मचारी रहित रेलवे फाटकों पर रेलवे स्टाफ की लापरवाही के कारण होती हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार रेल दुर्घटनाओं का एक कारण समाज विरोधी तत्वों द्वारा पटरियों की फिश प्लेटें उखाडऩा भी है। अत: यदि रेल मंत्रालय रेल यात्रा को सुरक्षित बनाना चाहता है तो इसे अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों के अनुसार अपने सुरक्षा प्रबंध करने होंगे।

प्रत्येक रेल बजट में रेलों की दशा सुधारने पर सर्वोपरि बल देने की बात कही जाती है परंतु ये घोषणाएं कागजों तक ही रह जाती हैं और भारतीय रेलों में बुनियादी ढांचे की बदहाली का आलम तो यह है कि इस लेख के लिखते-लिखते ही 29 दिसम्बर को ही सुबह-सवेरे 5.53 बजे महाराष्टï्र में कल्याण और विट्ठलवाड़ी रेलवे स्टेशनों के बीच कुरला-अंबरनाथ पैसेंजर गाड़ी के 5 डिब्बे बेपटरी होने का समाचार भी आ गया है।

संतोष की बात है तो बस इतनी कि 28 और 29 दिसम्बर की दोनों ही रेल दुर्घटनाओं में 60 से अधिक यात्रियों के घायल होने के बावजूद अभी तक किसी यात्री की मृत्यु नहीं हुई परंतु इससे भारतीय रेलों में सुरक्षा की लचर हालत एक बार फिर उजागर हो गई है।              
    —विजय कुमार

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