अध्यापकों द्वारा ‘छात्राओं का यौन शोषण’ ‘गुरु और शिष्य के रिश्ते हो रहे तार-तार’

punjabkesari.in Wednesday, May 17, 2023 - 04:07 AM (IST)

जीवन में माता-पिता के बाद अध्यापक का ही सर्वोच्च स्थान माना गया है, परंतु आज चंद अध्यापक अपनी मर्यादाओं को भूल मासूम छात्राओं का यौन शोषण करके गुरु-शिष्य के रिश्तों को कलंकित कर रहे हैं। इसके चंद ताजा उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं :- 

* 23 जनवरी को अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) स्थित एक शिक्षा संस्थान में  32 वर्षीय एक अध्यापक को सातवीं कक्षा की छात्रा को अपने मकान में बंधक बनाकर उससे बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 
* 14 मार्च को मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) के एक आई.टी.आई. कालेज में एक छात्रा को गलत ढंग से छूने के आरोप में एक अध्यापक को पोक्सो कानून के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया। 
* 3 अप्रैल को मुम्बई के कांदीवली में म्युनिसिपल स्कूल के एक फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर को एक नाबालिग छात्रा को एक्सरसाइज सिखाने के बहाने उसके साथ अश्लील व्यवहार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 

* 23 अप्रैल को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के यमुना विहार स्थित एक स्कूल के लैबोरेटरी असिस्टैंट को एक 11 वर्षीय बच्ची का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
* 14 मई को जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के एक स्कूल में एक नाबालिग छात्रा का यौन शोषण करने के आरोप में 2 अध्यापकों रोशन लाल शान तथा संजय कुमार शर्मा को निलम्बित करने के अलावा उनके विरुद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई गई। 

* 14 मई को ही शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) जिले के तिलहर स्थित सरकारी जूनियर हाई स्कूल के कम्प्यूटर अध्यापक मोहम्मद अली को छठी से 8वीं कक्षा में पढऩे वाली 12 से 14 वर्ष आयु की 18 नाबालिग छात्राओं का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा स्कूल के हैड टीचर अनिल कुमार व एक सहायक अध्यापिका ‘साजिया’ के विरुद्ध इस घटना को छुपाने और जानकारी होने के बावजूद दोषी अध्यापक के विरुद्ध कार्रवाई न करने के आरोप में केस दर्ज किया गया। उक्त घटनाओं से स्पष्टï है कि आज देश में चंद अध्यापकों के हाथों बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं। ‘गुरुओं’ द्वारा मासूम ‘शिष्याओं’ के यौन शोषण जैसे अपराध इस आदर्श व्यवसाय पर एक धब्बा एवं अध्यापक वर्ग में भी बढ़ रही नैतिक गिरावट का नतीजा हैं। अत: ऐसा करने वाले अध्यापकों को कठोरतम सजा दी जानी चाहिए ताकि यह दुष्चक्र रुके।—विजय कुमार 


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