सेना के हैलीकॉप्टरों की लगातार दुर्घटनाएं ‘सुरक्षा आडिट की जरूरत’

punjabkesari.in Sunday, Oct 23, 2022 - 05:15 AM (IST)

सेना में हैलीकॉप्टरों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है जो सैन्य कार्रवाइयों, सामान आदि पहुंचाने और सैनिकों के आने-जाने के लिए इस्तेमाल में लाए जाते हैं। भारतीय सेना में 9 किस्म के लड़ाकू हैलीकॉप्टरों के अलावा अन्य हैलीकॉप्टर भी हैं जिनमें से कुछ देश में विकसित किए गए हैं जबकि कुछ का निर्माण अमरीकी एवं रूसी कम्पनियों ने किया है परंतु बार-बार दुर्घटनाग्रस्त होने से इनकी सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं : 

* 3 अगस्त, 2021 को ‘रुद्र’ हैलीकॉप्टर रंजीत सागर डैम में दुर्घटनाग्रस्त होने के परिणामस्वरूप 2 सेनाधिकारियों की मृत्यु हो गई। 
* 21 सितम्बर, 2021 को जम्मू-कश्मीर में पतनी टॉप के निकट सिंगल इंजन वाले ‘चीता’ हैलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से मेजर रोहित कुमार तथा मेजर अनुज राजपूत शहीद हो गए।
* 8 दिसम्बर, 2021 को ‘चीफ आफ डिफैंस स्टाफ’ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत को लेकर जा रहा हैलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के परिणामस्वरूप जनरल रावत और उनकी पत्नी सहित कुल 14 लोगों की मौत हो गई। 

* 11 मार्च, 2022 को गुरेज सैक्टर में सेना का एक हैलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण एक मेजर की जान चली गई। 
* 5 अक्तूबर, 2022 को अरुणाचल प्रदेश में ‘तावांग’ के निकट अग्रिम क्षेत्र में एक हैलीकॉप्टर में अचानक खराबी आ जाने के कारण दुर्घटनाग्रस्त होने से एक पायलट की मृत्यु तथा दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया।
* और अब 21 अक्तूबर को सेना का एक ‘एडवांस्ड लाइट हैलीकॉप्टर (ए.एल.एच.) डब्ल्यू.ए.एस.आई. रुद्र-4’ अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम सियांग जिले के मिंङ्क्षगग में उड़ान के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से उसमें सवार पांचों जवानों की मृत्यु हो गई। 

असम के तेजपुर में सेना के प्रवक्ता लैफ्टिनैंट कर्नल ए.एस. वालिया के अनुसार ‘‘यह दुर्घटना चीन सीमा से लगभग 35 किलोमीटर दूर घने पहाड़ी क्षेत्र में हुई। इस हैलीकॉप्टर ने दो पायलटों समेत पांच जवानों के साथ लेकाबली से नियमित अभ्यास उड़ान भरी थी। सुबह 10.43 बजे जिला मुख्यालय टूटिंग से करीब 25 कि.मी. दक्षिण में मिङ्क्षगग इलाके में हैलीकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हुआ।’’ यह पहला स्वदेशी सशस्त्र हैलीकॉप्टर है जिसका निर्माण ‘ङ्क्षहदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड’ (एच.ए.एल.) ने किया है। इसे विशेष रूप से भारतीय सेना के लिए युद्धक हैलीकॉप्टर के तौर पर तैयार किया गया है। 

उल्लेखनीय है कि ‘हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड’द्वारा निर्मित 5.8 टन का यह हैलीकॉप्टर भारत द्वारा अपने मित्र देशों को भी बेचा जा रहा है। ये हैलीकॉप्टर विशेष रूप से चीन के साथ लगती सीमा के साथ संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किए गए हैं। अरुणाचल प्रदेश में इस महीने दूसरी बार कोई सैन्य हैलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। इससे पहले 5 अक्तूबर को ‘तवांग’ जिले में एक ‘चीता’ हैलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसमें सवार दो में से एक पायलट शहीद हुआ था। सेना के हैलीकॉप्टरों का इस तरह लगातार दुर्घटनाग्रस्त होना निश्चित रूप से ङ्क्षचता का विषय है जिसे देखते हुए इनका सुरक्षा आडिट तथा चालक दल के सदस्यों का विधिवत प्रशिक्षण यकीनी बनाने की जरूरत है। 

यह भी कहा जाता है कि सेना के अनेक हैलीकॉप्टर पुराने हो चुके हैं जिन्हें बदलने का मामला काफी समय से लटकता आ रहा है। अत: इस मामले में भी तेजी लाने की जरूरत है। इस संबंध में पाई जाने वाली सुरक्षा और प्रशिक्षण संबंधी खामियों का पता लगा कर उन्हें दूर किया जाना चाहिए ताकि इस तरह की दुर्घटनाओं में शहीद होने वाले सेना के जवानों के प्राण भी बच सकें और साथ ही वित्तीय हानि से भी बचा जा सके क्योंकि सेना के ये हैलीकॉप्टर बहुत महंगे होते हैं और इनकी कीमत 40 से 50 करोड़ रुपए के बीच होती है।—विजय कुमार


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