डोनाल्ड ट्रम्प दोषी करार फिर भी चुनावों के लिए तैयार

punjabkesari.in Monday, Jun 03, 2024 - 04:33 AM (IST)

9 अगस्त, 1974 को गेराल्ड फोर्ड जोकि रिचर्ड निक्सन के इस्तीफों के बाद  अमरीका के 38वें राष्ट्रपति बने थे, ने कहा था, ‘‘मेरे साथी अमरीकियो! हमारा लम्बा राष्ट्रीय दु:स्वप्न समाप्त हुआ। हमारा संविधान काम करता है, हमारा महान गणतंत्र कानूनों की सरकार है न कि भ्रष्ट मनुष्यों की।’’ वाटरगेट स्कैंडल में पूरी तरह से भागेदारी सिद्ध होने पर अदालत के फैसले से पहले निक्सन ने अमरीकी राष्ट्रपति पद से त्यागपत्र दे दिया था परंतु पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मामले में ऐसा नहीं है। ट्रम्प को 37 मामलों में दोषी करार दे दिया गया है। 

ट्रम्प इस वर्ष 5 नवम्बर को होने वाला अमरीकी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ रहे हैं और चुनाव जीत जाने पर भी संवैधानिक प्रावधान उन्हें राष्ट्रपति के रूप में जेल से सरकार चलाने से नहीं रोक सकेंगे। विश्व में ऐसे 58 देश हैं जिनके शासनाध्यक्ष विभिन्न मामलों में दोषी पाए गए हैं। इनमें या तो पद पर रहते हुए या फिर उस समय सजा सुनाई गई जब वे रिटायर हो चुके थे जैसे कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी को  रिश्वत के मामले में उस समय जेल की सजा सुनाई गई थी जब वह राष्ट्रपति पद से मुक्त हो चुके थे। इनमें अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जोर्ग राफेल तथा रेनाल्डो बिगनोन, उरुग्वे के पूर्व राष्ट्रपति जुआन मारिया बोरदाबेरी तथा ग्रेगोरियो कोनराडो अल्वारेज आदि शामिल हैं। 

दक्षिण कोरिया द्वारा अपने 2 पूर्व राष्ट्रपतियों ली म्यूंग बाक तथा पार्क ग्यून हाय पर भ्रष्टाचार के आरोपों में अपराधी ठहराया जा चुका है परंतु तत्कालीन राष्ट्रपतियों ने उन्हें माफी दी जब वे 25-25 वर्ष की सजा काट रहे थे। हालांकि किसी पूर्व नेता को दंडित करने जैसे कदमों से किसी देश में राजनीतिक तनाव उत्पन्न होने का जोखिम भी तब मौजूद है जब वह फिर से चुनाव लडऩा चाहता हो। जैसा कि पाकिस्तान में इमरान खान के मामले में हाल ही में हो चुका है। 

इससे पहले 2019 में इसराईल में बेंजामिन नेतन्याहू को भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपित करने के बाद वहां राजनीतिक संकट पैदा हो गया था जिससे पैदा हुई राजनीतिक उथल-पुथल के कारण वहां 4 वर्षों में 5 बार चुनाव हो गए और कानूनी बाधाओं के बावजूद अंतत: दिसम्बर, 2022 में नेतन्याहू दोबारा सत्ता में आ गए। अधिकांश पाश्चात्य देशों के कानून के अनुसार आपराधिक मामलों में दंडित करार दिए जा चुके जनप्रतिनिधि चुनाव नहीं लड़ सकते परंतु ट्रम्प की हमारे देश में भी अमरीका जैसी कानूनी स्थिति ही है। हालांकि ट्रम्प इस मामले को लेकर अपील दायर कर सकते हैं। एन.जी.ओ. ‘एसोसिएशन फार डैमोक्रेटिक रिफाम्र्स’ (ए.डी.आर.) ने इसे वर्ष लोकसभा चुनावों के विश्लेषण के बाद बताया है कि 8337 उम्मीदवारों में से 1643 (20 प्रतिशत) ने अपने विरुद्ध आपराधिक केसों की घोषणा की है। इनमें से 1191 (14 प्रतिशत) उम्मीदवारों के विरुद्ध बलात्कार, हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, महिलाओं के विरुद्ध अपराध जैसे गंभीर आपराधिक मामले शामिल हैं। हालांकि कई उम्मीदवारों पर झूठे मुकद्दमे भी दायर हैं। 

उल्लेखनीय है कि भारतीय कानून आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नागरिकों को भी तब तक चुनाव लडऩे से नहीं रोकता जब तक उन्हें दोषी करार न दिया जाए और ऐसे मामले में भी उनके चुनाव लडऩे की अयोग्यता की अवधि जेल काटने के बाद ज्यादा से ज्यादा 6 वर्ष ही होती है। वर्तमान कानूनों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को अपराधी करार दिया जाए तो उसे इस्तीफा देना पड़ता है। परंतु इसमें सबसे बड़ा प्रश्न तो यह है कि आखिर क्यों हमारे जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध इस तरह के केसों को लम्बित रखा जाए और चुनावों से पहले ही न्यायपालिका द्वारा इनका निपटारा क्यों न किया जाए? आखिर हम अपने देश में न्यायपालिका को इस स्थिति में क्यों ले आए हैं कि वास्तविक अपराधी भी संसद में पहुंचने में सफल हो जाते हैं और इस तरह वे किस प्रकार लोकतंत्र की सेवा कर रहे हैं?


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