देश में तबाही का सामान बेच रहे अवैध हथियारों के सौदागर

punjabkesari.in Thursday, Jul 27, 2017 - 10:06 PM (IST)

एक ओर देश की सीमाओं पर 2-2 खतरनाक पड़ोसियों चीन और पाकिस्तान की ओर से मंडरा रहे खतरे के कारण देश की सुरक्षा दाव पर लगी हुई है और दूसरी ओर देश में गड़बड़, हिंसा और अराजकता फैला कर अपराध बढ़ाने और देश का वातावरण बिगाडऩे पर आमादा कुछ शक्तियों ने बड़े पैमाने पर देश में अवैध हथियारों की बिक्री का धंधा शुरू कर रखा है: 

29 अप्रैल को इम्फाल के कांगपोकपी में ‘यूनाइटेड सोशलिस्ट रैवोल्यूशनरी आर्मी’ नामक एक नए आतंकवादी गिरोह के ठिकाने से 2 ए.के.-47 राइफलें, 1 एम.ए.-3 असाल्ट राइफल, एक पिस्तौल, 7 मैगजीन, 215 जिंदा कारतूस व अन्य शस्त्रास्त्र का भारी भंडार पकड़ा गया। 04 मई को झारखंड के लोहरदगा जिले में नक्सल विरोधी अभियान में एक दर्जन से अधिक हथियारों एवं 300 गोलियों का जखीरा पकड़ा गया। 07 मई को असम के कारबीअंगलोंग जिले में आतंकियों के अड्डïे से 3 देसी सैल्फ लोडेड राइफलें, 5 हथगोले व 3 एस.एल.आर. कारतूस पकड़े गए। 13 मई को झारखंड में पुलिस व सी.आर.पी.एफ. ने नक्सलवादियों के विरुद्ध संयुक्त अभियान में 200 किलो विस्फोटक सामग्री बरामद की। 

28 मई को बंगाल के 24 परगना जिले में पुलिस ने 2 कश्मीरियों सहित एक गिरोह के 3 सदस्यों से 7 बम और अन्य गोली-सिक्का बरामद किया। 11 जुलाई को दिल्ली पुलिस ने एन.एच. 24 इंद्रप्रस्थ पार्क के निकट 2 कुख्यात हथियार तस्करों को गिरफ्तार करके उनके कब्जे से 7.65 एम.एम. के 17 पिस्तौल बरामद किए। बताया जाता है कि ये लोग मध्यप्रदेश के सेंधवा में बने ये पिस्तौल 15,000 रुपए में खरीद कर दिल्ली एन.सी.आर. और मेवात इलाके के बदमाशों को 25-30 हजार रुपए में बेच देते थे। 13 जुलाई को दिल्ली में दरियागंज इलाके से 2 लोगों से 10 पिस्तौल और 150 जिंदा कारतूस बरामद किए गए। पूछताछ के दौरान इनसे उत्तर प्रदेश के एटा में अवैध हथियार बनाने की एक फैक्टरी का पता चला जहां छापेमारी के दौरान अवैध हथियार बनाने में प्रयुक्त उपकरण पकड़े गए। 

इसके अलावा आगरा में एक अन्य अभियुक्त से 8 पिस्तौल और 3 जिंदा कारतूस बरामद हुए। अभियुक्तों ने बताया कि एक पिस्तौल बनाने पर लगभग 10,000 रुपए लागत आती है जिसे वे 25,000 रुपए में बेच देते हैं। 17 जुलाई को झारखंड के लातेहार जिले के कुटमु क्षेत्र के दिलवाही गांव में एक मकान पर छापेमारी के दौरान 4 अवैध बंदूकें बरामद की गईं।18 जुलाई को मध्यप्रदेश में रानीथाना पुलिस ने अवैध हथियारों का धंधा करने वाले गिरोह के सदस्य से 3 पिस्तौल बरामद किए। 19 जुलाई को झारखंड के पलामू जिले में झारखंड-बिहार सीमा के निकट छतरपुर में हथियारों का भारी जखीरा बरामद किया गया। 24 जुलाई को मध्यप्रदेश के आगरमालवा में बड़ौद पुलिस ने बंगाल के 2 युवकों से 2 पिस्तौल, 2 खाली मैगजीन व कारतूस बरामद किए। 

24 जुलाई को बिहार में मुंगेर पुलिस ने कासिम बाजार क्षेत्र में छापा मार कर एक मिनी गन फैक्टरी पकड़ी। 24 जुलाई को ही उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में अवैध हथियार बनाने की फैक्टरी से दर्जनों निर्मित और अद्र्ध निर्मित तमंचे बरामद किए गए। 25 जुलाई को जम्मू-कश्मीर में बूढ़ा अमरनाथ यात्रा शुरू होने से 3 दिन पहले सुरक्षाबलों ने लॉरेन इलाके में एक आतंकी ठिकाना ध्वस्त कर 5 किलो विस्फोटक (आई.ई.डी.) बरामद किया। अवैध हथियारों का यह धंधा कितना गंभीर हो चुका है यह इसी से स्पष्टï है कि देश की राजधानी दिल्ली में वर्ष 2016 और 2017 के बीच 1000 से अधिक अत्याधुनिक अवैध हथियार बरामद किए जा चुके हैं। पहले दिल्ली में अवैध हथियारों की तस्करी मुंगेर (बिहार) से होती थी लेकिन अब उसका स्थान मध्यप्रदेश ने ले लिया है जहां 10 से 20 हजार रुपए में खरीदा हुआ हथियार 30 से 40 हजार रुपए में बिक जाता है। 

इस समय जबकि देश की एकता और अखंडता के लिए दो बड़ी शत्रु शक्तियों द्वारा चुनौती दी जा रही है, घरेलू मोर्चे पर माहौल खराब करने के लिए सक्रिय अवैध हथियारों के सौदागरों के धंधे पर रोक लगाना बहुत आवश्यक है ताकि देश को बाहरी खतरे के साथ-साथ भीतरी खतरे से बचाया जा सके।—विजय कुमार


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