स्कूल बस दुर्घटनाएं रोकने के लिए हिमाचल सरकार के निर्देश

punjabkesari.in Thursday, Jun 28, 2018 - 04:18 AM (IST)

देश में सड़क दुर्घटनाओं की बाढ़-सी आई हुई है और स्कूल बसें भी चालकों की लापरवाही और अन्य कारणों से लगातार दुर्घटनाग्रस्त हो रही हैं। हाल ही के दौर की सबसे बड़ी स्कूल बस दुर्घटना 9 अप्रैल को हिमाचल में कांगड़ा जिले के नूरपुर में हुई जब एक स्कूल बस के खाई में गिर जाने से उसमें सवार 27 बच्चों तथा ड्राइवर सहित 30 लोगों की मृत्यु हो गई। 

उक्त दुर्घटना के बाद स्कूल प्रबंधन पर प्रशासन ने थोड़े समय के लिए तो नकेल डालने की कोशिश की लेकिन उसके बाद स्थिति ज्यों की त्यों ही रही तथा स्कूल बस दुर्घटनाएं जारी हैं। उल्लेखनीय है कि 9 अप्रैल की स्कूल बस दुर्घटना के बाद प्रदेश में कम से कम 4 स्कूल बसें दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी हैं जिनमें एक बच्ची सहित 2 लोगों की मृत्यु व 29 बच्चे घायल हुए हैं। एक स्कूल बस दुर्घटना नाबालिग चालक द्वारा मोबाइल फोन सुनते हुए वाहन चलाने के कारण हुई। 

इसी को देखते हुए 26 जून को हिमाचल कैबिनेट की बैठक में स्कूल बसों के सुरक्षित परिचालन के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इनके अनुसार सभी स्कूल बसों में फस्र्ट-एड बॉक्स रखना और एमरजैंसी नंबर प्रदर्शित करना अनिवार्य करने के साथ-साथ खिड़कियों पर पर्दे और म्यूजिक सिस्टम न लगाने के निर्देश दिए गए हैं। स्कूल बसों में स्पीड गवर्नर लगाने और विशेष बच्चों के बैठने के लिए विशेष प्रबंध करने का निर्देश भी दोहराया गया है। हालांकि स्कूल बसों में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने व सी.सी.टी.वी. फुटेज 60 दिनों तक रखने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं परंतु शायद ही इनका पालन किया जाता हो, जो अब करना होगा। 

लिहाजा सुरक्षा नियमों के पालन के साथ-साथ पुरानी और खटारा बसों के स्थान पर अच्छी हालत वाली बस का ही इस्तेमाल सुनिश्चित करने के अलावा वाहन चालकों की आयु एवं स्वास्थ्य संबंधी पड़ताल करना भी आवश्यक है। इस बात पर भी नजर रखने की जरूरत है कि स्कूलों के प्रबंधक नाबालिगों और बूढ़ों एवं शारीरिक रूप से अशक्तों को वाहन चालक न रखें जो बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं।—विजय कुमार


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Pardeep

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