‘भारत के अस्पतालों में’ डाक्टरों तथा बिस्तरों की कमी!
punjabkesari.in Tuesday, Dec 09, 2025 - 05:47 AM (IST)
हालांकि लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा चिकित्सा उपलब्ध करवाना केंद्र और राज्य सरकारों का दायित्व है, परंतु स्वतंत्रता के 77 वर्षों के बाद भी सरकारें अभी तक लोगों को उक्त सुविधाएं उपलब्ध करवाने में विफल रही हैं। 2 दिसम्बर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने राज्यसभा में बताया कि देश में 13,88,185 पंजीकृत ‘एलोपैथिक डाक्टर’ तथा ‘आयुष व्यवस्था’ के अंतर्गत 7,51,768 पंजीकृत डाक्टर हैं तथा इस समय देश में 811 लोगों पर एक चिकित्सक (1000 पर 1.25) ही उपलब्ध है।
नड्डा द्वारा बताया गया उक्त आंकड़ा अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है। अमरीका में प्रति 1000 लोगों पर 2.6 से लेकर 2.9 डाक्टर, इंगलैंड में 2.8 से 3.0, जर्मनी में 4.3 से 4.5, जापान में 2.5 और आस्ट्रेलिया में प्रति 1000 लोगों पर लगभग 5 डाक्टर उपलब्ध हैं। इसी प्रकार 3 दिसम्बर को राज्यसभा में ही स्वास्थ्य राज्यमंत्री ‘प्रताप राव जाधव’ ने बताया कि ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ के मापदंडों के अनुसार प्रत्येक 1000 जनसंख्या पर कम से कम 3.5 ‘बैड’ (बिस्तर) उपलब्ध होने चाहिएं।
उन्होंने बताया कि भारतीय स्वास्थ्य मापदंड-2022 के अनुसार प्रत्येक 1000 लोगों पर अस्पताल में कम से कम एक ‘बैड’ उपलब्ध होना चाहिए परंतु अनेक राज्यों में यह न्यूनतम आवश्यकता भी पूरी नहीं की जा रही। भारत में रोगियों के लिए डाक्टरों और अस्पतालों में ‘बैडों’ (बिस्तरों) की कमी होने के कारण ही आज अनेक मरीज अस्पतालों में फर्श पर लेटने को मजबूर हैं। अत: इस कमी को यथाशीघ्र दूर करने और अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने की आवश्यकता है।—विजय कुमार
