पैरालम्पिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने रचा इतिहास

punjabkesari.in Monday, Sep 06, 2021 - 04:06 AM (IST)

टोक्यो ओलिम्पिक 2020 में अच्छे प्रदर्शन का खुमार अभी भारत वासियों के लिए टूटा नहीं था कि खेलों से जुड़ा एक और शुभ समाचार आ पहुंचा है। यह टोक्यो पैरालम्पिक में भारतीय खिलाडिय़ों के शानदार प्रदर्शन को लेकर है। पैरालम्पिक खेलों में भारत के खाते में अब तक 5 स्वर्ण, 8 रजत और 6 कांस्य पदक सहित कुल 19 पदक आ चुके हैं। इन खेलों के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब भारत की पदक संख्या दोहरे अंकों में पहुंची है।

इससे पहले भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1984 में स्टोक मैंडेविले (यू.के.) तथा 2016 में रियो पैरालम्पिक में था जहां दोनों बार हमने 4-4 पदक जीते थे। इस बार के पैरालम्पिक में भारतीय पैरा एथलीटों की जीत की सबसे खास बात यह है कि इनमें से अधिकतर पदक उन्होंने एथलैटिक्स इवैंट्स में जीते हैं। 

टोक्यो पैरालम्पिक में भाविना पटेल ने टेबल टैनिस में रजत पदक के रूप में भारत को पहला पदक दिलाया। निषाद कुमार ने पुरुषों के टी-47 हाई जंप के मुकाबले में रजत पदक जीता।अवनि लखेरा ने 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एस.एच.-1 के फाइनल में 249.6 का स्कोर बनाकर भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता। वह  पैरालम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं और फिर 50 मीटर राइफल में कांस्य पदक अपने नाम करके पैरालम्पिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं। 

योगेश कथुनिया ने पुरुषों की डिस्कस थ्रो एफ.56 स्पर्धा में भारत के लिए रजत पदक जीता, जैवलिन थ्रोअर सुमित अंतिल ने भारत को इस पैरालम्पिक खेलों का दूसरा स्वर्ण दिलाया, दो बार के पैरालम्पिक स्वर्ण पदक विजेता देवेंद्र झाझरिया ने टोक्यो में भी अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा और जैवलिन थ्रो में रजत पदक हासिल किया। जैवलिन थ्रोअर सुंदर सिंह गुर्जर ने भारत के लिए कांस्य पदक जीता। 

शूटर सिंहराज ने पुरुषों की एयर पिस्टल स्पर्धा में दो कांस्य पदक जीते, हाई जम्पर मरियप्पन थंगावेलु ने पुरुषों की ऊंची कूद स्पर्धा में रजत पदक जीता, ऊंची कूद में ही शरद कुमार ने भी कांस्य पदक हासिल किया। प्रवीण कुमार ने हाई जम्प में रजत पदक, हरविंदर सिंह ने तीरंदाजी में कांस्य पदक, मनीष नरवल ने शूटिंग में स्वर्ण पदक अपने नाम किए। प्रमोद भगत ने बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीता जबकि मनोज सरकार ने कांस्य पदक जीता। 

उल्लेखनीय है कि स्पर्धा समाप्त होने से 2 दिन पहले ही हमारे खिलाडिय़ों ने पदक जीतने का कीर्तिमान स्थापित कर दिया और सबसे खास बात यह है कि ये सभी मध्यवर्गीय परिवारों से सम्बन्ध रखते हैं। यह हमारे लिए एक आशा की किरण है कि यदि हमारे पुरुष तथा महिला खिलाडिय़ों को सही एक्सपोज़र मिले तो वे विश्व खेल जगत के पटल पर नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं। ऐसे में यह भी विचारणीय है कि पदक जीतने के पश्चात उन्हें देश भुला न दे। इनमें से कुछ तो 18 या 19 वर्ष के हैं जो आगे चल कर देश के लिए और इतिहास रचेंगे। 


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