‘गंभीर वायु एवं जल प्रदूषण की चपेट में’ ‘राजधानी दिल्ली तथा आसपास के इलाके’

punjabkesari.in Wednesday, Oct 23, 2024 - 05:09 AM (IST)

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में वायु प्रदूषण बढऩे के कारण लोगों को आंखों और त्वचा में जलन, सांस लेने में दिक्कत तथा खांसी जैसी कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी तकलीफें होने लगी हैं। इसी को देखते हुए पूरे दिल्ली एन.सी.आर. में पहले से ही वायु प्रदूषण रोकने के लिए लागू ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ (ग्रैप) लैवल 1 के बाद 22 अक्तूबर सुबह 8 बजे से इसका दूसरा चरण लागू कर दिया गया है। इसमें निजी वाहनों का इस्तेमाल कम करने के लिए पार्किंग फीस में वृद्धि, पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए सी.एन.जी. या इलैक्ट्रिक बसों और मैट्रो के फेरों में वृद्धि, डीजल जैनरेटर के इस्तेमाल पर पाबंदी के अलावा आग जलाने व कोयले आदि के इस्तेमाल पर कई पाबंदियां शामिल हैं। 

पड़ोसी राज्यों के किसानों द्वारा पराली जलाए जाने के अलावा दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के अनुसार यहां बढ़े हुए प्रदूषण का बड़ा कारण लोगों द्वारा ‘सॉलिड वेस्ट’ व ‘बायोमास कचरे’ को खुले में जलाना, धूल-मिट्टी तथा वाहनों के धुएं से होने वाला प्रदूषण भी शामिल है। इसी लिए चौराहों पर लाल बत्ती होने पर वाहनों का इंजन बंद करने के लिए वाहन चालकों को प्रेरित करने के उद्देश्य से यहां ‘रैड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ कैम्पेन भी आरम्भ की गई है। इस बीच दिल्ली सरकार ने भाजपा शासित पड़ोसी राज्यों के परिवहन मंत्रियों को लिखे पत्र में उनसे दिल्ली में डीजल बसें न भेजने का अनुरोध करते हुए सी.एन.जी. तथा इलैक्ट्रिक बसें भेजने को कहा है। 

हवा ही नहीं, दिल्ली में पानी के मुख्य स्रोतों में से एक यमुना नदी का पानी नहाने या खेतों की सिंचाई के लिए भी उपयोग में नहीं लाया जा सकता। नदी में बिना ट्रीट किए छोड़े जाने वाले सीवेज और इंडस्ट्रीयल वेस्ट के कारण ओखला क्षेत्र में यमुना नदी पर जहरीली झाग की चादर बिछी हुई है। कुल मिला कर दिल्ली तथा आसपास के क्षेत्र का वायु एवं जल प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अत: सरकार द्वारा इस पर काबू पाने के प्रयासों में आम लोगों को भी प्रदूषण पैदा करने वाले कारणों को समाप्त करके यथासंभव इस समस्या से निपटने में सहयोग करना चाहिए।-विजय कुमार


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