बंगलादेश से संबंध मजबूत करने का अवसर है शेख हसीना की भारत यात्रा

punjabkesari.in Monday, Sep 05, 2022 - 05:04 AM (IST)

बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 5 से 8 सितम्बर तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर आएंगी। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय संबंधों और लंबित मुद्दों पर चर्चा के अलावा दक्षिण एशिया में रक्षा सहयोग और स्थिरता के मुद्दे पर सर्वाधिक जोर रहेगा। वर्ष 2019 के बाद शेख हसीना की पहली भारत यात्रा को लेकर बंगलादेशी अधिकारियों का कहना है कि वे दोनों देशों में व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सी.ई.पी.ए.) के लिए बातचीत की पहल किए जाने के इच्छुक हैं। 

शेख हसीना की भारत यात्रा ऐसे समय में होने जा रही है जब वैश्विक आर्थिक संकट के कारण अपनी अर्थव्यवस्था पर मंडराते खतरे के मद्देनजर बंगलादेश ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर करने के लिहाज से 4.5 बिलियन डॉलर के कर्ज के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) का दरवाजा खटखटाया है। 

उल्लेखनीय है कि श्रीलंका हो या नेपाल, भारत के लगभग सभी पड़ोसी देशों की आॢथक स्थिति काफी नाजुक है। ऐसे में यह भी आशंका जताई जा रही है कि कहीं बंगलादेश भी श्रीलंका वाली राह पर तो नहीं बढ़ रहा, जिसके कुछ महीने पहले गहरी आॢथक मंदी में समाने और विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने के चलते वहां की जनता पैट्रोल से लेकर खाने-पीने तक की जरूरी चीजों के अभाव का सामना कर रही है। कुछ समय पहले तक विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती जी.डी.पी. वाले बंगलादेश की आॢथक स्थिति अब रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में दुनिया में हुए बदलाव और गैस तथा भोजन आयात करने की बढ़ती कीमतों के कारण संघर्ष कर रही है। 

हालांकि, जानकारों की राय में बंगलादेश का निकट भविष्य में श्रीलंका जैसा हाल होने की सम्भावना नहीं है। वहीं भारत के पड़ोसी देशों पर चीन के अपना प्रभाव बढ़ाने के प्रयास लगातार जारी हैं जो हमेशा से ही ऐसे मौकों की तलाश में रहा है कि देशों को कर्ज के जाल में फंसा कर अपने प्रभाव में कर सके। हालांकि, श्रीलंका के विपरीत बंगलादेश ने अब तक भारत और चीन से समान दूरी बनाए रखने की नीति का पालन किया है। 

पहले वह भी श्रीलंका की तरह चीन के करीब आया था, लेकिन चीन के कर्ज के जाल में फंसने और श्रीलंका की हालत देखने के बाद से ही बंगलादेश के नेता चीन को लेकर सतर्कता बरतने की चेतावनी देने लगे थे। अब वह चीन से जुड़ी कई परियोजनाओं से हाथ खींच रहा है। लेकिन चीन के खतरे को देखते हुए क्या यह जरूरी नहीं हो जाता कि भारत बंगलादेश के साथ अपने संबंध मजबूत बनाने के लिए गम्भीरता के साथ कोशिश करे? 

नरेंद्र मोदी के शेख हसीना के साथ अब तक बहुत ही मधुर संबंध रहे हैं, परंतु पिछले कुछ सालों में भारत में जो मुस्लिम विरोधी घटनाएं हुई हैं, उनके कारण बंगलादेश में भारत विरोधी भावनाएं पैदा हुई हैं। अब बंगलादेश को चीन के प्रमुख बी.आर.आई. प्रोजैक्ट से दूर करना भारत की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। बंगलादेश के साथ भारत-बंगलादेश व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सी.ई.पी.ए.) पर दोनों देशों के हस्ताक्षर इस दिशा में पहला कदम साबित हो सकता है। 


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