युद्धोन्माद के बाद इमरान दे रहा ‘शांति का संदेश’

punjabkesari.in Thursday, Feb 28, 2019 - 03:39 AM (IST)

हालांकि पाकिस्तान की जनता भारत के साथ युद्ध नहीं चाहती परन्तु शुरू से ही सेना की कठपुतली रहे पाकिस्तान के शासकों ने भारत के विरुद्ध 4-4 युद्ध लडऩे और हारने के बाद भी अपना भारत विरोधी रवैया त्यागा नहीं। 

जब जैश-ए-मोहम्मद ने 14 फरवरी को पुलवामा में सी.आर.पी.एफ. के काफिले पर फिदायीन हमला करके 40 जवानों को शहीद कर दिया तो इसका बदला लेने के लिए भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को एल.ओ.सी. पार करके बालाकोट, चकौटी और मुजफ्फराबाद के आतंकी कैम्पों पर भारी बम वर्षा करके पाकिस्तान के पाले हुए 350 आतंकवादियों को मार गिराया। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनातनी बढ़ गई और पाकिस्तान पर युद्धोन्माद छा गया। 

पाकिस्तान की गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. ने आतंकवादियों को ‘करो या मरो’ का फरमान जारी कर दिया जिस कारण भारत में दिल्ली समेत अनेक शहरों में हमलों की संभावना को देखते हुए देशभर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सीमा पार पाकिस्तान के आतंकवादी शिविरों पर भारतीय हमले से बौखलाए पाकिस्तान के 6 लड़ाकू विमानों ने भारतीय वायु सीमा का उल्लंघन करके बुधवार को गोले बरसाए जिससे भारत-पाक सीमा पर युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। पाकिस्तान की कार्रवाई के जवाब में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा के उस पार स्थित पाकिस्तान की 5 चौकियां ध्वस्त कर दीं और कई पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर करने के अलावा नौशहरा की लामघाटी में भारतीय सैन्य ठिकाने पर हमला करने का प्रयास कर रहा पाकिस्तान का एक एफ-16 लड़ाकू विमान मार गिराया। 

दूसरी ओर दोनों देशों पर गहराते युद्ध के बादलों के बीच पहले पाकिस्तान ने 2 भारतीय विमान मार गिराने और 2 पायलटों को गिरफ्तार करने का दावा किया परन्तु बाद में बोला कि उसके पास एक ही पायलट है। बुधवार सुबह दोनों देशों के बीच बढ़ रहे तनाव के दृष्टिïगत पाकिस्तान ने अपने सभी हवाई अड्डों बंद कर दिए और भारत में भी कुछ देर के लिए अनेक हवाई अड्डों व एयरबेस बंद करके सिविल और व्यापारिक उड़ानें अस्थायी तौर पर निलम्बित कर दी गईं जिन्हें बाद में बहाल कर दिया गया। सीमाओं पर जारी तनाव के बीच भारतीय वायुसेना के सभी लड़ाकू विमानों को हाई अलर्ट पर रहने और पायलटों को मात्र 2 मिनट में तैयार रहने का निर्देश दिया तथा सीमांत गांवों के लोगों को पीछे हटने के लिए तैयार रहने और पटाखों तथा लाऊडस्पीकरों के इस्तेमाल से संकोच करने के लिए कहा। 

इस बीच पाकिस्तान से निपटने के लिए बैठकों का दौर भी तेजी से चल पड़ा। प्रधानमंत्री निवास पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश सचिव, रक्षा सचिव और गुप्तचर विभागों के प्रमुखों की बैठक हुई जिसमें पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देने की रणनीति तय की गई। बैठक में अरुण जेतली ने आतंकवादियों के विरुद्ध अमरीका जैसी कार्रवाई करने का संकेत देते हुए कहा कि ‘‘हालात बहुत जल्द बदल रहे हैं। अमरीका ने एबटाबाद में घुस कर ओसामा को मारा था। हम भी ऐसा कर सकते हैं।’’ इस सारे घटनाक्रम के बीच जहां पाकिस्तान की अवामी नैशनल पार्टी ने भारत-पाक युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान का साथ न देने की घोषणा की है और कहा है कि वे वोट की पवित्रता को रौंद कर अवामी फतवे पर डाका मारने वाले शासकों का साथ नहीं दे सकते वहीं विश्व समुदाय भी पाकिस्तान के पक्ष में नहीं रहा। 

यूरोपीय संघ (ई.यू.) सहित विश्व के 48 देशों ने भारत द्वारा किए गए हमले के बाद भारत को समर्थन दिया है और पाकिस्तान को संयम बरतने तथा अपने यहां सक्रिय आतंकी गिरोहों के विरुद्ध कार्रवाई करने की सलाह दी है। भारत से युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान पर आॢथक संकट भी गहरा सकता है तथा सऊदी अरब एवं मलेशिया द्वारा पाकिस्तान में निवेश करने से पीछे हटने की संभावना व्यक्त की जा रही है। यही नहीं रक्षा विशेषज्ञों ने कहा है कि भारी ऋण के बोझ तले दबा पाकिस्तान 6 दिन का युद्ध भी नहीं झेल पाएगा। अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बयान में माना है कि ‘‘दोनों देशों के बीच जो माहौल बन रहा है वह ठीक नहीं है और हम पुलवामा पर बात करने को तैयार हैं। जितने भी युद्ध हुए हैं, उनमें गलतियां हुई हैं।’’ पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा के महानिदेशक मेजर जनरल आसिफ गफूर ने भी बुधवार को कहा है ‘‘पाकिस्तान शांति चाहता है।’’

अब जबकि इमरान खान ने इस बात को स्वीकार कर ही लिया है कि जो माहौल बन रहा है वह ठीक नहीं है, तो उसे यह भी मान लेना चाहिए कि इन हालात में पाकिस्तान के शासकों के लिए अपने ऊपर छाए युद्धोन्माद का त्याग कर अपने यहां सक्रिय आतंकवादी गिरोहों के विरुद्ध कार्रवाई करके उन्हें समाप्त करना और भारत के साथ वार्ता करना ही एकमात्र उपाय है और इसी में पाकिस्तान की खुशहाली निहित है।—विजय कुमार


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