विषयों में फेल अध्यापक पढ़ा रहे पंजाब के प्राइमरी स्कूलों में

punjabkesari.in Tuesday, Jan 09, 2018 - 03:08 AM (IST)

इन दिनों पंजाब में स्कूली शिक्षा के स्तर को लेकर एक बहस-सी छिड़ी हुई है। जहां छात्रों के ज्ञान एवं शिक्षा के स्तर में गिरावट चिंता का विषय है वहीं पंजाब के प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले 300 से अधिक अध्यापकों का ज्ञान एवं शिक्षा का स्तर भी प्रश्रों के घेरे में आ गया है। 

अभी हाल ही में ‘सूचना का अधिकार कानून’ के अंतर्गत प्राप्त जानकारी में अध्यापकों की शैक्षिक योग्यता संबंधी स्तब्धकारी रहस्योद्घाटन हुए हैं। इनके अनुसार उक्त अध्यापक दसवीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा में एक या दो विषय क्लीयर करने में असफल रहे तथा कुछ अध्यापकों ने तो अंग्रेजी और गणित में बेहद कम अर्थात क्रमश: 1 और 9 अंक ही प्राप्त किए थे। यह स्पष्ट नहीं है कि इन अध्यापकों ने जाली दस्तावेजों के सहारे या अधिकारियों को रिश्वत देकर या फिर दस्तावेजों की जांच में चूक के कारण नौकरी प्राप्त की। उल्लेखनीय है कि प्राइमरी स्कूल के अध्यापक की नौकरी हेतु आवेदन करने के लिए किसी उम्मीदवार का दसवीं और बारहवीं कक्षाओं में सभी विषयों में उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। पंजाब की एक एन.जी.ओ. ‘सोशल रिफार्मर्स’ द्वारा ‘सूचना का अधिकार’ कानून के अंतर्गत राज्य के स्कूलों में अध्यापकों की संख्या और उनकी शैक्षिक योग्यता जानने संबंधी अर्जी के जवाब में उक्त आंकड़े सामने आए हैं। 

अभी तक 10 जिलों द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार 10वीं कक्षा की परीक्षा में 313 अध्यापक गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, हिन्दी और समाज विज्ञान विषयों में फेल हुए। एन.जी.ओ. के वाइस प्रैजीडैंट हरप्रीत सिंह संधू के अनुसार, ‘‘यह तो नमूना मात्र है। हमें कुल आंकड़ों का 20 प्रतिशत ही प्राप्त हुआ है।’’ प्राप्त जानकारी 2007 के बाद की है जब पंजाब में शिअद-भाजपा गठबंधन सरकार सत्ता में थी। रिकार्ड के अनुसार तरनतारन जिले में 36 अध्यापक ऐसे हैं जो 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में एक या अधिक विषय क्लीयर करने में असफल रहे। इनमें से एक अध्यापक को गणित में 100 में से 9 अंक मिले थे जबकि 2 अध्यापकों ने अंग्रेजी में क्रमश: 1 और 4 अंक प्राप्त किए। 

मोगा जिले में 59 अध्यापक दसवीं कक्षा में एक या अधिक विषय क्लीयर करने में विफल रहे। इनमें से 31 गणित में, 10 अंग्रेजी में, 6 विज्ञान में, 11 सामाजिक विज्ञान में और 1 हिन्दी में फेल हुआ। संधू के अनुसार, ‘‘ऐसा लगता है जैसे मामले पर पर्दा डालने की जानबूझ कर कोशिश की जा रही है। संगरूर के जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने जवाब में कहा कि इस जिले में कोई भी अध्यापक स्कूल की अंतिम परीक्षा में फेल नहीं हुआ लेकिन मालेरकोटला (संगरूर जिला) के ब्लाक शिक्षा अधिकारी ने कहा है कि 4 अध्यापक गणित और विज्ञान में फेल हुए थे।’’ ‘‘लुुधियाना जिले से हमें केवल एक ब्लाक से जानकारी प्राप्त हुई है जहां 19 अध्यापक अपने सभी प्रश्र पत्र क्लीयर करने में विफल रहे।’’श्री मुक्तसर साहिब, फिरोजपुर व फाजिल्का जिलों में ऐसे अध्यापकों की संख्या 40-50 के बीच है। पठानकोट के ऐसे 18 अध्यापकों में से एक ने दोबारा परीक्षा के बाद पर्चा क्लीयर किया जिसमें वह फेल हो गया था। 

उक्त समाचार के प्रकाशन के बाद शिक्षा मंत्री अरुणा चौधरी ने इसकी जांच का आदेश देते हुए कहा है कि ‘‘यह मामला अभी-अभी हमारे नोटिस में आया है जिसकी जांच का आदेश दे दिया गया है परंतु यह एक विशाल कार्य है और इसमें समय लगेगा। इसके दौरान नियुक्ति प्रक्रिया जांची जाएगी और यह पता लगाया जाएगा कि क्या आवेदकों ने जाली अंकतालिकाएं दीं या सरकारी स्कूलों में नौकरी पाने के लिए अधिकारियों से सांठगांठ की।’’ शिअद-भाजपा सरकार में शिक्षा मंत्री रहे दलजीत सिंह चीमा ने कहा है कि वह इस संबंध में किसी भी जांच के लिए तैयार हैं। इस संबंध में आम आदमी पार्टी के नेता हरजोत सिंह बैंस का कहना है कि, ‘‘यह पंजाब का सबसे बड़ा घोटाला है। समूची शिक्षा प्रणाली बच्चों के जीवन से खिलवाड़ कर रही है। इसकी तत्काल सी.बी.आई. जांच का आदेश दिया जाना चाहिए।’’ 

जांच का परिणाम कब आएगा, कहना मुश्किल है, अलबत्ता इस रहस्योद्घाटन से यह अवश्य स्पष्ट हो गया है कि पंजाब के प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं। लिहाजा इस मामले में न सिर्फ जांच यथाशीघ्र पूरी करने बल्कि भविष्य में भी ऐसी अचूक नियुक्ति विधि अपनाने की आवश्यकता है जिससे पात्र अध्यापकों को ही नौकरी पर रखना सुनिश्चित हो सके।—विजय कुमार 


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