देश में अभी रौशन हैं भाईचारे के चिराग सौहार्द के चंद अनुकरणीय उदाहरण
punjabkesari.in Tuesday, Apr 25, 2023 - 03:47 AM (IST)

जहां एक ओर देश में जाति और धर्म के नाम पर कुछ लोग नफरत फैला कर अपने कृत्यों से माहौल बिगाड़ रहे हैं, वहीं अनेक स्थानों पर हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के सदस्य भाईचारे और सद्भाव के अनुकरणीय उदाहरण पेश कर रहे हैं : इसके चंद ताजा उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं :
* 30 जनवरी को नालबाड़ी (असम) जिले के ‘पब कलाकुशी’ गांव में 3 हिंदू परिवारों ने अपने एक सांझे पूर्वज की इच्छा के अनुसार मुस्लिम बंधुओं को मस्जिद बनाने के लिए अपने-अपने हिस्से की भूमि दान में दी।
वैसे असम में आमतौर पर साम्प्रदायिक विद्वेष की घटनाएं होती रहती हैं परंतु इस गांव में कभी भी ऐसी कोई घटना आज तक नहीं हुई।
* 9 फरवरी को बारपेटा (असम) में एक वैष्णव आध्यात्मिक संगठन ने मस्जिद और कब्रिस्तान के निर्माण के लिए ‘मांडिया जामा मस्जिद ईदगाह कमेटी’ को 5 बीघा जमीन प्रदान की।
* 3 मार्च को शिमला (हिमाचल प्रदेश) के रामपुर में विश्व हिन्दू परिषद द्वारा संचालित ‘सत्य नारायण मंदिर’ में एक मुस्लिम जोड़े का मौलवी ने निकाह पढ़ाया और उसके बाद वकील की देखरेख में भी सारी रस्में अदा की गईं। इसमें मुस्लिम व हिन्दू समुदायों के लोगों ने शामिल होकर नवदम्पति को आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर शाकाहारी प्रीति भोज भी दिया गया।
* 9 मार्च को मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) के ठाकुरद्वारा में होली एवं शब-ए-बारात का पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। नगर पालिका कार्यालय के सामने मुस्लिम समाज द्वारा होली मिलन का समारोह आयोजित किया गया।
* 31 मार्च को कुलगाम (जम्मू-कश्मीर) ‘करकन’ गांव में रहने वाले एकमात्र हिन्दू परिवार के सदस्य बलबीर सिंह के अंतिम संस्कार में उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने सहायता की। सी.आई.एस.एफ. में सेवारत बलबीर सिंह अपने भाई की पुण्यतिथि पर गांव आए हुए थे और इसी दौरान दिल का दौरा पडऩे से उनकी मृत्यु हो गई।
स्थानीय मुसलमानों ने उनकी अर्थी को कंधा भी दिया और दाह संस्कार के लिए लकड़ी की व्यवस्था भी की। एक पड़ोसी जब्बार ने कहा, ‘‘वह हम में से एक थे। हमने उन्हें राजपूत हिन्दू के रूप में कभी नहीं देखा।’’
* 3 अप्रैल को भरतपुर (राजस्थान) में हिन्दू समाज के लोगों ने मस्जिद में जाकर मुस्लिम समाज के सदस्यों को रोजा इफ्तार पार्टी देकर भाईचारे तथा गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी श्री रामनवमी शोभायात्रा पर पुष्पवर्षा और जलपान की व्यवस्था की थी।
* और अब 22 अप्रैल को भिंड (मध्य प्रदेश) के ‘मौ’ कस्बे में ईद के दिन आजाद खान नामक मुस्लिम युवक के परिवार ने ‘जागा हनुमान मंदिर’ में भागवत कथा का आयोजन शुरू करवाया। यह कथा 29 अप्रैल तक चलेगी। वही इस कथा के मुख्य यजमान हैं। इसमें दोनों समुदायों के लोग शामिल हो रहे हैं।
इस दिन आजाद खान ने पहले नमाज अदा की और उसके बाद उन्होंने हिन्दू और मुस्लिम भाई-बहनों को आमंत्रित कर सनातन परिधान में समूचे कस्बे में कलश यात्रा निकाली। इसमें आजाद खान ‘श्रीमद्भागवत कथा पोथी’ को सिर पर रख कर आगे-आगे चल रहे थे। आजाद खान का कहना है कि हनुमान जी की पूजा-अर्चना से उनके सारे काम पूरे हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि आजाद खान का परिवार पिछले 8 वर्षों से ‘जागा हनुमान मंदिर’ में पूजा-अर्चना करता आ रहा है। आजाद खान का कहना है कि ईश्वर-अल्लाह एक हैं। हम तो केवल इंसानियत को मानते हैं। जिस भक्ति भाव से वह रमजान के पवित्र महीने में रोजे रखते हैं उसी भक्ति भाव से हनुमान जी की पूजा-अर्चना भी करते हैं।
भारत में युगों से चली आ रही सर्वधर्म समभाव की भावना के अनुरूप साम्प्रदायिक सौहार्द की उक्त मिसालें साक्षी हैं कि नफरतों की आंधी में भी हमारे देश में भाईचारे के चिराग सदा रौशन थे और रौशन रहेंगे क्योंकि बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अच्छाई से छोटी ही होती है।—विजय कुमार